क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थापन के लिए प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
समावेशी विकास के लिए महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है, और इसके कई प्रमुख कारण हैं: आर्थिक वृद्धि: महिलाओं को शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, और रोजगार के अवसर प्रदान करने से उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को सुधारता है, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदानRead more
समावेशी विकास के लिए महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है, और इसके कई प्रमुख कारण हैं:
- आर्थिक वृद्धि: महिलाओं को शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, और रोजगार के अवसर प्रदान करने से उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है। यह न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को सुधारता है, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान करता है। अध्ययन बताते हैं कि जब महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ती है, तो आर्थिक विकास की गति तेज होती है।
- गरीबी में कमी: महिलाएं अक्सर परिवार की मुख्य देखभालकर्ता होती हैं। उनका सशक्तिकरण परिवार के संसाधनों के प्रबंधन और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे गरीबी में कमी और जीवनस्तर में सुधार होता है।
- स्वास्थ्य और शिक्षा: सशक्त महिलाओं के पास स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक नियंत्रण होता है। वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करती हैं और अपने बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करती हैं, जिससे समुदाय की समग्र भलाई में सुधार होता है।
- सामाजिक समानता: लिंग समानता एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में सहायक होती है। यह भेदभावपूर्ण प्रथाओं को चुनौती देती है और महिलाओं को समान अधिकार और अवसर प्रदान करती है, जिससे सामाजिक असमानताओं में कमी आती है।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व: महिलाओं का सशक्तिकरण राजनीतिक प्रतिनिधित्व और शासन में विविध दृष्टिकोणों को शामिल करने में मदद करता है। इससे अधिक समावेशी और प्रभावी नीतियों का निर्माण होता है।
इस प्रकार, महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण समावेशी विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार है, जो समाज के हर क्षेत्र में सुधार लाने में सहायक होता है।
See less
भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' क्यों कहा जाता है? अनुसूचित जनजातियाँ की परिभाषा भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' कहा जाता है क्योंकि वे भारतीय संविधान की अनुसूचित जनजातियों की सूची में विशेष रूप से उल्लिखित हैं। इस सूची में शामिल करना यह दर्शाता है कि ये समुदाय सामाजिक और आर्थिRead more
भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ क्यों कहा जाता है?
अनुसूचित जनजातियाँ की परिभाषा
भारत में जनजातियों को ‘अनुसूचित जनजातियाँ’ कहा जाता है क्योंकि वे भारतीय संविधान की अनुसूचित जनजातियों की सूची में विशेष रूप से उल्लिखित हैं। इस सूची में शामिल करना यह दर्शाता है कि ये समुदाय सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं और इनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। ‘अनुसूचित’ शब्द यह संकेत करता है कि ये समुदाय संविधान द्वारा निर्धारित विशेष प्रावधानों के तहत आते हैं।
संविधान में प्रमुख प्रावधान
हालिया उदाहरण
वन अधिकार अधिनियम (2006) ने जनजातीय समुदायों को वन भूमि और संसाधनों पर अधिकार प्रदान किया है, जिससे उनके पारंपरिक अधिकारों को मान्यता मिली और ऐतिहासिक अन्याय को ठीक किया गया।
ये संवैधानिक प्रावधान और कानून सुनिश्चित करते हैं कि अनुसूचित जनजातियाँ उचित प्रतिनिधित्व, सुरक्षा और विकास के अवसर प्राप्त कर सकें, जिससे उनका समग्र उत्थान संभव हो सके।
See less