भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार की समीक्षा कीजिये। (200 words ) [UPPSC 2018]
भारत के संविधान के अनुसार, भारतीय नागरिकों को पूरे देश में निवास और विचरण करने का अधिकार प्राप्त है, जैसा कि अनुच्छेद 19(1)(d) और 19(1)(e) में स्पष्ट किया गया है। यह अधिकार नागरिकों को देश के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र रूप से रहने और यात्रा करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। हालांकि, ये अधिकार पूरीRead more
भारत के संविधान के अनुसार, भारतीय नागरिकों को पूरे देश में निवास और विचरण करने का अधिकार प्राप्त है, जैसा कि अनुच्छेद 19(1)(d) और 19(1)(e) में स्पष्ट किया गया है। यह अधिकार नागरिकों को देश के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र रूप से रहने और यात्रा करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
हालांकि, ये अधिकार पूरी तरह से असीमित नहीं हैं। संविधान में अनुच्छेद 19(5) के तहत, इन अधिकारों पर सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, और जनहित के आधार पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति दी गई है। उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों को सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित किया जा सकता है, या सामाजिक असंतुलन और आपातकालीन परिस्थितियों के चलते अधिकारों पर नियंत्रण लगाया जा सकता है।
इस प्रकार, नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, लेकिन इन्हें समाज के व्यापक हितों के मद्देनजर सीमित किया जा सकता है।
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भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार अनुभाग 14 से 18 के अंतर्गत आते हैं और ये नागरिकों को समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करते हैं: अनुभाग 14: समानता का अधिकार - यह संविधान का एक मूल अधिकार है जो हर व्यक्ति को कानूनी समानता और समान सुरकRead more
भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार
भारत के संविधान में समानता के मूलाधिकार अनुभाग 14 से 18 के अंतर्गत आते हैं और ये नागरिकों को समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान करते हैं:
निष्कर्ष: भारतीय संविधान के समानता के मूलाधिकार सभी नागरिकों को कानूनी सुरक्षा और समान अवसर की गारंटी प्रदान करते हैं। ये अधिकार भेदभाव, सामाजिक असमानता, और अभाव को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देते हैं।
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