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भारत और CARICOM सदस्य देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डालते हुए, उन विभिन्न उपायों पर चर्चा कीजिए जो हाल के दिनों में कैरेबियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए किए गए हैं। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं: आर्थिक और व्यापारिक सहयोग: दोनों पक्षों ने व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए साझा व्यापार समझौतों और निवेश योजनाओं पर सहमति जताई है। भारत ने कैरेबियन देशों को निर्यात सहायता, विशेषकर दवाइयों और तकनीकी उपकरणों केRead more
भारत और CARICOM देशों के बीच सहयोग के संभावित क्षेत्रों में प्रमुख निम्नलिखित हैं:
हाल ही में, भारत ने CARICOM देशों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से इन संबंधों को और मजबूत किया है।
See lessग्लोबल साउथ द्वारा सामना की जाने वाली नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने में भारत द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: नीति निर्माण में नेतृत्व: भारत ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभा सकता है, जैसे कि ब्रिक्स, जी-77, और संयुक्त राष्ट्र। भारत के नेतृत्Read more
ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) की नवीन और आगामी चुनौतियों के आलोक में, भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
इस प्रकार, भारत ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए वैश्विक स्तर पर समान विकास और सहयोग को प्रोत्साहित कर सकता है।
See lessI2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को किस प्रकार रूपांतरित करेगा ? (250 words) [UPSC 2022]
I2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन के माध्यम से भारत की वैश्विक राजनीति में स्थिति का रूपांतरण 1. I2U2 का अवलोकन I2U2, जिसमें भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शामिल हैं, 2021 में स्थापित एक रणनीतिक समूह है। यह गठबंधन आर्थिकRead more
I2U2 (भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूहन के माध्यम से भारत की वैश्विक राजनीति में स्थिति का रूपांतरण
1. I2U2 का अवलोकन
I2U2, जिसमें भारत, इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शामिल हैं, 2021 में स्थापित एक रणनीतिक समूह है। यह गठबंधन आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, विशेषकर स्वच्छ ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में।
2. भारत के लिए रणनीतिक लाभ
आर्थिक विकास: I2U2 भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स के माध्यम से भारत को निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्राप्त होगा, जो भारत की हरित अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होगा। उदाहरण के लिए, UAE और इज़रायल के साथ सहयोग से भारत को ऊर्जा क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियाँ और पूंजी निवेश मिल सकते हैं।
तकनीकी प्रगति: I2U2 के माध्यम से भारत को इज़रायल की कृषि और जल प्रबंधन में विशेषज्ञता और अमेरिका की तकनीकी और साइबर सुरक्षा में उन्नति का लाभ मिलेगा। इससे भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होगी।
भूराजनीतिक प्रभाव: अमेरिका और इज़रायल जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ियों के साथ मिलकर भारत अपनी भूराजनीतिक स्थिति को मजबूत कर सकता है। यह गठबंधन भारत की भूमिका को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मजबूत करेगा और चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, यह भारत के साथ पश्चिमी और खाड़ी देशों के रणनीतिक संबंधों को भी सुदृढ़ करेगा।
3. क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
क्षेत्रीय स्थिरता: I2U2 के सहयोगात्मक प्रोजेक्ट्स मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं, जो भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए लाभकारी होगा।
वैश्विक नेतृत्व: इस विविध गठबंधन का हिस्सा बनकर भारत वैश्विक मंचों पर अपनी आवाज को और अधिक प्रभावी बना सकता है। भारत जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे मुद्दों पर वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष
I2U2 समूहन के माध्यम से भारत अपनी आर्थिक, तकनीकी, और भूराजनीतिक स्थिति को वैश्विक मंच पर सुदृढ़ कर सकता है। इस गठबंधन के द्वारा भारत को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बढ़ती प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा, जिससे उसकी वैश्विक राजनीति में स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से रूपांतरित किया जा सकेगा।
