Home/अंतरराष्ट्रीय संबंध/Page 2
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर प्रभाव परिचय जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित करता है। इन देशों की संवेदनशीलता और सीमित संसाधन उन्हें अधिक प्रभावी बनाते हैं। **1. आर्थिक प्रभाव विकासशील देश अक्सर जलRead more
जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर प्रभाव
परिचय
जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित करता है। इन देशों की संवेदनशीलता और सीमित संसाधन उन्हें अधिक प्रभावी बनाते हैं।
**1. आर्थिक प्रभाव
विकासशील देश अक्सर जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कृषि और पर्यटन पर निर्भर होते हैं। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश और भारत में बाढ़ और चक्रवात जैसी चरम मौसम घटनाओं से फसलों को भारी नुकसान होता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और कृषि आधारित आजीविका पर प्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन 2030 तक 100 मिलियन से अधिक लोगों को गरीबी में धकेल सकता है, जिनमें अधिकांश विकासशील देशों में हैं।
**2. स्वास्थ्य पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाता है। उप-सहारा अफ्रीका में, गर्म तापमान और असामान्य वर्षा के पैटर्न से मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का क्षेत्र बढ़ गया है। इसके अलावा, हीटवेव और बाढ़ से जलजनित बीमारियों जैसे कोलेरा की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो कमजोर आबादी को प्रभावित करती हैं।
**3. पर्यावरणीय विघटन
विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय विघटन तेज हो रहा है। उदाहरण के लिए, पेसिफिक के छोटे द्वीप राष्ट्र जैसे कि किरीबाती में समुद्र स्तर में वृद्धि हो रही है, जो उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रही है। तटीय कटाव और लवणीय जल प्रवेश कृषि उत्पादकता और अवसंरचना को प्रभावित कर रहे हैं।
**4. सामाजिक विस्थापन
चरम मौसम घटनाएँ और पर्यावरणीय परिवर्तन मजबूरन प्रवास का कारण बनते हैं। सीरिया जैसे देशों में, लंबे समय तक सूखा सामाजिक अशांति और संघर्ष का कारण बना है, जिससे आंतरिक विस्थापन और सीमा पार प्रवास हुआ है।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों को विभिन्न मोर्चों पर प्रभावित करता है, जो उनके आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक ढांचे को प्रभावित करता है। इन प्रभावों का समाधान अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता है।
See lessक्या भारत सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है? इस संबंध में तर्किक उत्तर दीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए दावे की समीक्षा **1. भारत का वैश्विक प्रभाव भारत अपनी वृद्धि होती आर्थिक शक्ति और वैश्विक रणनीतिक भूमिका के कारण सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनोRead more
भारत की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए दावे की समीक्षा
**1. भारत का वैश्विक प्रभाव
भारत अपनी वृद्धि होती आर्थिक शक्ति और वैश्विक रणनीतिक भूमिका के कारण सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है। वर्तमान में, भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत की सक्रियता संयुक्त राष्ट्र शांति-रक्षा मिशनों में और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। उदाहरण के लिए, भारत ने “वन प्लानेट समिट” में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
**2. अन्य देशों का समर्थन
भारत के स्थायी सदस्यता के दावे को कई देशों और क्षेत्रीय समूहों का समर्थन प्राप्त है। G4 समूह (भारत, जर्मनी, ब्राज़ील, और जापान) ने UNSC के सुधार और स्थायी सदस्यता के विस्तार के लिए एकजुट प्रयास किए हैं। इसके अलावा, अफ्रीकी संघ ने भी भारत की सदस्यता के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई प्रमुख देशों और समूहों ने भारत के दावे को स्वीकार किया है।
**3. चुनौतियाँ और विरोध
**a. P5 सदस्य देशों का प्रतिरोध
सभी P5 सदस्य देशों ने UNSC में स्थायी सदस्यता के विस्तार के प्रति सतर्कता दिखाई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे शक्ति संतुलन में परिवर्तन हो सकता है।
