प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता की व्याख्या कीजिए।
कौटिल्य के प्रशासन में भ्रष्टाचार के मार्ग कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार के चार प्रमुख मार्ग बताए हैं। ये मार्ग प्रशासनिक ईमानदारी को चुनौती देते हैं और शासन के प्रभावी संचालन को प्रभावित करते हैं। 1. घूस (रिष्वता) घूस वह प्रक्रिया है जिसRead more
कौटिल्य के प्रशासन में भ्रष्टाचार के मार्ग
कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार के चार प्रमुख मार्ग बताए हैं। ये मार्ग प्रशासनिक ईमानदारी को चुनौती देते हैं और शासन के प्रभावी संचालन को प्रभावित करते हैं।
1. घूस (रिष्वता)
घूस वह प्रक्रिया है जिसमें पैसे या वस्तुओं का लेन-देन निर्णयों और क्रियाओं को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। कौटिल्य के अनुसार, घूस एक महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार का मार्ग है जो शासन की निष्पक्षता को प्रभावित करता है।
- प्रशासन पर प्रभाव: घूस से निर्णय लेने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पक्षपात और अन्यायपूर्ण निर्णय होते हैं।
- हाल का उदाहरण: विजय माल्या मामला, जिसमें घूस का इस्तेमाल कर कर्ज अदायगी से बचने की कोशिश की गई, यह दिखाता है कि कैसे घूस वित्तीय और प्रशासनिक सिस्टम को प्रभावित कर सकता है।
2. धन की हेराफेरी (व्यापद)
धन की हेराफेरी में उन निधियों की चोरी या दुरुपयोग शामिल है जो किसी के पास रखी गई हैं। कौटिल्य ने इसे गंभीर मुद्दा माना क्योंकि यह राज्य की वित्तीय संसाधनों को सीधे प्रभावित करता है।
- प्रशासन पर प्रभाव: धन की हेराफेरी से सार्वजनिक संसाधन घटते हैं और सरकारी संचालन में बाधाएं आती हैं।
- हाल का उदाहरण: सत्याम घोटाला 2009 में, जिसमें कंपनी के धन की हेराफेरी की गई, यह एक आधुनिक उदाहरण है कि कैसे धन की हेराफेरी से वित्तीय और प्रशासनिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
3. अधिकारियों को घूस देना (अमात्य-रिष्वता)
यह भ्रष्टाचार का प्रकार है जिसमें अधिकारियों को विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए घूस दी जाती है। कौटिल्य ने इसे प्रशासन की निष्पक्षता और प्रभावशीलता को प्रभावित करने वाला माना।
- प्रशासन पर प्रभाव: इससे सार्वजनिक सेवाओं और प्रशासन की गुणवत्ता में समझौता होता है, क्योंकि निर्णय व्यक्तिगत लाभ के आधार पर होते हैं न कि सार्वजनिक हित के आधार पर।
- हाल का उदाहरण: कैश-फॉर-वीट घोटाला भारत की राजनीति में, जहां अधिकारियों को वोटों को प्रभावित करने के लिए घूस देने का आरोप लगाया गया था, यह दिखाता है कि कैसे अधिकारियों को घूस देने से भ्रष्टाचार बढ़ सकता है।
4. प्रशासनिक भ्रष्टाचार (आरण्य-व्यापद)
प्रशासनिक भ्रष्टाचार का तात्पर्य उन व्यापक भ्रष्टाचार से है जो प्रशासनिक ढांचे के भीतर होती है। इसमें उन प्रथाओं की भी शामिल होती है जहां भ्रष्टाचार प्रणाली में गहराई से समाहित हो जाता है।
- प्रशासन पर प्रभाव: इससे प्रशासन की कार्यक्षमता में कमी आती है, सार्वजनिक विश्वास में कमी होती है और आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
- हाल का उदाहरण: दिल्ली पुलिस भर्ती घोटाला, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में घूस और भ्रष्टाचार की रिपोर्ट आई, यह दिखाता है कि कैसे प्रशासनिक भ्रष्टाचार सार्वजनिक विश्वास और सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में भ्रष्टाचार के चार प्रमुख मार्ग: घूस, धन की हेराफेरी, अधिकारियों को घूस देना, और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का उल्लेख किया है। वर्तमान उदाहरण जैसे विजय माल्या मामला, सत्याम घोटाला, कैश-फॉर-वीट घोटाला, और दिल्ली पुलिस भर्ती घोटाला इन मार्गों की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता को दर्शाते हैं। इन बिन्दुओं को समझना आधुनिक भ्रष्टाचार निवारण नीतियों के लिए महत्वपूर्ण है और प्रशासनिक सुधारों में उनकी प्रभावशीलता को बढ़ावा देने में सहायक है।
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कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता परिचय कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ "अर्थशास्त्र" में विदेश नीति पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं। उनकी नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य की सुरक्षा, शक्ति, और समृद्धि को सुनिश्चित करना था। आधुनिक समय में, कौटिल्य की वRead more
कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता
परिचय
कौटिल्य, जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने ग्रंथ “अर्थशास्त्र” में विदेश नीति पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए हैं। उनकी नीतियों का मुख्य उद्देश्य राज्य की सुरक्षा, शक्ति, और समृद्धि को सुनिश्चित करना था। आधुनिक समय में, कौटिल्य की विदेश नीति के सिद्धांत कई वैश्विक परिदृश्यों में प्रासंगिक साबित हो रहे हैं। इस उत्तर में, हम देखेंगे कि कौटिल्य की विदेश नीति की समकालीन प्रासंगिकता क्या है और हाल की घटनाओं के उदाहरणों के माध्यम से इसे समझेंगे।
1. शक्ति संतुलन और नीति
2. सहयोग और विरोध की रणनीति
3. आंतरिक और बाहरी सुरक्षा
4. कूटनीति और राजनयिकता
5. अनुकूलन और लचीलापन
6. आर्थिक और व्यापारिक हित
निष्कर्ष
कौटिल्य की विदेश नीति के सिद्धांत आज भी वैश्विक राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रासंगिक हैं। शक्ति संतुलन, कूटनीति, आंतरिक सुरक्षा, और आर्थिक हितों पर ध्यान देने वाले उनके विचार आधुनिक परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण हैं। UPSC Mains aspirants के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐतिहासिक सिद्धांतों का आधुनिक संदर्भ में कैसे उपयोग किया जा सकता है और उनके अनुसार नीतियाँ कैसे विकसित की जा सकती हैं।
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