भारत का उत्तर-पूर्वीय प्रदेश बहुत लम्बे समय से विद्रोह ग्रसित है। इस प्रदेश में सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जRead more
भारत में जनजातीय विकास पर चरमपंथ का प्रभाव गंभीर है। चरमपंथी समूह अक्सर जनजातीय क्षेत्रों में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो विकासात्मक परियोजनाओं को बाधित करता है और जनजातीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। इन समूहों के द्वारा विस्थापन, डर और हिंसा के चलते, स्थानीय जनजातीय लोग संसाधनों और बुनियादी सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।
समाधान के लिए उठाए गए कदम:
- सुरक्षा उपाय: भारतीय सरकार ने चरमपंथी गतिविधियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया है और विकासशील क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुधारने की दिशा में काम किया है।
- विकासात्मक पहल: जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष योजनाएं और परियोजनाएं लागू की गई हैं।
- स्थानीय सहभागिता: स्थानीय जनजातीय नेताओं और समुदायों के साथ सहयोग बढ़ाकर, विकासात्मक प्रयासों को अधिक प्रभावी और स्वीकार्य बनाने की कोशिश की जा रही है।
इन उपायों के माध्यम से, भारत ने चरमपंथ से प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने और सुरक्षा स्थिति को सुधारने का प्रयास किया है।
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परिचय भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं। सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण जातीय विविधता और पहचान की राजनीति इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतRead more
परिचय
भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं।
सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण
इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है। अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग विद्रोह को बढ़ावा देती है, जैसे एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) और उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) द्वारा।
उत्तर-पूर्व को भौगोलिक अलगाव और केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षा का अहसास होता है। इससे अलगाव की भावना और स्वतंत्रता की मांग उत्पन्न होती है।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होते हुए भी, इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति खराब है। आवश्यक आधारभूत संरचना और रोजगार की कमी विद्रोहियों के लिए एक मजबूत आधार बनाती है।
उत्तर-पूर्व की पारगम्य सीमाएं जैसे म्यांमार, बांग्लादेश, और चीन के साथ सशस्त्र विद्रोहियों को हथियारों की तस्करी और आसानी से आवाजाही की सुविधा देती हैं।
कुछ विद्रोही समूहों को पड़ोसी देशों से सहायता मिलती है, जिससे उन्हें हथियार, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, जिससे विद्रोह की निरंतरता बनाए रहती है।
निष्कर्ष
See lessउत्तर-पूर्व के सशस्त्र विद्रोह की निरंतरता की जटिलता जातीय तनाव, ऐतिहासिक उपेक्षा, अविकास, और बाहरी समर्थन के कारण है। इसका समाधान आर्थिक विकास, समावेशी शासन, और सुरक्षा उपायों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से किया जा सकता है।