**b. क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों का विरोध
भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का विरोध पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों द्वारा किया जाता है, जो मानते हैं कि भारत की सदस्यता से निर्णय प्रक्रियाओं में पक्षपात हो सकता है।
**4. हाल की घटनाएँ
हाल के वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने UNSC के सुधार पर चर्चा की है, लेकिन स्थायी सदस्यता के विस्तार पर एक सामान्य सहमति अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता की बात की है, लेकिन ठोस निर्णय अभी तक नहीं हुआ है।
निष्कर्ष
भारत का सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावे को उसके वैश्विक प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय योगदान, और कई देशों के समर्थन द्वारा मजबूती मिली है। हालांकि, P5 सदस्यों की सतर्कता और क्षेत्रीय विरोधी ताकतें इस दावे के रास्ते में बाधा बनी हुई हैं।
See lessभारत-नेपाल द्वि-पक्षीय संबंधों के मुख्यतनाव के बिंदु कौन-कौन से हैं? (125 Words) [UPPSC 2019]
भारत-नेपाल द्वि-पक्षीय संबंधों के मुख्य तनाव बिंदु **1. सीमा विवाद सीमा विवाद मुख्य तनाव बिंदु है। सुगौली संधि (1815-16) के तहत निर्धारित सीमा पर विवाद मौजूद है, विशेष रूप से लिम्पियाधुरा, कालापानी, और लिंचुंग क्षेत्रों को लेकर। नेपाल ने भारत द्वारा नक्शे में किए गए बदलावों का विरोध किया है। **2. नदRead more
भारत-नेपाल द्वि-पक्षीय संबंधों के मुख्य तनाव बिंदु
**1. सीमा विवाद
सीमा विवाद मुख्य तनाव बिंदु है। सुगौली संधि (1815-16) के तहत निर्धारित सीमा पर विवाद मौजूद है, विशेष रूप से लिम्पियाधुरा, कालापानी, और लिंचुंग क्षेत्रों को लेकर। नेपाल ने भारत द्वारा नक्शे में किए गए बदलावों का विरोध किया है।
**2. नदी विवाद
नदी विवाद भी तनाव का कारण है। गंडक और कुसहा नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर समस्याएँ बनी रहती हैं, जो बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के कारण और जटिल हो गई हैं।
**3. सामाजिक और राजनीतिक विवाद
सामाजिक और राजनीतिक विवाद जैसे सामाजिक सहायता और आर्थिक सहायता के मुद्दे भी तनाव उत्पन्न करते हैं। हाल ही में, नेपाल के संविधान में भारतीय नागरिकों की भूमिका और अधिकारों पर उठे सवालों ने तनाव को बढ़ाया है।
**4. चिंताएँ और नकारात्मक बयान
भारत-नेपाल के बीच नकारात्मक बयान और चिंताएँ जैसे आतंकवाद और सुरक्षा मुद्दे भी रिश्तों में तनाव उत्पन्न करते हैं।
सारांश में, सीमा विवाद, नदी विवाद, सामाजिक-पॉलिटिकल मुद्दे और नकारात्मक बयान भारत-नेपाल द्वि-पक्षीय संबंधों के मुख्य तनाव बिंदु हैं।
See lessअब्राहम समझौता पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नयी शुरुआत हैं। व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत 1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance): अब्राहम समझौते: अब्राहम समझौते 2020 में इज़राइल और कई अरब देशों, जैसे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन के बीच किए गए सामान्यीकरण समझौतों की श्रृंखला हैं। ये समझौते पश्चिम एशिया के भू-राजनीतRead more
अब्राहम समझौते: पश्चिम एशिया की राजनीति में एक नई शुरुआत
1. पृष्ठभूमि और महत्व (Background and Significance):
2. क्षेत्रीय संबंधों पर प्रभाव (Impact on Regional Relations):
3. सामरिक पुनर्व्यवस्थाएं (Strategic Realignments):
4. इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष पर प्रभाव (Impact on the Israeli-Palestinian Conflict):
5. वैश्विक प्रभाव (Broader Global Implications):
निष्कर्ष: अब्राहम समझौते पश्चिम एशिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो इज़राइल और कई अरब देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं। ये समझौते व्यावहारिक क्षेत्रीय सहयोग और सामरिक पुनर्व्यवस्थाओं की ओर एक बदलाव का संकेत देते हैं, हालांकि इज़राइल-फिलीस्तीनी संघर्ष से संबंधित चुनौतियां अभी भी जारी हैं। इन समझौतों ने पारंपरिक गठबंधनों को फिर से परिभाषित किया है और क्षेत्रीय राजनीति में नई भू-राजनीतिक गतिशीलता की शुरुआत की है।
See lessअफगानिस्तान में भारत के 'साफ्ट पावर' राजनय के कारणों का मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
