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परस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता को ध्यान में रखते हुए, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में माने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
परस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता के कारण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। प्रमुख चुनौतियों में से एक सामाजिक कलंक है, जिसके कारण लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को स्वीकारने और सहायता लेने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त मानसिकRead more
परस्पर संबद्ध विश्व में मानसिक कल्याण को प्रभावित करने वाले कारकों की बहुलता के कारण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। प्रमुख चुनौतियों में से एक सामाजिक कलंक है, जिसके कारण लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को स्वीकारने और सहायता लेने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों और विशेषज्ञों की कमी, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में, एक बड़ी बाधा है। आर्थिक असमानताएँ भी महत्वपूर्ण हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना कई लोगों के लिए कठिन हो जाता है। डिजिटल तकनीक के उपयोग में बढ़ोतरी के बावजूद, डिजिटल विभाजन के कारण कुछ समूहों को इन सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य को समग्र स्वास्थ्य का अभिन्न अंग मानने में जागरूकता की कमी और नीतिगत समर्थन की आवश्यकता भी चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। इन सभी कारकों का समग्र समाधान ही बेहतर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित कर सकता है।
See lessक्या हम वैश्विक पहचान के लिए अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं? चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2019]
यह एक बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कुछ विश्वास हैं कि वैश्विक पहचान के प्रति बढ़ते झुकाव के कारण हम अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे को मजबूत करते हैं। वैश्विकरण के कारण लोगों को अन्य संस्कृतियों और पहचानों से अधिक जुड़ाव महसूRead more
यह एक बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित विषय है। कुछ विश्वास हैं कि वैश्विक पहचान के प्रति बढ़ते झुकाव के कारण हम अपनी स्थानीय पहचान को खोते जा रहे हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।
वैश्विकरण के कारण लोगों को अन्य संस्कृतियों और पहचानों से अधिक जुड़ाव महसूस होने लगा है। सोशल मीडिया, इंटरनेट और आधुनिक संचार माध्यमों ने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ दिया है, जिसके कारण वे अपने स्थानीय पहचान के अलावा वैश्विक पहचान का भी एहसास करने लगे हैं।
इसके साथ ही, कई लोग अपनी स्थानीय पहचान को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि वैश्विक पहचान और स्थानीय पहचान एक-दूसरे का पूरक हैं। वे मानते हैं कि स्थानीय पहचान की पृष्ठभूमि में ही वैश्विक पहचान मजबूत होती है।
समग्र रूप से, यह एक जटिल प्रक्रिया है। वैश्विक एकीकरण के साथ-साथ लोग अपनी स्थानीय पहचान को भी महत्व देते हैं। यह एक संतुलन बनाने की प्रक्रिया है, जिसमें दोनों पहचानों को एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखा जाता है। इस प्रक्रिया में हमारी स्थानीय पहचान कभी-कभी कमजोर पड़ सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं खो जाती।
See lessक्या भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं ? औचित्यपूर्ण उत्तर दीजिए । (250 words) [UPSC 2020]
भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं, लेकिन यह संकट कई पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है: सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण: भारत की विविधता एक महत्वपूर्ण संपदा है, लेकिन वैश्वीकरण के प्रभाव ने कई पारंपरिक और स्थानीय संस्कृतियों को कमजोर कर दिया है। स्थानीय भाषाएं, कला रूप और जीRead more
भारत में विविधता एवं बहुलवाद वैश्वीकरण के कारण संकट में हैं, लेकिन यह संकट कई पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है:
निष्कर्ष के रूप में, भारत में विविधता और बहुलवाद एक वास्तविकता और ताकत हैं। वैश्वीकरण के संकट का सामना करने के लिए व्यापक रणनीति की जरूरत है जो संस्कृतिक संरक्षण, सामाजिक एकता, आर्थिक न्याय और राजनीतिक जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करे। यह चुनौती है लेकिन साथ ही एक अवसर भी है कि भारत अपनी विविधता और एकता को मजबूत करके एक आदर्श बन सके।
See lessपारिवारिक सम्बन्धों पर 'वर्क फ्रॉम होम' के असर की छानबीन तथा मूल्यांकन करें। (150 words)[UPSC 2022]
'वर्क फ्रॉम होम' (WFH) ने पारिवारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिनका छानबीन और मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है: सकारात्मक प्रभाव: परिवार के साथ अधिक समय: WFH से परिवार के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिलता है, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं। लचीलापन: घर से काम करने की लचीलापन सेRead more
‘वर्क फ्रॉम होम’ (WFH) ने पारिवारिक संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिनका छानबीन और मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है:
