भारत सरकार ने हाल ही में विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यू० ए० पी० ए०), 1967 और एन० आइ० ए० अधिनियम के संशोधन के द्वारा आतंकवाद-रोधी कानूनों को मजबूत कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों द्वारा विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम का विरोध ...
भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियाँ बाह्य राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ: सीमा पार आतंकवाद: पाकिस्तान: पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद एक प्रमुख चुनौती है। हाल ही में 2023 में जम्मू और कश्मीर में हुए हमले में पाकिस्तान आधारित आतंRead more
भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियाँ
बाह्य राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ:
- सीमा पार आतंकवाद:
- पाकिस्तान: पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद एक प्रमुख चुनौती है। हाल ही में 2023 में जम्मू और कश्मीर में हुए हमले में पाकिस्तान आधारित आतंकवादी समूहों का हाथ था, जो इस संकट को दर्शाता है।
- भू-राजनीतिक प्रतिकूलताएँ:
- चीन: चीन की आक्रामकता, विशेषकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर, आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनी है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प ने क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया, जिससे भारत की सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गईं।
गैर-राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ:
- विद्रोही समूह:
- नक्सलवाद: “रेड कॉरिडोर” में नक्सली गतिविधियाँ आन्तरिक सुरक्षा को चुनौती देती हैं। हाल ही में 2024 में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हुए हमले ने गैर-राज्य कारकों से उत्पन्न होने वाली हिंसा और अस्थिरता को उजागर किया।
- कट्टरपंथ और चरमपंथ:
- आतंकी नेटवर्क: ISIS जैसे कट्टरपंथी नेटवर्कों द्वारा युवाओं की कट्टरता और चरमपंथी विचारधाराओं का प्रसार एक बड़ा खतरा है। 2022 में केरल में ISIS से जुड़े व्यक्तियों की गिरफ्तारी ने घरेलू कट्टरपंथ के बढ़ते खतरे को प्रदर्शित किया।
इन संकटों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक उपाय:
- सीमा सुरक्षा को मजबूत करना:
- सीमा सुरक्षा बुनियादी ढाँचे और निगरानी प्रणालियों को सुदृढ़ करना आवश्यक है। सीमा पर बाड़ लगाने और उन्नत निगरानी प्रणालियों की तैनाती से घुसपैठ और सीमा पार आतंकवाद को रोका जा सकता है।
- सामरिक कूटनीति:
- भू-राजनीतिक प्रतिकूलताओं को प्रबंधित करने के लिए सशक्त कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है। पाकिस्तान और चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता और बहुपक्षीय सहयोग इन मुद्दों को सुलझाने में सहायक हो सकते हैं।
- विद्रोही कार्रवाई के उपाय:
- विद्रोही गतिविधियों के खिलाफ काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशंस को तेज करना और स्थानीय समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है। स्थानीय विकास और सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में निवेश नक्सलवाद को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- कट्टरपंथ-रोधी कार्यक्रम:
- कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रसार को रोकने के लिए कट्टरपंथ-रोधी कार्यक्रमों को लागू करना और खुफिया साझेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
- कानूनी और नीतिगत सुधार:
- राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से संबंधित कानूनों को अद्यतन और प्रभावी रूप से लागू करना चाहिए। जैसे कि अवैध गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) को नियमित समीक्षा के साथ अद्यतित किया जाना चाहिए।
इन बहुआयामी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए रणनीतिक, परिचालन और नीतिगत उपायों के संयोजन की आवश्यकता है, ताकि भारत की आन्तरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
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संशोधन और मानवाधिकार संगठनों का विरोध: यूएपीए और एनआईए अधिनियम 1. यूएपीए और एनआईए अधिनियम में हालिया संशोधन: संशोधन: हाल ही में, भारत सरकार ने विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए), 1967 और राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) अधिनियम में संशोधन किए हैं। ये संशोधन आतंकवाद-रोधी कानूनों को मजबूRead more
संशोधन और मानवाधिकार संगठनों का विरोध: यूएपीए और एनआईए अधिनियम
1. यूएपीए और एनआईए अधिनियम में हालिया संशोधन:
2. मानवाधिकार संगठनों का विरोध:
3. संशोधनों का विश्लेषण:
4. आलोचनाओं और न्यायिक चुनौती:
5. संतुलन और सुधार की आवश्यकता:
इन संशोधनों के परिणामस्वरूप, सुरक्षा बलों को सशक्त किया गया है, लेकिन मानवाधिकार की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक नियम और निगरानी की आवश्यकता बनी रहती है।
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