स्वतंत्रता संग्राम में, विशेष तौर पर गाँधीवादी चरण के दौरान महिलाओं की भूमिका का विवेचन कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
होमरूल आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अध्याय था जो 1942 में आयोजित किया गया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी प्राप्त करना था। होमरूल आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रकट करना और स्वतंत्रता की मांग को मजबूत करना था। इस आंदोलन का आरंभ गांधीजी कRead more
होमरूल आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अध्याय था जो 1942 में आयोजित किया गया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी प्राप्त करना था।
होमरूल आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रकट करना और स्वतंत्रता की मांग को मजबूत करना था। इस आंदोलन का आरंभ गांधीजी के आह्वान पर हुआ था और यह अंग्रेजों के खिलाफ विरोध और स्वतंत्रता की मांग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों द्वारा समर्थित किया गया।
होमरूल आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इसने भारतीय जनता की सामर्थ्य और एकता को दिखाया। इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को एक मजबूत संदेश दिया कि भारतीय लोग विद्रोह और स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो सकते हैं।
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गाँधीवादी चरण के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी रही। महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक प्रतिरोध और जनसमूह को सक्रिय करने की विधियों को अपनाया, जिससे महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। महिलाओं ने विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भागीRead more
गाँधीवादी चरण के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी रही। महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक प्रतिरोध और जनसमूह को सक्रिय करने की विधियों को अपनाया, जिससे महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
महिलाओं ने विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने नमक सत्याग्रह में हिस्सा लिया, नागरिक अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुईं। सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी और विजयलक्ष्मी पंडित जैसी नेताओं ने इस समय की प्रमुख हस्तियों के रूप में कार्य किया, जिन्होंने अन्य महिलाओं को प्रेरित किया।
गांधीजी ने महिलाओं को आंदोलन में शामिल होने की प्रेरणा दी, और उनकी सामाजिक सुधारों तथा राष्ट्र निर्माण में भूमिका को मान्यता दी। महिलाएँ न केवल सक्रिय नेता के रूप में सामने आईं, बल्कि स्थानीय स्तर पर संगठन और जन जागरूकता में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने चंदा जुटाने, जनसंपर्क बढ़ाने और समुदायों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महिलाओं की इस सक्रिय भागीदारी ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम को बल प्रदान किया, बल्कि समाज में उनके अधिकारों और स्थान में भी बदलाव की दिशा भी स्थापित की।
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