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"संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है।" विवेचना कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
"संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है" इस कथन की विवेचना करते हुए: सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण: आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिएRead more
“संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन के रूप में एक ऐसे अस्तित्व के खतरे का सामना कर रहा है जो तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है” इस कथन की विवेचना करते हुए:
सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण:
आर्थिक शक्ति: चीन की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और उसकी वैश्विक व्यापारिक उपस्थिति ने अमेरिका के लिए एक प्रमुख चुनौती उत्पन्न की है। चीन की आर्थिक वृद्धि और उसकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पकड़ अमेरिका के वैश्विक आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती देती है।
सैन्य और तकनीकी विकास: चीन का सैन्य विस्तार और तकनीकी उन्नति, जैसे कि साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में प्रगति, अमेरिका के लिए गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा कर रही है। सोवियत संघ की तुलना में, चीन की आधुनिक तकनीकी क्षमताएँ और उसके क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र में व्यापकता अमेरिकी सुरक्षा नीति के लिए अधिक जटिलता उत्पन्न करती हैं।
भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टिकोण:
See lessवैश्विक प्रभाव: चीन की बेल्ट और रोड इनिशिएटिव और वैश्विक संस्थानों में बढ़ती भूमिका, अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को चुनौती देती है। सोवियत संघ का प्रभाव मुख्यतः यूरोप और मध्य एशिया तक सीमित था, जबकि चीन का प्रभाव व्यापक और रणनीतिक है।
इस प्रकार, चीन के उदय ने अमेरिका के लिए एक नई और जटिल चुनौती उत्पन्न की है, जो सोवियत संघ की तुलना में अधिक व्यापक और बहुपरकारी है।
भारत के सतत विकास में विश्व बैंक की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
वित्तीय सहायता: विश्व बैंक भारत के सतत विकास को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) और अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) के माध्यम से, विश्व बैंक ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट जRead more
वित्तीय सहायता: विश्व बैंक भारत के सतत विकास को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) और अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) के माध्यम से, विश्व बैंक ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण किया है। ये परियोजनाएँ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और जल प्रबंधन में सुधार करती हैं।
तकनीकी विशेषज्ञता और नीति सलाह: विश्व बैंक तकनीकी विशेषज्ञता और नीति सलाह के माध्यम से भारत की नीतियों और योजनाओं में सुधार करता है। राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा मिशन के तहत, विश्व बैंक ने भारत को स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास और तैनाती में मार्गदर्शन प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, जल संसाधन प्रबंधन और कृषि विकास में भी विश्व बैंक की सलाह ने सुधारात्मक उपाय सुझाए हैं।
संस्थान निर्माण और क्षमता वृद्धि: विश्व बैंक संस्थान निर्माण और क्षमता वृद्धि के प्रयासों में मदद करता है। अटल नवाचार मिशन और नरेगा जैसी योजनाओं में विश्व बैंक ने प्रबंधन और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान किया है।
सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में योगदान: विश्व बैंक के परियोजनाएँ और सहायता सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में सहायक होती हैं। भारत की स्वास्थ्य और शिक्षा योजनाओं के लिए समर्थन, जैसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ने SDGs को हासिल करने में योगदान दिया है।
निष्कर्ष: विश्व बैंक का भारत के सतत विकास में योगदान महत्वपूर्ण है, जो वित्तीय सहायता, तकनीकी विशेषज्ञता, और संस्थान निर्माण के माध्यम से होता है। इसके प्रयासों ने भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
See lessभारत और अमेरीका के बीच विवाद और सहयोग के क्षेत्र क्या हैं? चर्चा करें। (200 Words) [UPPSC 2022]
विवाद के क्षेत्र: व्यापारिक विवाद: व्यापारिक संबंधों में तनाव विशेष रूप से टैरिफ और बाजार पहुँच के मुद्दों पर रहा है। 2019 में, अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप लगाया, जिसके कारण भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाए। वीजा और आव्रजन नीतियाँ: अमेरिका की H-1B वीजा नीतियाँ भारRead more
विवाद के क्षेत्र:
सहयोग के क्षेत्र:
निष्कर्ष: भारत और अमेरिका के बीच विवाद और सहयोग के क्षेत्र विविध हैं, लेकिन रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग की बढ़ती दिशा उनके रिश्तों को मजबूत कर रही है।
See lessभारत ने अपनी वैश्विक स्थिति और विदेशों में छवि को बेहतर बनाने के लिए सॉफ्ट पावर को अपनी विदेश नीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में स्थापित कर लिया है। सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के साथ-साथ इस कथन की विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत ने अपनी वैश्विक स्थिति और विदेशों में छवि को बेहतर बनाने के लिए सॉफ्ट पावर को एक प्रमुख विदेश नीति के स्तंभ के रूप में स्थापित किया है। सॉफ्ट पावर का मतलब केवल आर्थिक और सैन्य ताकत से नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, शैक्षिक, और वैधानिक प्रभाव के माध्यम से अपनी पहचान और प्रभाव बढ़ाने की रणनीति है।Read more
