अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण एवं नए तकनीक के रिश्ते को भारत के विशेष सन्दर्भ में स्पष्ट करें। (250 words) [UPSC 2022]
वैश्वीकरण और भारत की सांस्कृतिक विविधता सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव: सांस्कृतिक आदान-प्रदान: वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। विदेशी संस्कृतियों, खानपान, और मनोरंजन की प्रवृत्तियाँ भारतीय समाज में समाहित हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर, हॉलीवुड फिल्में, विदेशी संगीत, और अRead more
वैश्वीकरण और भारत की सांस्कृतिक विविधता
सांस्कृतिक विविधता पर प्रभाव:
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: वैश्वीकरण ने भारत में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। विदेशी संस्कृतियों, खानपान, और मनोरंजन की प्रवृत्तियाँ भारतीय समाज में समाहित हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर, हॉलीवुड फिल्में, विदेशी संगीत, और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य पदार्थ भारतीय जीवन का हिस्सा बन गए हैं।
- तकनीकी और मीडिया प्रभाव: मीडिया और तकनीकी प्रगति के माध्यम से वैश्विक सांस्कृतिक ट्रेंड्स तेजी से फैल रहे हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने पश्चिमी फैशन, भाषाओं, और जीवनशैली को भारतीय युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया है।
सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण में चुनौतियाँ:
- सांस्कृतिक समानता: वैश्वीकरण से सांस्कृतिक समानता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वैश्विक सांस्कृतिक उत्पादों की अत्यधिक उपलब्धता और लोकप्रियता से स्थानीय परंपराएँ और रीति-रिवाज प्रभावित हो सकते हैं, जिससे विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान का क्षय हो सकता है।
- परंपरागत कलाएँ और शिल्प: वैश्वीकरण के कारण स्थानीय शिल्प और कलाएँ प्रतिस्पर्धा में पीछे रह सकती हैं। जैसे कि, पारंपरिक वस्त्र और हस्तशिल्प की मांग में कमी आ सकती है, जिससे सांस्कृतिक विविधता का संकट उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध और विविध बनाया है, लेकिन इसके साथ ही सांस्कृतिक समानता और परंपरागत कलाओं पर भी प्रभाव डाला है। स्थानीय पहचान और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि भारत की सांस्कृतिक विविधता सुरक्षित रह सके।
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परिचय अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इRead more
परिचय
अपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भूमंडलीकरण से विचारों, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है, जबकि नई तकनीक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और नवाचार में सहायक होती है। भारत जैसे विकासशील देशों में, जहां संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है, इन दोनों का संबंध विशेष रूप से प्रासंगिक है।
अपर्याप्त संसाधनों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
भूमंडलीकरण ने औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण संसाधनों की मांग को बढ़ाया है। इससे संसाधनों का असमान वितरण हुआ है, जहां विकसित देशों को अधिक संसाधन मिलते हैं, जबकि विकासशील देशों को कमी का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 2022 की वैश्विक ऊर्जा संकट ने भारत जैसे देशों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत को सौर और पवन ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख करना पड़ा।
संसाधन प्रबंधन में नई तकनीक की भूमिका
नई तकनीकें अपर्याप्त संसाधनों के कुशल उपयोग में अहम योगदान देती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकें जैसे सोलर पैनल और पवन टरबाइन ने भारत में ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद की है। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से सौर ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, सटीक कृषि में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग पानी और उर्वरकों के कुशल उपयोग में हो रहा है।
भारत में भूमंडलीकरण और तकनीक
भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी ने विभिन्न क्षेत्रों में नई तकनीकों को अपनाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, डिजिटल इंडिया पहल ने डिजिटल सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार किया। ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग सब्सिडी और संसाधनों के वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
See lessअपर्याप्त संसाधनों की दुनिया में भूमंडलीकरण और नई तकनीक के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। भारत के संदर्भ में, नई तकनीकों को अपनाना और भूमंडलीकरण का लाभ उठाना सतत विकास की दिशा में सहायक है। हालांकि, दीर्घकालिक समृद्धि के लिए विकास और संसाधन संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।