इन प्रभावों के साथ, WFH के प्रभावों को समझकर और उचित समय प्रबंधन व सीमाओं का पालन करके पारिवारिक जीवन को बेहतर बनाए रखा जा सकता है।
See lessयद्यपि वैश्वीकरण मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार है, तथापि यह मानवाधिकार आंदोलनों को इसके अतिक्रमण और नकारात्मक प्रभावों का मुकाबला करने की अनुमति देता है। प्रासंगिक उदाहरणों के साथ सविस्तार वर्णन कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
वैश्वीकरण के प्रभावी और विवादास्पद प्रभावों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इसने मानवाधिकार आंदोलनों को इन उल्लंघनों का मुकाबला करने का भी अवसर प्रदान किया है। उदाहरण के लिए: a. श्रम अधिकार: वैश्वीकरण ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के विस्तार के साथ श्रम शोषण कोRead more
वैश्वीकरण के प्रभावी और विवादास्पद प्रभावों ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इसने मानवाधिकार आंदोलनों को इन उल्लंघनों का मुकाबला करने का भी अवसर प्रदान किया है।
उदाहरण के लिए:
a. श्रम अधिकार: वैश्वीकरण ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के विस्तार के साथ श्रम शोषण को बढ़ावा दिया। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संगठनों जैसे कि यूनियन और गैर-सरकारी संगठनों ने इस पर ध्यान केंद्रित किया और मानक निर्धारित किए, जैसे मूलभूत श्रम अधिकार की रक्षा करना।
b. प्रवासियों के अधिकार: वैश्वीकरण ने प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि की। एम्नेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों ने प्रवासियों के खिलाफ होने वाली शोषण और भेदभाव को उजागर किया और नीतिगत सुधार की मांग की।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण ने मानवाधिकार उल्लंघनों को जन्म दिया, लेकिन मानवाधिकार आंदोलनों ने इस चुनौती का सामना करने और सुधार की दिशा में कार्य किया।
See less'आम तौर पर कहा जाता है कि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समांगीकरण को बढ़ावा देता है, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय समाज में उसके कारण सांस्कृतिक विशिष्टताएं सुदृढ़ हो गई हैं। सुस्पष्ट कीजिये । (250 words) [UPSC 2018]
वैश्वीकरण और भारतीय सांस्कृतिक विशिष्टताएँ: एक विश्लेषण परिचय: वैश्वीकरण को सामान्यतः सांस्कृतिक समांगीकरण (cultural homogenization) के रूप में देखा जाता है, जहां विभिन्न संस्कृतियों के बीच समानता और एकरूपता को बढ़ावा मिलता है। लेकिन भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव ने सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सुदृढ़ कRead more
वैश्वीकरण और भारतीय सांस्कृतिक विशिष्टताएँ: एक विश्लेषण
परिचय: वैश्वीकरण को सामान्यतः सांस्कृतिक समांगीकरण (cultural homogenization) के रूप में देखा जाता है, जहां विभिन्न संस्कृतियों के बीच समानता और एकरूपता को बढ़ावा मिलता है। लेकिन भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव ने सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सुदृढ़ किया है। यह स्थिति विभिन्न कारणों से उत्पन्न हुई है।
वैश्वीकरण का प्रभाव:
भारतीय सांस्कृतिक विशिष्टताओं की सुदृढ़ता:
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक समांगीकरण को बढ़ावा देने के बजाय सांस्कृतिक विशिष्टताओं को सुदृढ़ किया है। संस्कृतिक पुनरुत्थान, स्थानीयता का उभार, और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे पहलुओं के माध्यम से भारतीय समाज ने वैश्वीकरण के प्रभावों के बावजूद अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखा है और उसे बढ़ावा दिया है।
See lessक्रिप्टोकरेंसी क्या है ? वैश्विक समाज को यह कैसे प्रभावित करती है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रही है ? (250 words) [UPSC 2021]
परिभाषा और कार्यप्रणाली: क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करके सुरक्षित की जाती है। यह मुद्रा ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है, जो एक वितरित लेज़र होती है और लेन-देन की पारदर्शिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। Bitcoin, Ethereum, और Ripple जैसे प्रमुख क्रिपRead more
परिभाषा और कार्यप्रणाली:
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करके सुरक्षित की जाती है। यह मुद्रा ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है, जो एक वितरित लेज़र होती है और लेन-देन की पारदर्शिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। Bitcoin, Ethereum, और Ripple जैसे प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी उदाहरण हैं।
वैश्विक समाज पर प्रभाव:
भारतीय समाज पर प्रभाव:
निष्कर्ष:
क्रिप्टोकरेंसी एक नई और क्रांतिकारी मुद्रा प्रणाली है जो वैश्विक और भारतीय समाज को आर्थिक, वित्तीय, और नियामक दृष्टिकोण से प्रभावित कर रही है। जबकि यह नवाचार और निवेश के नए अवसर प्रदान करती है, इसके साथ-साथ वित्तीय अपराधों और नियामक अनिश्चितता जैसी चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं। इन प्रभावों को समझने और प्रबंधित करने के लिए वैश्विक और भारतीय नीति निर्माताओं को सतर्क और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
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