2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए देशांतरी (लॉगिट्यूडिनल) अंकन अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन द्वारा अरब सागर में 65 डिग्री पूर्व से 78 डिग्री पूर्व तक खिसका दिया गया था। भारत के समुद्री सुरक्षा सरोकारों पर इसका क्या ...
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है। पहला बRead more
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है।
पहला बड़ा प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की निगरानी और सुधार हेतु कई संधियाँ और समझौते किए गए। इनमें FATF (Financial Action Task Force) जैसी संस्थाओं का गठन हुआ, जो देशों को आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। इन संगठनों ने नियमों को लागू करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कड़े निर्देश दिए हैं।
हालांकि, इसके बावजूद आतंकवाद का वित्तपोषण जारी है, और इसका प्रमुख कारण आतंकवादियों के लिए उपलब्ध कई वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोत हैं। अवैध व्यापार, जबरन वसूली, अपहरण, और ड्रग्स की तस्करी जैसे अवैध तरीकों से भी आतंकवादी संगठनों को धन मिलता है। इसके अलावा, कुछ देश या संगठन भी अपने राजनीतिक या धार्मिक एजेंडा के तहत इन्हें गुप्त रूप से समर्थन प्रदान करते हैं।
तकनीकी और डिजिटल वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग भी एक बड़ी चुनौती है। क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल माध्यमों के माध्यम से आतंकवादी संगठन धन हस्तांतरित कर सकते हैं, जिससे वित्तीय निगरानी और भी कठिन हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग, तकनीकी नवाचार, और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयास और कानूनों का कठोर क्रियान्वयन ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
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2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव: 1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान: अंकन का स्थानांतरण: 2012 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के लिए longitudinal अंकन को अरब सागर में 65 डिग्री पूर्वRead more
2012 में समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के खिसकने का भारत की समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव:
1. समुद्री सुरक्षा पर बढ़ता ध्यान:
2. भारतीय समुद्री हितों के लिए बढ़ा जोखिम:
3. रणनीतिक और परिचालनात्मक प्रभाव:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: IMO द्वारा समुद्री डकैती के उच्च जोखिम क्षेत्रों के अंकन के स्थानांतरण का भारत की समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। बढ़ते डकैती के जोखिमों के मद्देनजर, नौसैनिक तैनाती को बढ़ाना, क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना, और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पहलों में भागीदारी महत्वपूर्ण रणनीतियाँ हैं।
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