स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में व्याप्त विद्रोह की स्थिति को विस्तार से समझाइये । (200 Words) [UPPSC 2022]
भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism, LWE) में हुई कमी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। सबसे पहले, सरकार द्वारा उठाए गए कड़े सुरक्षा उपायों ने इस समस्या पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के बीच बेहतर समन्वय, खुफिया जानकारी का प्रभावी उपयोग, और आधुनिक तRead more
भारत में वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism, LWE) में हुई कमी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। सबसे पहले, सरकार द्वारा उठाए गए कड़े सुरक्षा उपायों ने इस समस्या पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों के बीच बेहतर समन्वय, खुफिया जानकारी का प्रभावी उपयोग, और आधुनिक तकनीक का अपनाना LWE के खिलाफ अभियान में मददगार साबित हुआ है।
दूसरा, सरकार द्वारा आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना भी एक प्रमुख कारक है। सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आजीविका के साधनों में सुधार ने इन क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है। इससे स्थानीय जनता का समर्थन उग्रवादियों से हटकर सरकार की ओर स्थानांतरित हुआ है।
तीसरा, उग्रवादियों के आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा चलाए गए पुनर्वास कार्यक्रम भी इस कमी में योगदानकारी रहे हैं। इन कार्यक्रमों ने उग्रवादियों को मुख्यधारा में वापस लाने और समाज के पुनर्निर्माण में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
हालांकि, यह कहना कि LWE की समस्या का निकट भविष्य में पूरी तरह से अंत हो जाएगा, शायद समयपूर्व होगा। LWE का प्रभाव भले ही घट रहा हो, लेकिन इसके जड़ें अभी भी कई क्षेत्रों में मौजूद हैं। सरकार को सतत् विकास, सामाजिक न्याय, और सुरक्षा बलों के प्रभावी संचालन को बनाए रखना होगा ताकि LWE का प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो सके। निकट भविष्य में LWE की समस्या को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार अपनी रणनीति में निरंतरता बनाए रखे और नए उभरते खतरों के प्रति सतर्क रहे।
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स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति 1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: विविधता: पूर्वोत्तर भारत में सांस्कृतिक और भाषाई विविधता ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया। इस क्षेत्र में कई आदिवासी और जातीय समूह रहते हैं, जिनकी भाषा और संस्कृति अलग है। 2. आर्थिक और सामाजिक असमानता: विकास कRead more
स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति
1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
2. आर्थिक और सामाजिक असमानता:
3. विद्रोही आंदोलन:
4. केंद्र-राज्य संबंध:
5. शांति प्रयास:
निष्कर्ष: स्वतंत्रता के बाद पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति आर्थिक असमानता, सांस्कृतिक भिन्नता, और राजनीतिक असंतोष के कारण उत्पन्न हुई। इसके समाधान के लिए केंद्र-राज्य समन्वय, शांति वार्ताएं, और विकासात्मक प्रयास आवश्यक हैं।
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