See lessआपके विचार में क्या बिमस्टेक (BIMSTEC) सार्क (SAARC) की तरह एक समानांतर संगठन है ? इन दोनों के बीच क्या समानताएँ और असमानताएँ हैं ? इस नए संगठन के बनाए जाने से भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य कैसे प्राप्त हुए हैं? (150 words)[UPSC 2022]
बिमस्टेक (BIMSTEC) और सार्क (SAARC) दोनों ही क्षेत्रीय संगठनों के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समानांतर संगठन नहीं हैं। समानताएँ: क्षेत्रीय सहयोग: दोनों का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण को बढ़ावा देना है। सदस्य देश: भारत, बांग्लादेश और नेपाल जैसे सदस्य देश दोनों में शामिल हैं। असमानताएँ: भौगोRead more
बिमस्टेक (BIMSTEC) और सार्क (SAARC) दोनों ही क्षेत्रीय संगठनों के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समानांतर संगठन नहीं हैं।
समानताएँ:
असमानताएँ:
भारतीय विदेश नीति के उद्देश्य: बिमस्टेक के निर्माण से भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी भूमिका को बढ़ाया, “एक्ट ईस्ट” नीति को साकार किया और चीन की बढ़ती प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश की। इससे भारत को क्षेत्रीय आर्थिक और रणनीतिक सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला।
See less'क्वाड' में भारत की भागीदारी के औचित्य की विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य 1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। 2Read more
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य
1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अर्थशास्त्र और व्यापार: QUAD के माध्यम से भारत को सामरिक वाणिज्यिक सहयोग और आर्थिक निवेश के अवसर मिलते हैं, जो वाणिज्यिक मार्ग और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
3. वैश्विक चुनौतियाँ: QUAD सदस्य देशों के साथ मिलकर भारत जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, और पैथोजन परिदृश्य जैसे वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी समाधान निकाल सकता है।
4. ज्योग्राफिकल स्थिति: भारत की सामरिक स्थिति और आधुनिक सैन्य क्षमता QUAD में एक प्रमुख सहयोगी की भूमिका निभाने में सहायक है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष: QUAD में भारत की भागीदारी सामरिक, आर्थिक, और वैश्विक स्थिरता की दृष्टि से उचित है, जो भारत की सुरक्षा और विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
See less'सार्क' की असफलता ने भारत को 'बिम्सटेक' (BIMSTEC) को सशक्त बनाने के लिए बाध्य किया। विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
SAARC की असफलता और BIMSTEC की भूमिका 1. SAARC की असफलता: SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) की सदस्यता में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक विवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण सहयोग और प्रगति में बाधाएं आईं। सदस्य देशों के आपसी विवाद और समन्वय की कमी ने SAARC की प्रभावशीलता को सीमित किया। 2.Read more
SAARC की असफलता और BIMSTEC की भूमिका
1. SAARC की असफलता: SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) की सदस्यता में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक विवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण सहयोग और प्रगति में बाधाएं आईं। सदस्य देशों के आपसी विवाद और समन्वय की कमी ने SAARC की प्रभावशीलता को सीमित किया।
2. BIMSTEC का गठन: SAARC की असफलता के चलते, भारत ने BIMSTEC (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) को सशक्त और प्रोमोट करने की दिशा में कदम बढ़ाए। BIMSTEC में बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों का आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकता को प्राथमिकता दी जाती है।
3. BIMSTEC की विशेषताएँ:
निष्कर्ष: SAARC की असफलता ने भारत को BIMSTEC को सशक्त बनाने के लिए प्रेरित किया, जो क्षेत्रीय सहयोग और विकास के लिए एक नई दिशा प्रदान करता है।
See lessसमूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए। (125 Words) [UPPSC 2023]
समूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का महत्व वैश्विक नेतृत्व: भारत की G-20 अध्यक्षता वैश्विक मंच पर इसके नेतृत्व की पुष्टि करती है। यह भारत को वैश्विक आर्थिक नीति में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है। आर्थिक वानिज्य: G-20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को प्Read more
समूह-20 (G-20) में भारत की अध्यक्षता का महत्व