अफगानिस्तान में भारत के 'सॉफ्ट पावर' राजनय के कारणों का मूल्यांकन 1. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध (Historical and Cultural Ties): सांस्कृतिक प्रभाव: भारत ने अफगानिस्तान के साथ साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का लाभ उठाया है। भारतीय फिल्में और टेलीविजन कार्यक्रम अफगानिस्तान में लोकप्रिय रहे हैं,Read more
अफगानिस्तान में भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ राजनय के कारणों का मूल्यांकन
1. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध (Historical and Cultural Ties):
2. विकासात्मक सहायता (Development Assistance):
3. शैक्षिक और क्षमता निर्माण (Educational and Capacity Building):
4. मानवitarian सहायता (Humanitarian Assistance):
5. सामरिक हित और प्रतिकूलताओं का मुकाबला (Strategic Interests and Countering Adversaries):
निष्कर्ष: अफगानिस्तान में भारत की सॉफ्ट पावर राजनय ऐतिहासिक संबंधों, विकासात्मक सहायता, शैक्षिक समर्थन, मानवitarian सहायता, और सामरिक हितों का संयोजन है। इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ने अफगानिस्तान में अपनी सकारात्मक छवि बनाई है और क्षेत्रीय राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
See lessआर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण 1. संरचना (Structure): स्थापना: आर्कटिक परिषद की स्थापना 1996 में ओटावा घोषणा के माध्यम से हुई थी। इसका उद्देश्य आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है। सदस्य: परिषद में आठ सदस्य राज्य शामिल हैं: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीRead more
आर्कटिक परिषद की संरचना एवं कार्यकरण
1. संरचना (Structure):
2. कार्य (Functions):
3. कार्यकारी समूह (Working Groups):
4. अध्यक्षता और बैठकें (Chairmanship and Meetings):
5. चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms):
निष्कर्ष: आर्कटिक परिषद आर्कटिक राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी संरचना, जिसमें सदस्य राज्यों और स्वदेशी समूहों दोनों का प्रतिनिधित्व शामिल है, व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव और विभिन्न राष्ट्रीय हित परिषद की प्रभावशीलता के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं।
See lessभारत एवं नेपाल के मध्य तनावपूर्ण संबंधों के पीछे चीनी कारक की भूमिका की विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों में चीनी कारक की भूमिका 1. सीमा विवाद और चीनी प्रभाव (Boundary Disputes and Chinese Influence): चीनी अवसंरचना परियोजनाएँ: नेपाल में चीन की टिब्बत-नेपाल रेलवे जैसी परियोजनाएँ भारत के लिए चिंता का विषय हैं, क्योंकि ये परियोजनाएँ नेपाल की सामरिक स्थिति को प्रभावित करती हRead more
भारत-नेपाल के तनावपूर्ण संबंधों में चीनी कारक की भूमिका
1. सीमा विवाद और चीनी प्रभाव (Boundary Disputes and Chinese Influence):
2. स्ट्रैटेजिक गठबंधनों का विस्तार (Strategic Alliances):
3. भारत-नेपाल संबंधों पर प्रभाव (Impact on India-Nepal Relations):
निष्कर्ष: चीन के बढ़ते प्रभाव ने भारत-नेपाल संबंधों में तनाव को बढ़ावा दिया है, जो रणनीतिक गठबंधनों और सीमा विवादों को प्रभावित करता है।
See lessचतुर्भुज सुरक्षा संवाद' (क्वाड) के बारे में आप क्या जानते हैं? क्या मालाबार सैन्य अभ्यास विश्व राजनीति में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में सफल होगा? (200 Words) [UPPSC 2020]
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है। हाल कीRead more
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD)
परिभाषा: चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (QUAD) एक अप्रत्याशित रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसकी स्थापना 2007 में की गई थी, और इसका उद्देश्य आशियान-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
हाल की गतिविधियाँ: QUAD ने हाल ही में 2021 में अपनी पहली वर्चुअल समिट आयोजित की, जिसमें मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा पर जोर दिया गया। सामरिक साझेदारी और मारिटाइम सुरक्षा पर इसके ध्यान ने वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता को बढ़ाया है।
मालाबार सैन्य अभ्यास और चीन के प्रभाव पर इसका प्रभाव:
