वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये। भारत में ग्रामीण सामाजिक संरचना पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
परिचय अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इRead more
परिचय
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इन दोनों का संबंध विशेष रूप से प्रासंगिक है।
अपर्याप्त संसाधनों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
भूमंडलीकरण ने औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण संसाधनों की मांग को बढ़ाया है। इससे संसाधनों का असमान वितरण हुआ है, जहां विकसित देशों को अधिक संसाधन मिलते हैं, जबकि विकासशील देशों को कमी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2022 की वैश्विक ऊर्जा संकट ने भारत जैसे देशों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना पड़ा।
संसाधन प्रबंधन में नई तकनीक की भूमिका
नई तकनीकें अपर्याप्त संसाधनों के कुशल उपयोग में अहम योगदान देती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर पैनल और पवन टरबाइन ने भारत में ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद की है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, सटीक कृषि में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग पानी और उर्वरकों के कुशल उपयोग में हो रहा है।
भारत में भूमंडलीकरण और तकनीक
भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल ने डिजिटल सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार किया। ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग सब्सिडी और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। भारत के संदर्भ में, नई तकनीकों को अपनाना और भूमंडलीकरण का लाभ उठाना सतत विकास की दिशा में सहायक है। हालांकि, दीर्घकालिक समृद्धि के लिए विकास और संसाधन संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
वैश्वीकरण (Globalization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों, राजनीतिक व्यवस्थाओं, और सामाजिक संरचनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ता है। इसमें आर्थिक, सूचनात्मक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक तत्व शामिल होते हैं, जो विभिन्न देशों और समाजों को आपस में जोड़तेRead more
वैश्वीकरण (Globalization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों, राजनीतिक व्यवस्थाओं, और सामाजिक संरचनाओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय संपर्क और आदान-प्रदान बढ़ता है। इसमें आर्थिक, सूचनात्मक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक तत्व शामिल होते हैं, जो विभिन्न देशों और समाजों को आपस में जोड़ते हैं और एक वैश्विक नेटवर्क का निर्माण करते हैं।
भारत में ग्रामीण सामाजिक संरचना पर वैश्वीकरण के प्रभाव:
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास, सामाजिक बदलाव, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार, और संस्कृतिक प्रभाव के माध्यम से कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाले हैं। इससे ग्रामीण समाज में समृद्धि और आधुनिकता का संचार हुआ है, लेकिन इसके साथ पारंपरिक मूल्यों और संस्कृतियों पर भी प्रभाव पड़ा है।
See less