धर्म तथा नृजातीय हिंसा की राजनीति मूलतः धर्मनिरपेक्षवाद तथा धर्मनिरपेक्षीकरण की राजनीति हैं। कथन कस समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व 1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। 2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनोRead more
स्मार्ट सिटी विकास हेतु मूल अधोसंरचनात्मक तत्व
1. कुशल शहरी गतिशीलता: एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, जैसे इंदौर BRTS (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम), यातायात जाम को कम करने और गतिशीलता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. सतत ऊर्जा प्रबंधन: स्मार्ट सिटी विकास में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा कुशल भवनों पर ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, कोयंबटूर ने अपनी स्मार्ट सिटी पहल के तहत सौर स्ट्रीट लाइटिंग लागू की है।
3. जल और कचरा प्रबंधन: प्रभावी जल आपूर्ति प्रणाली और कचरा प्रबंधन आवश्यक हैं। अहमदाबाद स्मार्ट सिटी परियोजना में स्वचालित कचरा संग्रहण और जल पुनर्चक्रण सुविधाएँ शामिल हैं।
4. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT): ICT अवसंरचना, जैसे पुणे में वायरलेस हॉटस्पॉट्स और सेंसर नेटवर्क, रीयल-टाइम डेटा संग्रहण और स्मार्ट शासन को सक्षम बनाते हैं।
5. सस्ती आवास: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) सभी के लिए आवास सुनिश्चित करती है, जिससे शहरी झुग्गियों में कमी और सम्मानजनक जीवन परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं।
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धर्मनिरपेक्षता का मूल सिद्धांत धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत किसी भी राज्य या समाज को धार्मिक समानता और तटस्थता पर आधारित होने की आवश्यकता का प्रतिक है। इसका उद्देश्य सभी धर्मों को समान सम्मान देना और धर्म के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है। 2. धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति धर्म और नृजातीय हिंसा कीRead more
धर्मनिरपेक्षता का मूल सिद्धांत
धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत किसी भी राज्य या समाज को धार्मिक समानता और तटस्थता पर आधारित होने की आवश्यकता का प्रतिक है। इसका उद्देश्य सभी धर्मों को समान सम्मान देना और धर्म के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है।
2. धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति
धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति आमतौर पर धार्मिक और जातीय आधार पर समाज में विभाजन और साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देती है। यह राजनीति धर्म और जाति के नाम पर संघर्ष और अशांति को उत्तेजित करती है, जिससे एकता और सामूहिक शांति प्रभावित होती है।
3. हाल के उदाहरण
धर्मनिरपेक्षता और धर्मनिरपेक्षीकरण के सिद्धांत के विपरीत, हिंसा और धार्मिक तनाव के उदाहरण हाल ही में देखने को मिले हैं। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विवादों ने धार्मिक भेदभाव और साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया। दिल्ली हिंसा (2020) भी इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे धार्मिक और जातीय आधार पर राजनीति हिंसा को जन्म देती है।
4. धर्मनिरपेक्षता की चुनौतियाँ
धर्मनिरपेक्षता की राजनीति को धार्मिक पहचान और जातीय राजनीति द्वारा चुनौती दी जाती है। जब राजनीतिक दल धार्मिक वोटबैंक को ध्यान में रखकर नीतियाँ बनाते हैं, तो इससे धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना प्रभावित होती है। पोलराइजेशन और साम्प्रदायिक बयानबाज़ी भी इस पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
5. समाधान और भविष्य
धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने के लिए, समाज में समरसता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। शिक्षा और संवाद के माध्यम से धार्मिक और जातीय सामंजस्य को प्रोत्साहित किया जा सकता है। सभी धर्मों और जातियों के अधिकारों की रक्षा करना धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार, धर्म और नृजातीय हिंसा की राजनीति धर्मनिरपेक्षता की मूल भावना के विपरीत जाती है और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है।
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