भारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंधों का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा किए जाने वाले कार्य और नीति-निर्माण में भूमिका प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) भारत की सरकार की महत्वपूर्ण अंग है, जो नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। PMO प्रधान मंत्री के नेतृत्व में कार्य करता है और उनके फैसलों को अमल में लाने के लिए विभिनRead more
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा किए जाने वाले कार्य और नीति-निर्माण में भूमिका
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) भारत की सरकार की महत्वपूर्ण अंग है, जो नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। PMO प्रधान मंत्री के नेतृत्व में कार्य करता है और उनके फैसलों को अमल में लाने के लिए विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के साथ समन्वय करता है।
- नीति-निर्माण में योगदान: PMO नीति निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नीतियों के प्रारूप, प्रस्ताव और कार्यान्वयन में मदद करता है, और महत्वपूर्ण निर्णयों की समीक्षा करता है।
- समन्वय और निगरानी: PMO विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है, नीतियों की प्रभावशीलता की निगरानी करता है, और कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करता है।
- सूचना और सलाह: PMO प्रमुख नीतिगत मुद्दों पर प्रधानमंत्री को जानकारी और सलाह प्रदान करता है, जिससे सटीक और समय पर निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
इस प्रकार, PMO भारत में नीति-निर्माण और कार्यान्वयन को आकार देने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
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भारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंध वित्तीय संसाधनों का वितरण: भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण एक महत्वपूर्ण पहलू है। संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार के पास केंद्रीय कर (जैसे, आयकर, वस्तु और सेवा कर) एकत्र करने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें राRead more
भारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंध
वित्तीय संसाधनों का वितरण: भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण एक महत्वपूर्ण पहलू है। संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार के पास केंद्रीय कर (जैसे, आयकर, वस्तु और सेवा कर) एकत्र करने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें राजस्व (जैसे, संपत्ति कर, बिक्री कर) प्राप्त करती हैं।
वित्त आयोग: राज्यों को वित्तीय सहायता और संसाधनों के वितरण के लिए वित्त आयोग का गठन किया जाता है। यह आयोग राज्यों को अनुदान और करों का हिस्सा प्रदान करता है।
वित्तीय असंतुलन: राज्यों के पास सीमित संसाधन होते हैं, जबकि उनके खर्चे अधिक होते हैं। इस असंतुलन को केंद्र द्वारा अनुदान और वित्तीय सहायता के माध्यम से संबोधित किया जाता है।
निष्कर्ष: भारत में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंध करों का वितरण, वित्त आयोग के माध्यम से सहायता और वित्तीय असंतुलन के समाधान पर आधारित हैं।
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