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भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 की परिधि में कौन-कौन से अधिकार शामिल है ? (125 Words) [UPPSC 2022]
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 की परिधि में अधिकार 1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: अनुच्छेद 21 के तहत, हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार कानूनी प्रक्रिया के अनुसार सुरक्षित है। 2. स्वास्थ्य और स्वच्छता: Right to Health: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में 'फRead more
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 की परिधि में अधिकार
1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार:
2. स्वास्थ्य और स्वच्छता:
3. शिक्षा का अधिकार:
4. स्वच्छता का अधिकार:
5. जीविका का अधिकार:
निष्कर्ष
अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, और जीविका जैसे अधिकार शामिल हैं। ये अधिकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न निर्णयों के माध्यम से विस्तारित और मजबूत किए गए हैं।
See lessसंवैधानिक नैतिकता' की जड़ संविधान में ही निहित है और इसके तात्त्विक फलकों पर आधारित है। 'संवैधानिक नैतिकता' के सिद्धांत की प्रासंगिक न्यायिक निर्णयों की सहायता से विवेचना कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
संवैधानिक नैतिकता का सिद्धांत 1. संवैधानिक नैतिकता का परिचय 'संवैधानिक नैतिकता' संविधान के अंतर्निहित मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह सिद्धांत संविधान की मूलभूत धारणाओं जैसे न्याय, समानता, और लोकतंत्र के अनुरूप राज्य की क्रियावली और व्यक्तिगत आचरण को मार्गदर्शित करता है।Read more
संवैधानिक नैतिकता का सिद्धांत
1. संवैधानिक नैतिकता का परिचय
‘संवैधानिक नैतिकता’ संविधान के अंतर्निहित मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह सिद्धांत संविधान की मूलभूत धारणाओं जैसे न्याय, समानता, और लोकतंत्र के अनुरूप राज्य की क्रियावली और व्यक्तिगत आचरण को मार्गदर्शित करता है।
2. न्यायिक निर्णयों की प्रासंगिकता
के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017): इस निर्णय में, सुप्रीम कोर्ट ने गोपनीयता के अधिकार को मान्यता दी और संवैधानिक नैतिकता को संविधान के मूलभूत अधिकारों की व्याख्या में महत्वपूर्ण बताया।
नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018): कोर्ट ने सहमति से यौन संबंधों को अपराधमुक्त किया, यह मानते हुए कि संवैधानिक नैतिकता व्यक्तित्व की गरिमा और समानता की सुरक्षा की मांग करती है।
3. निष्कर्ष
संवैधानिक नैतिकता यह सुनिश्चित करती है कि संविधान के मूल्यों को शासन और न्यायिक निर्णयों में बनाए रखा जाए, जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
See lessप्रस्तावना को भारतीय संविधान का दर्शन क्यों कहा जाता है? (125 Words) [UPPSC 2023]
भारतीय संविधान का दर्शन: प्रस्तावना की भूमिका आधिकारिक दिशा-निर्देश: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान का दर्शन इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों और उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। यह प्रस्तावना भारतीय गणराज्य के आदर्श और मूल्य को संक्षेप में प्रस्तुत करती है, जैसे कि समानताRead more
भारतीय संविधान का दर्शन: प्रस्तावना की भूमिका
आधिकारिक दिशा-निर्देश: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को संविधान का दर्शन इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों और उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। यह प्रस्तावना भारतीय गणराज्य के आदर्श और मूल्य को संक्षेप में प्रस्तुत करती है, जैसे कि समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व।
लोकतांत्रिक उद्देश्य: प्रस्तावना का प्रमुख उद्देश्य लोकतांत्रिक सत्ता और संप्रभुता की पुष्टि करना है। यह संविधान के धार्मिक, जातीय और सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है।
संविधान की आधिकारिक दिशा: प्रस्तावना, संविधान के अन्य अनुच्छेदों और प्रावधानों के निर्देश और भावनाओं को आधार प्रदान करती है। यह संविधान की भावनात्मक और राजनीतिक पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती है और उसके अनुपालन की दिशा तय करती है।
इस प्रकार, प्रस्तावना भारतीय संविधान का दर्शन इसलिए कहलाती है क्योंकि यह संविधान के मूल उद्देश्यों और दृष्टिकोण को प्रतिविम्बित करती है।
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