संसद और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (इम्यूनिटीज़), जैसे कि वे संविधान की धारा 105 में परिकल्पित हैं, अनेकों असंहिताबद्ध (अन-कोडिफाइड) और अ-परिगणित विशेषाधिकारों के जारी रहने का स्थान खाली छोड़ देती हैं। संसदीय विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण ...
भारतीय संविधान का ढाँचा संघात्मक है, परंतु उसकी आत्मा एकात्मक है 1. संघात्मक ढाँचा (Federal Structure): शक्ति का विभाजन: भारतीय संविधान संघात्मक ढाँचा स्थापित करता है, जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। यह विभाजन संघ सूची, राज्य सूची, और सांझी सूची में निर्धारित है।Read more
भारतीय संविधान का ढाँचा संघात्मक है, परंतु उसकी आत्मा एकात्मक है
1. संघात्मक ढाँचा (Federal Structure):
- शक्ति का विभाजन: भारतीय संविधान संघात्मक ढाँचा स्थापित करता है, जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। यह विभाजन संघ सूची, राज्य सूची, और सांझी सूची में निर्धारित है।
- उदाहरण: सामान्य वस्त्र और सेवा कर (GST) एक हाल का उदाहरण है जहां केंद्रीय और राज्य सरकारें मिलकर शक्ति साझा करती हैं, जो संविधान की संघात्मक प्रकृति को दर्शाता है।
2. एकात्मक विशेषताएँ (Unitary Features):
- केंद्रीय शक्ति: संविधान केंद्रीय सरकार को महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्रदान करता है, जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखी जा सके। इसके अंतर्गत धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) जैसे प्रावधान शामिल हैं, जो केंद्र को राज्यों पर सीधी शक्ति देने की अनुमति देते हैं।
- उदाहरण: कश्मीर विवाद के दौरान, केंद्र ने धारा 370 को समाप्त करके अपनी शक्ति को दृढ़ किया, जो संविधान की एकात्मक प्रकृति को दर्शाता है।
3. केंद्रीय सरकार की प्रधानता (Central Supremacy):
- आपातकालीन प्रावधान: संविधान राष्ट्रीय आपातकाल की व्यवस्था प्रदान करता है (धारा 352), जिसके तहत केंद्रीय सरकार राज्य मामलों पर नियंत्रण कर सकती है, जिससे राज्य सरकारों की शक्तियाँ सीमित हो जाती हैं।
- उदाहरण: 1975 में आपातकाल के दौरान, इंदिरा गांधी सरकार ने केंद्रीय नियंत्रण का प्रयोग किया, जो एकात्मक विशेषताओं का ऐतिहासिक उदाहरण है।
4. न्यायिक व्याख्या (Judicial Interpretation):
- सहसंयोजकता का सिद्धांत: सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की संघात्मक और एकात्मक विशेषताओं को संतुलित रखने के लिए व्याख्या की है, जिससे केंद्र सरकार राष्ट्रीय एकता के हित में कार्य कर सके और राज्य शक्तियों का सम्मान भी कर सके।
- उदाहरण: S.R. Bommai बनाम भारत संघ (1994) केस ने संविधान की संघात्मक संरचना को मजबूत किया, जबकि केंद्रीय सरकार की शक्ति को भी मान्यता दी।
निष्कर्ष: भारतीय संविधान संघात्मक ढाँचा स्थापित करता है, लेकिन उसकी एकात्मक विशेषताएँ जैसे केंद्रीय शक्ति और आपातकालीन प्रावधान यह सुनिश्चित करती हैं कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रख सके और समस्त देश के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियों का समाधान कर सके।
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भारतीय संविधान की धारा 105 संसद और उसके सदस्यों को विशेषाधिकार और उन्मुक्तियों (इम्यूनिटीज़) की सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इन विशेषाधिकारों का विधिक संहिताकरण (कोडिफिकेशन) की अनुपस्थिति ने कई समस्याएँ उत्पन्न की हैं। विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारण: परंपरागत दृष्टिकोण: संसदRead more
भारतीय संविधान की धारा 105 संसद और उसके सदस्यों को विशेषाधिकार और उन्मुक्तियों (इम्यूनिटीज़) की सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन इन विशेषाधिकारों का विधिक संहिताकरण (कोडिफिकेशन) की अनुपस्थिति ने कई समस्याएँ उत्पन्न की हैं।
विशेषाधिकारों के विधिक संहिताकरण की अनुपस्थिति के कारण:
समाधान:
इन उपायों से संसदीय विशेषाधिकारों को स्पष्ट और व्यवस्थित किया जा सकता है, जिससे कानूनी पारदर्शिता और कार्यकुशलता में सुधार होगा।
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