1. अभ्यास का उद्देश्य: मालाबार सैन्य अभ्यास एक त्रैतीयक समुद्री अभ्यास है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, और जापान शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया के जुड़ने से यह अभ्यास और भी प्रभावी हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य नौसैनिक सहयोग और संयुक्त कार्यकुशलता को बढ़ाना है।
2. चीन पर प्रभाव: मालाबार अभ्यास, चीन की बढ़ती ताकत और विवादित क्षेत्रीय दावों के खिलाफ एक सामूहिक रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। हालांकि, यह अभ्यास चीन के वैश्विक प्रभाव को सीधे तौर पर रोकने में सफल नहीं हो सकता, परंतु यह सुरक्षा सहयोग और सैन्य दबाव के माध्यम से सामरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
निष्कर्ष: QUAD और मालाबार अभ्यास चीन के बढ़ते प्रभाव का प्रतिरोध करने के लिए एक सामूहिक प्रयास हैं, परंतु उनके प्रभावी परिणाम दीर्घकालिक रणनीतिक संतुलन और गठबंधन की मजबूती पर निर्भर करेंगे।
See lessप्रधानमंत्री मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति के बीच सौहार्दपूर्ण मामल्लपुरम शिखर बैठक के बावजूद, कई वर्षों के अंतराल के बाद फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद गहरा गया है। आपके अनुसार इसके पीछे क्या कारण हैं? (200 Words) [UPPSC 2020]
चीन-भारत संबंध और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद मामल्लपुरम शिखर बैठक के बावजूद विवाद: 1. सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास: चीन ने LAC पर सड़क निर्माण और मौजूदगी को बढ़ाया है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। चांग चेन्ह जैसे क्षेत्रों में चीन का बुनियादी ढांचा विकास, विवादों को बढ़ाता है। 2. कRead more
चीन-भारत संबंध और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवाद
मामल्लपुरम शिखर बैठक के बावजूद विवाद:
1. सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास: चीन ने LAC पर सड़क निर्माण और मौजूदगी को बढ़ाया है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। चांग चेन्ह जैसे क्षेत्रों में चीन का बुनियादी ढांचा विकास, विवादों को बढ़ाता है।
2. कूटनीतिक संघर्ष: उलझी हुई सीमाओं और विवादित क्षेत्रों पर पारस्परिक समझौतों की कमी है। मामल्लपुरम बैठक के बावजूद, दोनों देशों के बीच विश्वसनीयता और सहयोग की कमी बनी रहती है।
3. रणनीतिक हितों का टकराव: चीन की विस्तारवादी नीतियां और भारत की सुरक्षा चिंताएं के कारण, संसाधनों और रणनीतिक लाभ को लेकर टकराव बढ़ गया है। भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीनी गतिविधियों का बढ़ना, इसे प्रमाणित करता है।
4. असहमति और संवाद की कमी: सीमा प्रबंधन और संवाद में कमियों के कारण विवाद गहराया है। डोकलाम और गलवान में हुए संघर्ष, संचार और सहयोग की कमी को उजागर करते हैं।
निष्कर्ष: इस विवाद के पीछे संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दे, विकासात्मक प्रयास, और असंतुलित संवाद प्रमुख कारण हैं, जो सीमा पर तनाव को बढ़ाते हैं।
See lessभारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत-अमरीका "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" पर टिप्पणी 1. "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" का परिचय: "2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद" एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदानRead more
भारत-अमरीका “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” पर टिप्पणी
1. “2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” का परिचय:
“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” एक द्विपक्षीय बातचीत है जिसमें भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रालयों के मंत्री शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूती प्रदान करना है।
2. महत्वपूर्ण निर्णय और प्रभाव:
3. हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष:
See less“2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद” भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश नीति में स्ट्रैटेजिक साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और भूराजनीतिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।