प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 06 अंक का है। [MPPSC 2019] मनोवृत्तियों के विकास तथा निर्माण की चर्चा कीजिए |
भारतीय बैंकिंग पद्धति की समस्याएँ एवं सरोकार भारतीय बैंकिंग पद्धति वर्तमान में कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। इनमें से कुछ प्रमुख समस्याएँ और उनके कारणों की व्याख्या निम्नलिखित है: 1. नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) भारतीय बैंकों में NPA का उच्च स्तर है, जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो रहRead more
भारतीय बैंकिंग पद्धति की समस्याएँ एवं सरोकार
भारतीय बैंकिंग पद्धति वर्तमान में कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। इनमें से कुछ प्रमुख समस्याएँ और उनके कारणों की व्याख्या निम्नलिखित है:
1. नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA)
- भारतीय बैंकों में NPA का उच्च स्तर है, जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो रही है। उदाहरण स्वरूप, YES बैंक का संकट, जहां बैंक ने कर्ज़ के भुगतान में विफल ग्राहकों को बड़ी मात्रा में ऋण दिया, इसका परिणाम बैंक को भारी वित्तीय नुकसान के रूप में हुआ।
- सरकार और RBI ने कई बार बैंकों को पुनर्पूंजीकरण के लिए bailout प्रदान किया है, लेकिन इस समस्या को स्थायी रूप से हल करने के प्रयास नाकाफी रहे हैं।
2. प्रबंधन और निगरानी की कमी
- बैंकों में कुछ मामलों में प्रबंधन की कमी और कर्ज़ की गलत स्वीकृति भी मुख्य समस्याएँ हैं। YES बैंक की असफलता इसके प्रमुख उदाहरण के रूप में सामने आई है।
- कुछ बैंकों में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों ने भी बैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है।
3. कम क्रेडिट वितरण
- भारतीय बैंकों द्वारा दी जाने वाली ऋण की दर बहुत कम है, जिससे छोटे और मंझले उद्योगों को मदद नहीं मिल पा रही है।
- यह विशेषकर MSME (Micro, Small, and Medium Enterprises) क्षेत्र में बैंकिंग सेवाओं की कमी को दर्शाता है।
4. नियमों की जटिलता
- RBI और सरकार द्वारा निर्धारित कई नियमों की जटिलता, जैसे NPA प्रबंधन और कर्ज़ पुनर्संरचना, बैंकों के लिए कार्य को कठिन बना देती है।
समाधान की दिशा
- सुधारात्मक कदम: बैंकों को वित्तीय नियमों में सुधार और बेहतर जोखिम प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने की आवश्यकता है।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: डिजिटल बैंकिंग और तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देने से बैंकों की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है।
इस प्रकार, भारतीय बैंकिंग पद्धति को वित्तीय और तकनीकी सुधार की आवश्यकता है ताकि इसे अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सके।
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मनोवृत्तियों के विकास और निर्माण मनोवृत्तियाँ किसी व्यक्ति की मानसिक प्रवृत्तियाँ, विचार, और प्रतिक्रियाओं का परिणाम होती हैं, जो समाज और व्यक्तिगत अनुभवों से प्रभावित होती हैं। ये मानसिक रवैया, सोच, और व्यक्तित्व का हिस्सा बनती हैं। मनोवृत्तियों के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक: सामाजिक प्रभावRead more
मनोवृत्तियों के विकास और निर्माण
मनोवृत्तियाँ किसी व्यक्ति की मानसिक प्रवृत्तियाँ, विचार, और प्रतिक्रियाओं का परिणाम होती हैं, जो समाज और व्यक्तिगत अनुभवों से प्रभावित होती हैं। ये मानसिक रवैया, सोच, और व्यक्तित्व का हिस्सा बनती हैं।
मनोवृत्तियों के निर्माण में प्रभाव डालने वाले कारक:
मनोवृत्तियाँ के प्रकार:
इन मनोवृत्तियों का विकास हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में होता है, और वे समय के साथ बदल सकती हैं, जैसे नया अनुभव मिलने पर।
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