“संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी लोकतंत्र की एक पूर्व शर्त है।” टिप्पणी कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
भारत में न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। न्यायपालिका के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता और जनता के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। वर्तमान में, न्यायिक जवाबदेही के लिए कई आंतरिक और बाहरी तंRead more
भारत में न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक नए कानून की आवश्यकता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। न्यायपालिका के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करना न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता और जनता के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। वर्तमान में, न्यायिक जवाबदेही के लिए कई आंतरिक और बाहरी तंत्र मौजूद हैं, लेकिन अक्सर प्रक्रियात्मक जटिलताओं और समस्याओं के कारण इनका प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाता।
एक नया कानून न्यायिक जवाबदेही को मजबूत कर सकता है, जैसे कि न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और कार्यकुशलता की निगरानी के लिए स्पष्ट मानदंड स्थापित करना। इसके अतिरिक्त, न्यायिक भ्रष्टाचार और व्यस्तता के मामलों की त्वरित और प्रभावी जांच के लिए भी उपाय किए जा सकते हैं।
इससे न्यायपालिका की पारदर्शिता और जनता का विश्वास बढ़ेगा, जिससे न्याय व्यवस्था की प्रभावशीलता और साख में सुधार होगा। इसलिए, एक नया कानून इस दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
See less
संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी: "संवैधानिक प्रावधान": भारतीय संविधान के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। अनुच्छेद 50 न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच विभाजन की बात करता है, जबकि अनुच्छेद 124 न्यायाधीशों की नियुक्ति और पद पर बने रहने कीRead more
संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र
न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी:
लोकतंत्र की पूर्व शर्त:
निष्कर्ष: संवैधानिक रूप से न्यायिक स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करे, जिससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके और लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती बनी रहे।
See less