भारत ने अपनी वैश्विक स्थिति और विदेशों में छवि को बेहतर बनाने के लिए सॉफ्ट पावर को एक प्रमुख विदेश नीति के स्तंभ के रूप में स्थापित किया है। सॉफ्ट पावर का मतलब केवल आर्थिक और सैन्य ताकत से नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक, शैक्षिक, और वैधानिक प्रभाव के माध्यम से अपनी पहचान और प्रभाव बढ़ाने की रणनीति है।
भारत की सॉफ्ट पावर पहलों में शामिल हैं:
संस्कृति और कला: भारत ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर, जैसे कि योग, आयुर्वेद, बॉलीवुड, और पारंपरिक कला को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है। अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना ने भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को बढ़ाया है।
शैक्षिक पहल: भारतीय शैक्षिक संस्थान, जैसे आईआईटी और आईआईएम, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं। भारत सरकार ने विभिन्न स्कॉलरशिप योजनाओं और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग की पहल की है।
डायस्पोरा और सहयोग: भारतीय प्रवासी समुदाय की भूमिका को सशक्त बनाना और उनके साथ मजबूत संबंध बनाना, जैसे कि प्रवासी भारतीयों के लिए विभिन्न पहलें और कार्यक्रम।
विविधता और लोकतंत्र: भारत ने अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और बहुलता को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक सकारात्मक छवि बनी है।
विपणन और ब्रांडिंग: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया, प्रचार अभियानों, और वैश्विक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से अपनी छवि को उभारने का प्रयास किया है।
इन पहलों ने भारत की सॉफ्ट पावर को सशक्त किया है, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है और इसके प्रभाव को स्वीकार्यता प्राप्त हुई है। यह रणनीति भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण घटक बन गई है, जो केवल क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ावा देने के बजाय, वैश्विक मान्यता और सहयोग को भी प्रोत्साहित करती है।
See lessमहत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना एक वैश्विक सुविधा (ग्लोबल गुड) बन गई है जिसकी सुरक्षा के लिए वैश्विक मानदंडों की मावश्यकता है। महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा के लिए G20 क्या भूमिका निभा सकता है? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) की सुरक्षा के लिए G20 महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: वैश्विक मानदंडों की स्थापना: G20 वैश्विक मानदंड और नीतियों को विकसित कर सकता है जो सदस्य देशों में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। सूचना साझाकरण और सहयोग: G20Read more
महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (Critical Information Infrastructure) की सुरक्षा के लिए G20 महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
वैश्विक मानदंडों की स्थापना: G20 वैश्विक मानदंड और नीतियों को विकसित कर सकता है जो सदस्य देशों में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।
सूचना साझाकरण और सहयोग: G20 प्लेटफ़ॉर्म पर सदस्य देश साइबर हमलों, खतरों और कमजोरियों के बारे में जानकारी साझा कर सकते हैं और सहयोग बढ़ा सकते हैं।
कपैसिटी बिल्डिंग: G20 देशों को तकनीकी और संसाधन सहायता प्रदान कर सकता है ताकि वे अपने सूचना सुरक्षा ढांचे को मजबूत कर सकें।
वैश्विक मानकों को लागू करना: G20 वैश्विक मानकों और प्रोटोकॉल को लागू करने में सहायक हो सकता है, जिससे विभिन्न देशों के बीच समन्वय और सुरक्षा बढ़े।
इस प्रकार, G20 एक सहयोगात्मक मंच के रूप में महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
See lessहाल के घटनाक्रमों से ज्ञात होता है कि कुछ बाधाओं के बावजूद, भारत-भूटान संबंधों में अभी भी निरंतरता बनी हुई हैं। चचों कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
हाल के घटनाक्रमों में भारत-भूटान संबंधों में निरंतरता के कुछ प्रमुख कारण हैं: सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग: भूटान की सुरक्षा में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों देशों के बीच साझा रणनीतिक हित और रक्षा सहयोग मजबूत हैं, विशेषकर चीन के प्रति। आर्थिक सहायता और विकास परियोजनाएं: भारत भूटान को आर्थिक सहायतRead more
हाल के घटनाक्रमों में भारत-भूटान संबंधों में निरंतरता के कुछ प्रमुख कारण हैं:
सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग: भूटान की सुरक्षा में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों देशों के बीच साझा रणनीतिक हित और रक्षा सहयोग मजबूत हैं, विशेषकर चीन के प्रति।
आर्थिक सहायता और विकास परियोजनाएं: भारत भूटान को आर्थिक सहायता प्रदान करता है और विभिन्न विकास परियोजनाओं, जैसे जल विद्युत परियोजनाओं, में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध: भूटान और भारत के बीच गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
राजनीतिक सहयोग: भूटान में भारतीय राजनीतिक प्रभाव और समर्थन लगातार जारी है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता बनी रहती है।
हालांकि, कुछ बाधाओं जैसे कि भूटान की स्वतंत्रता की चिंता और भारत-चीन संबंधों में तनाव मौजूद हैं, लेकिन इन कारणों से संबंधों में निरंतरता बनी रहती है।
