वैश्वीकरण एवं निजीकरण को परिभाषित कीजिये। इन दोनों के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2022]
परिचय अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इRead more
परिचय
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इन दोनों का संबंध विशेष रूप से प्रासंगिक है।
अपर्याप्त संसाधनों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
भूमंडलीकरण ने औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण संसाधनों की मांग को बढ़ाया है। इससे संसाधनों का असमान वितरण हुआ है, जहां विकसित देशों को अधिक संसाधन मिलते हैं, जबकि विकासशील देशों को कमी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2022 की वैश्विक ऊर्जा संकट ने भारत जैसे देशों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना पड़ा।
संसाधन प्रबंधन में नई तकनीक की भूमिका
नई तकनीकें अपर्याप्त संसाधनों के कुशल उपयोग में अहम योगदान देती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर पैनल और पवन टरबाइन ने भारत में ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद की है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, सटीक कृषि में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग पानी और उर्वरकों के कुशल उपयोग में हो रहा है।
भारत में भूमंडलीकरण और तकनीक
भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल ने डिजिटल सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार किया। ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग सब्सिडी और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। भारत के संदर्भ में, नई तकनीकों को अपनाना और भूमंडलीकरण का लाभ उठाना सतत विकास की दिशा में सहायक है। हालांकि, दीर्घकालिक समृद्धि के लिए विकास और संसाधन संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
वैश्वीकरण एवं निजीकरण की परिभाषा एवं उद्देश्य वैश्वीकरण: वैश्वीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और सम्बंधों का वृद्धि होता है। इसके तहत वस्तुओं, सेवाओं, धन और विचारों की मुक्त बाज़ारी होती है और इसमें प्रौद्योगिकी के विकास, व्यापार संतुलन और आर्थिक नीतियों की सुविधाRead more
वैश्वीकरण एवं निजीकरण की परिभाषा एवं उद्देश्य
वैश्वीकरण:
वैश्वीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और सम्बंधों का वृद्धि होता है। इसके तहत वस्तुओं, सेवाओं, धन और विचारों की मुक्त बाज़ारी होती है और इसमें प्रौद्योगिकी के विकास, व्यापार संतुलन और आर्थिक नीतियों की सुविधा दी जाती है।
वैश्वीकरण के उद्देश्य:
निजीकरण:
निजीकरण को वह प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें सरकार के नियंत्रण में आने वाले संसाधनों, सेवाओं या उद्यमों को निजी个ाल या संगठनों को ट्रांसफर किया जाता है।
निजीकरण के उद्देश्य:
इन दोनों प्रक्रियाओं ने एक साथ घड़ी रहतीं हैं, जिसके तहत देशों के बीच आर्थिक एकीकरण और निजीकरण में बदलाव आता है।
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