Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारत में विविधता के किन्हीं चार सांस्कृतिक तत्वों का वर्णन कीजिये और एक राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में उनके आपेक्षिक महत्व का मूल्य निर्धारण कीजिये।(200 words) [UPSC 2015]
भारत में सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में उनका महत्व 1. भाषा विविधता: भारत में भाषा की विविधता एक प्रमुख सांस्कृतिक तत्व है। यहाँ 22 अनुसूचित भाषाएँ और 1,600 से अधिक बोलियाँ हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी को मानक भाषाएँ माना जाता है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाएँ जैसे तमिल, बंगाली, और मराठी भीRead more
भारत में सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में उनका महत्व
1. भाषा विविधता:
भारत में भाषा की विविधता एक प्रमुख सांस्कृतिक तत्व है। यहाँ 22 अनुसूचित भाषाएँ और 1,600 से अधिक बोलियाँ हैं। हिंदी और अंग्रेज़ी को मानक भाषाएँ माना जाता है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाएँ जैसे तमिल, बंगाली, और मराठी भी सांस्कृतिक पहचान को प्रकट करती हैं। यह विविधता राष्ट्रीय एकता को सांस्कृतिक विविधता में समेटने का काम करती है, जिससे एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान बनती है।
2. धर्म और धार्मिक परंपराएँ:
भारत में धार्मिक विविधता देश की सांस्कृतिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों के अनुयायी एक साथ रहते हैं। विभिन्न धर्मों की त्योहारों और अनुष्ठानों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा मिलता है, जो राष्ट्रीय एकता में योगदान करता है।
3. पारंपरिक कला और संगीत:
पारंपरिक कला और संगीत भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। कथक, भरतनाट्यम जैसी नृत्य शैलियाँ और गज़ल, भजन जैसे संगीत रूप एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संजोए गए हैं। ये सांस्कृतिक तत्व विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विशिष्टताओं को दर्शाते हुए, एक साझा सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं।
4. भोजन संस्कृति:
भारत की भोजन संस्कृति भी विविधता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। विभिन्न राज्यों के खान-पान की अपनी विशेषताएँ हैं, जैसे पंजाबी और साउथ इंडियन व्यंजन। यह विविधता भारतीय खाद्य संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाती है और विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं के मेल से राष्ट्रीय पहचान को नया आयाम प्रदान करती है।
निष्कर्ष:
See lessभारत की सांस्कृतिक विविधता के ये चार प्रमुख तत्व – भाषा, धर्म, कला-संगीत, और भोजन – न केवल देश की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं, बल्कि एक मजबूत राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन तत्वों के माध्यम से एक समन्वित और सह-अस्तित्व की भावना विकसित होती है, जो भारतीय समाज की एकता और विविधता का प्रतीक है।
भारतीय संस्कृति विविधता में एकता का प्रतीक है।' उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन का तार्किक विश्लेषण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
भारतीय संस्कृति: विविधता में एकता का प्रतीक 1. सांस्कृतिक विविधता भारतीय संस्कृति में विविधता एक प्रमुख विशेषता है। भारत में भाषाएँ, धर्म, संप्रदाय, खानपान, और पहनावा के विविध रूप देखने को मिलते हैं। हिंदी, तमिल, तेलुगु, और बंगाली जैसी भाषाएँ, हinduism, इस्लाम, ईसाई धर्म, और सिख धर्म जैसे धर्मों कीRead more
भारतीय संस्कृति: विविधता में एकता का प्रतीक
1. सांस्कृतिक विविधता
भारतीय संस्कृति में विविधता एक प्रमुख विशेषता है। भारत में भाषाएँ, धर्म, संप्रदाय, खानपान, और पहनावा के विविध रूप देखने को मिलते हैं। हिंदी, तमिल, तेलुगु, और बंगाली जैसी भाषाएँ, हinduism, इस्लाम, ईसाई धर्म, और सिख धर्म जैसे धर्मों की विविधता भारत की सांस्कृतिक अमीरता को दर्शाती है।
2. धार्मिक सहिष्णुता
भारत में विभिन्न धर्मों के बीच धार्मिक सहिष्णुता का आदर्श उदाहरण देखा जा सकता है। दुर्गा पूजा और दीवाली जैसे हिन्दू त्योहार, ईद और क्रिसमस जैसे मुस्लिम और ईसाई त्योहारों के साथ मनाए जाते हैं। हाल ही में गुजरात में रथ यात्रा और ईद के दौरान दोनों त्योहारों को शांतिपूर्ण तरीके से मनाने की मिसाल प्रस्तुत की गई है।
3. सांस्कृतिक मेलजोल
भारतीय त्यौहारों और त्योहारों की विविधता में एकता का प्रमुख उदाहरण है। लोक संगीत, नृत्य, और पारंपरिक वस्त्र जैसे विविध सांस्कृतिक तत्व देश की एकता को मजबूत करते हैं। सारस कला और कच्छ के कम्बल और हस्तशिल्प इस विविधता का हिस्सा हैं जो सभी क्षेत्रों में समान मान्यता प्राप्त करते हैं।
4. भाषाई एकता
हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है, जबकि विभिन्न प्रादेशिक भाषाएँ भी अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखती हैं। राजस्थान की लोककला और केरल की शास्त्रीय नृत्य संस्कृतियों की एकता का प्रतीक हैं।
5. समकालीन उदाहरण
हाल ही में नरेन्द्र मोदी की अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल ने भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को बढ़ाया। संयुक्त राष्ट्र ने भी योग के महत्व को मान्यता दी है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता का प्रतीक है।
इस प्रकार, भारतीय संस्कृति अपनी विविधता के बावजूद एकता का प्रतीक है, जो विभिन्न धर्मों, भाषाओं, और परंपराओं के बीच सामंजस्य और सहयोग को बढ़ावा देती है।
See lessभारत की विविधता के संदर्भ में, क्या यह कहा जा सकता है कि राज्यों की अपेक्षा प्रदेश सांस्कृतिक इकाइयों को रूप प्रदान करते हैं ? अपने दृष्टिकोण के लिए उदाहरणों सहित कारण बताइए । (150 words) [UPSC 2017]
भारत की विविधता में सांस्कृतिक इकाइयाँ अक्सर राज्यों की सीमाओं से परे होती हैं और विशिष्ट प्रदेशीय पहचान को दर्शाती हैं। भाषाई विविधता: उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में अवध और बुंदेलखंड क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान अलग-अलग है, जो केवल राज्य की सीमा तक सीमित नहीं है। इसी तरह, महाराष्ट्र में कोकण और पुणRead more
भारत की विविधता में सांस्कृतिक इकाइयाँ अक्सर राज्यों की सीमाओं से परे होती हैं और विशिष्ट प्रदेशीय पहचान को दर्शाती हैं।
इस प्रकार, भारत की सांस्कृतिक विविधता प्रदेशीय सांस्कृतिक इकाइयों के माध्यम से अधिक स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
See less