See lessदक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर में सुरक्षा खतरों के स्वरूप और उनकी बारंबारता में वृद्धि के मद्देनजर, इस क्षेत्र में लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) के संबंध में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) शामिल हैं जैसे मालदीव, सेशेल्स, और मॉरीशस, सुरक्षा और पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहा है। इन द्वीपीय देशों को समुद्री अपराध, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत, एक प्Read more
दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) शामिल हैं जैसे मालदीव, सेशेल्स, और मॉरीशस, सुरक्षा और पर्यावरणीय खतरों का सामना कर रहा है। इन द्वीपीय देशों को समुद्री अपराध, जलवायु परिवर्तन, और समुद्री संसाधनों के प्रबंधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत, एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में, इन देशों के साथ सुरक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत की भूमिका:
इन प्रयासों के माध्यम से, भारत ने दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा मिला है।
See less'एक्ट फार इंस्ट' पॉलिसी को अपनाना भारत के लिए सुदूर पूर्व क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है। विवंचना कीजिए। साथ ही, सुदूर पूर्व में भारत के हितों के समक्ष विद्यमान बाधाओं को भी रेखांकित कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'एक्ट ईस्ट' पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमाRead more
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी, जिसे भारत ने 2014 में शुरू किया, सुदूर पूर्व एशिया के प्रति अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनः परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति का उद्देश्य भारत और सुदूर पूर्व एशियाई देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना है। सुदूर पूर्व, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, और अन्य देशों शामिल हैं, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी का एक प्रमुख भाग है।
भारत के सुदूर पूर्व क्षेत्र के प्रति महत्व:
विद्यमान बाधाएँ:
इन बाधाओं को पार करने और अपने रणनीतिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए, भारत को सुदूर पूर्व एशिया के साथ कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को लगातार मजबूत करना होगा। ‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी के तहत की गई पहलें, इस क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने और उसकी समग्र रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक होंगी।
See lessभारतीय डायस्पोरा भारत के आर्थिक हितों का लाभ उठाने और इसकी विदेश नीति को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस संदर्भ में, भारतीय डायस्पोरा द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों और उनके साथ जुड़ाव को बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है। हालांकि, भाRead more
भारतीय डायस्पोरा, जो विभिन्न देशों में फैला हुआ है, भारत के आर्थिक और विदेश नीति के हितों को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डायस्पोरा भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारत के सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक होता है।
हालांकि, भारतीय डायस्पोरा को कुछ प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना, स्थानीय समाज में समरसता स्थापित करना, और भारतीय मूल के नागरिकों की पहचान और अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रवासियों को स्थानीय कानूनी और प्रशासनिक सिस्टम के साथ समन्वय में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, और कभी-कभी सांस्कृतिक भिन्नताओं के कारण उन्हें भेदभाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय सरकार ने ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया है जो डायस्पोरा के साथ सांस्कृतिक और व्यावसायिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करते हैं। इसके अतिरिक्त, NRI (नॉन-रेसिडेंट इंडियन) और PIO (पीआईओ) कार्डों के माध्यम से, प्रवासियों को भारत में विशेष सुविधाएँ और अधिकार प्रदान किए गए हैं। भारत सरकार ने विभिन्न देशों में भारतीय मिशनों को मजबूत किया है ताकि प्रवासियों को सहायता और मार्गदर्शन मिल सके।
इन प्रयासों के माध्यम से, भारतीय सरकार अपने डायस्पोरा के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने और उनके हितों को संरक्षित करने में सक्षम रही है, जिससे भारतीय डायस्पोरा की वैश्विक भूमिका और प्रभाव को बढ़ावा मिला है।
See lessभारत को पड़ोस प्रथम" नीति को मजबूती प्रदान करने के लिए नेपाल के साथ एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाओं का उल्लेख कीजिए और आगे की राह सुझाइए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाएँ और भविष्य की दिशा: हालिया बाधाएँ: सीमा विवाद: भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद ने द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। नेपाल द्वारा 2019 में अपने नए राजनीतिक मानचित्र में भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिंपियाधुरा, और लिंपियाधुरा को शामिल करने की घोषणा के बाद सेRead more
भारत-नेपाल संबंधों में हालिया बाधाएँ और भविष्य की दिशा:
हालिया बाधाएँ:
आगे की राह:
निष्कर्ष:
भारत को “पड़ोस प्रथम” नीति के तहत नेपाल के साथ एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने के लिए अपने दृष्टिकोण में सुसंगतता और सावधानी बरतनी चाहिए। सीमा विवाद, राजनीतिक मतभेद और परियोजना की देरी जैसी बाधाओं को पार करने के लिए स्थिरता और सहयोग की ओर कदम बढ़ाना आवश्यक है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी बढ़ावा देगा।
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