भारत में अठारहवीं शताब्दी के मध्य से स्वतंत्रता तक अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों के विभिन्न पक्षों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करना संविधान सभा के लिए एक ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण कार्य था, और यह कार्य बिना भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त अनुभव के बहुत कठिन होता। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारतीय संविधान की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके अनुभव ने संविधान सभा कोRead more
स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करना संविधान सभा के लिए एक ऐतिहासिक और चुनौतीपूर्ण कार्य था, और यह कार्य बिना भारत सरकार अधिनियम, 1935 से प्राप्त अनुभव के बहुत कठिन होता। भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारतीय संविधान की तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके अनुभव ने संविधान सभा को कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान किए।
1. प्रशासनिक और संवैधानिक अनुभव:
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने भारत में एक संघीय संरचना और एक स्पष्ट संवैधानिक ढाँचा प्रदान किया। यह अधिनियम भारतीय संघ की संरचना, केंद्रीय और प्रादेशिक अधिकारों का विभाजन, और प्रशासनिक तंत्र को स्पष्ट करता था। संविधान सभा ने इन पहलुओं से महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया, जिसने संविधान के मसौदे को आकार देने में मदद की।
2. प्रयोग और परीक्षण:
1935 का अधिनियम एक संवैधानिक प्रयोग था, जिसने संविधान सभा को भारतीय संविधान के विभिन्न पहलुओं की समझ और परीक्षण करने का अवसर प्रदान किया। इससे विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच संतुलन और कार्यक्षमता पर विचार करने में सहायता मिली।
3. कानूनी और प्रशासनिक दृष्टिकोण:
अधिनियम ने भारतीय राजनीतिक और कानूनी ढांचे को आकार दिया था, और इसका अनुभव संविधान सभा को संविधान की व्यापकता, कानूनी प्रावधानों, और प्रशासनिक प्रभावशीलता को समझने में मददगार रहा।
4. संघीय संरचना का अनुभव:
1935 के अधिनियम ने संघीय संरचना को लागू किया, जिससे संविधान सभा को संघीय शासन की चुनौतियों और समाधान का अनुभव मिला। इस अनुभव ने संविधान के संघीय पहलू को समृद्ध करने में सहायता की।
5. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
अधिनियम ने भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला, जिससे संविधान सभा को सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को समझने और संविधान में आवश्यक सुधारों को शामिल करने का अवसर मिला।
इन अनुभवों के बिना, संविधान सभा के लिए एक समावेशी और प्रभावी संविधान तैयार करना बहुत कठिन होता। 1935 का अधिनियम संविधान सभा के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु था, जिसने संविधान के निर्माण में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया।
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अठारहवीं शताब्दी के मध्य से स्वतंत्रता तक अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। सकारात्मक पहलू: परिवहन अवसंरचना: अंग्रेज़ों ने रेलवे, सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण किया, जिससे व्यापार और वाणिज्य में सुधार हुआ। कानूनी और प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिश न्यRead more
अठारहवीं शताब्दी के मध्य से स्वतंत्रता तक अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
सकारात्मक पहलू:
See lessपरिवहन अवसंरचना: अंग्रेज़ों ने रेलवे, सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण किया, जिससे व्यापार और वाणिज्य में सुधार हुआ।
कानूनी और प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिश न्यायपालिका और प्रशासनिक सुधारों ने कुछ हद तक कानूनी व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया।
नकारात्मक पहलू:
उपनिवेशवादी शोषण: ब्रिटिश नीतियाँ भारत की संसाधनों की लूट और आर्थिक शोषण पर केंद्रित थीं, जैसे उच्च कर और व्यापारिक एकाधिकार।
वाणिज्यिक प्राथमिकताएँ: भारत की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था ब्रिटिश व्यापारिक हितों के अनुरूप बनाई गई, जिससे भारतीय उद्योग और हस्तशिल्प की दृष्टि से पतन हुआ।
धातु और कृषि संकट: ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय कृषि और स्थानीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे सूखा और खाद्य संकट बढ़े।
इन नीतियों ने भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया, जिसमें संसाधनों की शोषण, सामाजिक असमानता और आर्थिक पिछड़ेपन की प्रवृत्तियाँ शामिल थीं।