प्रश्न का उत्तर अधिकतम 300 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 15 अंक का है। [MPPSC 2019] भारत में गरीबी रेखा से सम्बन्धित विभिन्न मत क्या हैं? क्या यूनिवर्सल बेसिक इन्कम (सार्वभौमिक बुनियादी आय) की अवधारणा उपयुक्त है?
अभिक्षमता क्या है? अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की सोचने, समझने, समस्या हल करने और ज्ञान का उपयोग करने की क्षमता से है। यह मापता है कि कोई व्यक्ति कितनी जल्दी और कुशलता से नई जानकारी सीख सकता है और उसे उपयोग में ला सकता है। अभिक्षमता परीक्षणों के प्रकार अभिक्षमता को परखने के लिए कई प्रकार के परीक्Read more
अभिक्षमता क्या है?
अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की सोचने, समझने, समस्या हल करने और ज्ञान का उपयोग करने की क्षमता से है। यह मापता है कि कोई व्यक्ति कितनी जल्दी और कुशलता से नई जानकारी सीख सकता है और उसे उपयोग में ला सकता है।
अभिक्षमता परीक्षणों के प्रकार
अभिक्षमता को परखने के लिए कई प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं:
- सांकेतिक तर्क परीक्षण
- व्यक्ति के तर्क क्षमता और पैटर्न पहचानने की क्षमता को मापता है।
- उदाहरण: पजल सॉल्विंग।
- अंकगणितीय तर्क परीक्षण
- गणितीय समस्याओं के हल करने की योग्यता का आकलन।
- जैसे, जोड़-घटाव और प्रतिशत से जुड़े सवाल।
- शाब्दिक तर्क परीक्षण
- शब्दावली और भाषा की समझ को मापता है।
- शब्दों के बीच संबंध पहचानने की क्षमता।
- मनोवैज्ञानिक परीक्षण
- मानसिक स्थिति और प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए।
- जैसे, तनाव या दबाव में निर्णय क्षमता।
ये परीक्षण व्यक्ति के जीवन में उनकी सीखने और समझने की क्षमता का एक महत्वपूर्ण मापदंड हैं।
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भारत में गरीबी रेखा और यूनिवर्सल बेसिक इन्कम: विभिन्न मत और उपयुक्तता 1. गरीबी रेखा पर विभिन्न दृष्टिकोण: भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कई मानदंडों पर आधारित है, जैसे आय, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर। सुरेश तेंदुलकर समिति के अनुसार, गरीबी रेखा निर्धारण के लिए न्यूनतम आय को 7,620 रुपये सालाना (2011-12)Read more
भारत में गरीबी रेखा और यूनिवर्सल बेसिक इन्कम: विभिन्न मत और उपयुक्तता
1. गरीबी रेखा पर विभिन्न दृष्टिकोण:
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण कई मानदंडों पर आधारित है, जैसे आय, स्वास्थ्य, और जीवन स्तर।
2. यूनिवर्सल बेसिक इन्कम (UBI) की अवधारणा:
UBI एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सरकार प्रत्येक नागरिक को नियमित, बिना शर्त नकद भुगतान करती है। यह गरीबी को कम करने और आर्थिक समानता को बढ़ाने का उद्देश्य रखता है।
निष्कर्ष:
यूबीआई एक सशक्त विचार हो सकता है, लेकिन भारत जैसे देश में इसके कार्यान्वयन के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और समुचित ढांचे की आवश्यकता है। कोविड-19 जैसे संकटों के दौरान, यह अवधारणा और भी प्रासंगिक हो सकती है, लेकिन इसकी आर्थिक लागत और प्रभावों पर गहन विचार की आवश्यकता है।
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