वैश्विक नेतृत्व: भारत की G-20 अध्यक्षता वैश्विक मंच पर इसके नेतृत्व की पुष्टि करती है। यह भारत को वैश्विक आर्थिक नीति में प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है।
आर्थिक वानिज्य: G-20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रणनीतियाँ विकसित कर सकता है। 2023 में भारत की अध्यक्षता के तहत, भारत ने विकासशील देशों के लिए विशेष ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि संस्थागत सुधार और वित्तीय समावेशन।
वैश्विक समस्याएँ: भारत जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता और स्वास्थ्य संकट जैसे मुद्दों पर वैश्विक चर्चा को मार्गदर्शित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय संबंध: यह अध्यक्षता भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करने और बहुपरकारीकृत वैश्विक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में सहायक है।
निष्कर्ष: G-20 में भारत की अध्यक्षता वैश्विक नेतृत्व को साकार करने, आर्थिक नीति में प्रभावी भागीदारी, और वैश्विक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
See less'नाटो का विस्तार एवं सुदृढीकरण, और एक मजबूत अमेरिका-यूरोप रणनीतिक साझेदारी भारत के लिये अच्छा काम करती है।' इस कथन के बारे मे आपकी क्या राय है ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण और उदाहरण दीजिये । (250 words) [UPSC 2023]
नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, साथ ही अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी, भारत के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से लाभकारी हो सकती है: क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा: नाटो का विस्तार और उसकी सैन्य शक्ति का सुदृढ़ीकरण यूरोप और उत्तरी अमेरिका में स्थिरता बनाए रखने में सहायक होRead more
नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, साथ ही अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी, भारत के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से लाभकारी हो सकती है:
क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा: नाटो का विस्तार और उसकी सैन्य शक्ति का सुदृढ़ीकरण यूरोप और उत्तरी अमेरिका में स्थिरता बनाए रखने में सहायक होता है। यह वैश्विक सुरक्षा को बेहतर बनाता है, जो भारत के लिए भी फायदेमंद है। उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष में नाटो की भूमिका ने यूरोप में स्थिरता को बनाए रखने में मदद की है।
आतंकवाद के खिलाफ सहयोग: नाटो और अमेरिका-यूरोप की साझेदारी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत भी आतंकवाद से प्रभावित है, और इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से उसे भी लाभ मिल सकता है। उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान में नाटो की उपस्थिति ने आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद की है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार: अमेरिका और यूरोप के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए आर्थिक अवसर प्रदान कर सकती है। इससे व्यापारिक संबंधों में सुधार और निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक समझौतों से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है।
तकनीकी और सैन्य सहयोग: नाटो के सदस्य देशों के साथ तकनीकी और सैन्य सहयोग भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ा सकता है। अमेरिका और यूरोप के साथ रक्षा समझौतों ने भारतीय सेना को आधुनिक तकनीक और उपकरणों से सुसज्जित किया है।
इन सभी कारणों से, नाटो का विस्तार और अमेरिका-यूरोप की मजबूत रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। इससे न केवल सुरक्षा और स्थिरता में सुधार होता है, बल्कि आर्थिक और तकनीकी सहयोग के अवसर भी बढ़ते हैं।
See less'संघर्ष का विषाणु एस.सी.ओ. के कामकाज को प्रभावित कर रहा है' उपरोक्त कथन के आलोक में समस्याओं को कम करने में भारत की भूमिका बताइये । (150 words)[UPSC 2023]
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु "संघर्षों के समाधान में सहयोग": भारत ने एस.सी.ओ. (शंघाई सहयोग संगठन) के भीतर संघर्षों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने सदस्य देशों के बीच तनाव कम करने और सहयोग बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि क्षेत्रीय वार्ता और बहुपरकारीतRead more
भारत की भूमिका: एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष का विषाणु
निष्कर्ष: भारत की इन पहलों और भूमिकाओं ने एस.सी.ओ. के कामकाज में संघर्ष के विषाणु को कम करने में सहायक भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान होता है।
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