हाल के समय में भारत और यू.के, की न्यायिक व्यवस्थाएं अभिसरणीय एवं अपसरणीय होती प्रतीत हो रही हैं। दोनों राष्ट्रों की न्यायिक कार्यप्रणालियों के आलोक में अभिसरण तथा अपसरण के मुख्य बिदुओं को आलोकित कीजिये ।(150 words) [UPSC 2020]
भारतीय प्रवासियों द्वारा पश्चिम में प्राप्त नई ऊंचाइयों के आर्थिक और राजनीतिक लाभ आर्थिक लाभ: "प्रवासी निवेश": भारतीय प्रवासियों ने पश्चिमी देशों में सफल करियर बनाने के बाद अपने मूल देश में निवेश बढ़ाया है। यह निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देता है और रोजगार अवसर पैदा करता है। उदाहरण के तौर पRead more
भारतीय प्रवासियों द्वारा पश्चिम में प्राप्त नई ऊंचाइयों के आर्थिक और राजनीतिक लाभ
आर्थिक लाभ:
- “प्रवासी निवेश”: भारतीय प्रवासियों ने पश्चिमी देशों में सफल करियर बनाने के बाद अपने मूल देश में निवेश बढ़ाया है। यह निवेश भारत की आर्थिक वृद्धि को समर्थन देता है और रोजगार अवसर पैदा करता है। उदाहरण के तौर पर, भारतीय प्रवासियों ने प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया है।
- “रेमिटेंस प्रवाह”: प्रवासियों द्वारा भेजे गए धन (रेमिटेंस) से भारत को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है, जो आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देती है। यह धन गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी मदद करता है।
राजनीतिक लाभ:
- “वैश्विक प्रभाव”: पश्चिम में सफल भारतीय प्रवासियों ने भारत की वैश्विक छवि को सुदृढ़ किया है और भारतीय हितों को प्रमोट करने में सहायता की है। यह भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति को सशक्त करता है।
- “द्विपक्षीय संबंध”: भारतीय प्रवासियों के पश्चिम में प्रभावशाली पदों पर होने से भारत और पश्चिमी देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ है। वे सांस्कृतिक और व्यापारिक कूटनीति को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष: भारतीय प्रवासियों की पश्चिम में सफलता से भारत को आर्थिक लाभ मिलते हैं, जैसे कि निवेश और रेमिटेंस, साथ ही राजनीतिक लाभ भी प्राप्त होते हैं, जैसे कि वैश्विक प्रभाव और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार।
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भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं। अभिसरण: विधि की सर्वोच्चता: दोनोंRead more
भारत और यू.के. की न्यायिक व्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है, क्योंकि भारत की न्यायिक प्रणाली ब्रिटिश कानूनी परंपराओं पर आधारित है। हाल के समय में, दोनों देशों की न्यायिक प्रणालियों में अभिसरण (convergence) और अपसरण (divergence) दोनों देखे जा सकते हैं।
अभिसरण:
See lessविधि की सर्वोच्चता: दोनों देशों में विधि का शासन (Rule of Law) महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो न्यायपालिका को कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र बनाता है।
न्यायिक समीक्षा: भारत और यू.के. दोनों में न्यायालयों को संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की समीक्षा करने और असंवैधानिक विधानों को निरस्त करने का अधिकार है।
अपसरण:
संविधानिक संरचना: यू.के. का कोई लिखित संविधान नहीं है, जबकि भारत का एक विस्तृत लिखित संविधान है, जो न्यायालयों को व्यापक अधिकार प्रदान करता है।
न्यायिक सक्रियता: भारत में न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) अधिक है, जहां अदालतें सामाजिक और आर्थिक मुद्दों में भी हस्तक्षेप करती हैं, जबकि यू.के. में न्यायालय आमतौर पर विधायिका के फैसलों का सम्मान करते हैं और सीमित हस्तक्षेप करते हैं।
मानवाधिकार: यू.के. में यूरोपीय मानवाधिकार अधिनियम 1998 के तहत न्यायालय मानवाधिकार मामलों में फैसले लेते हैं, जबकि भारत में संविधान के मौलिक अधिकारों के तहत न्यायालय मानवाधिकार की रक्षा करते हैं।
इन अभिसरण और अपसरण के बिंदुओं ने दोनों न्यायिक प्रणालियों को समय के साथ अनोखा और गतिशील बनाया है।