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प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा किए जाने वाले कार्यों और भारत में नीति-निर्माण को आकार देने में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा किए जाने वाले कार्य और नीति-निर्माण में भूमिका प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) भारत की सरकार की महत्वपूर्ण अंग है, जो नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। PMO प्रधान मंत्री के नेतृत्व में कार्य करता है और उनके फैसलों को अमल में लाने के लिए विभिनRead more
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा किए जाने वाले कार्य और नीति-निर्माण में भूमिका
प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) भारत की सरकार की महत्वपूर्ण अंग है, जो नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाता है। PMO प्रधान मंत्री के नेतृत्व में कार्य करता है और उनके फैसलों को अमल में लाने के लिए विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के साथ समन्वय करता है।
इस प्रकार, PMO भारत में नीति-निर्माण और कार्यान्वयन को आकार देने में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है।
See lessभारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंधों का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2021]
भारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंध वित्तीय संसाधनों का वितरण: भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण एक महत्वपूर्ण पहलू है। संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार के पास केंद्रीय कर (जैसे, आयकर, वस्तु और सेवा कर) एकत्र करने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें राRead more
भारत में केंद्र और राज्यों के वित्तीय संबंध
वित्तीय संसाधनों का वितरण: भारत की संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण एक महत्वपूर्ण पहलू है। संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार के पास केंद्रीय कर (जैसे, आयकर, वस्तु और सेवा कर) एकत्र करने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकारें राजस्व (जैसे, संपत्ति कर, बिक्री कर) प्राप्त करती हैं।
वित्त आयोग: राज्यों को वित्तीय सहायता और संसाधनों के वितरण के लिए वित्त आयोग का गठन किया जाता है। यह आयोग राज्यों को अनुदान और करों का हिस्सा प्रदान करता है।
वित्तीय असंतुलन: राज्यों के पास सीमित संसाधन होते हैं, जबकि उनके खर्चे अधिक होते हैं। इस असंतुलन को केंद्र द्वारा अनुदान और वित्तीय सहायता के माध्यम से संबोधित किया जाता है।
निष्कर्ष: भारत में केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंध करों का वितरण, वित्त आयोग के माध्यम से सहायता और वित्तीय असंतुलन के समाधान पर आधारित हैं।
See lessभारत में संवैधानिक शासन को संरक्षित करने के लिए राज्यपाल के पद को रूपांतरित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल के पद से जुड़े हालिया विवादों के आलोक में विवेचना कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में संवैधानिक शासन को संरक्षित करने के लिए राज्यपाल के पद को रूपांतरित करने की आवश्यकता है, खासकर हालिया विवादों के संदर्भ में। राज्यपाल का पद अक्सर केंद्र-राज्य संबंधों में विवाद का कारण बनता है, विशेषकर जब राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें विभिन्न विचारधाराओं के होते हैं। राज्यपाल के राजनीतिक नRead more
भारत में संवैधानिक शासन को संरक्षित करने के लिए राज्यपाल के पद को रूपांतरित करने की आवश्यकता है, खासकर हालिया विवादों के संदर्भ में। राज्यपाल का पद अक्सर केंद्र-राज्य संबंधों में विवाद का कारण बनता है, विशेषकर जब राज्य सरकारें और केंद्र सरकारें विभिन्न विचारधाराओं के होते हैं। राज्यपाल के राजनीतिक नियुक्तियों और कार्यों को लेकर उठते सवाल संविधान की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के सिद्धांत को चुनौती देते हैं।
राज्यपाल के पद को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने के लिए सुधार आवश्यक हैं। इसमें राज्यपाल की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और स्वतंत्र बनाने, उनके कार्यकाल की अवधि सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों की सीमाएँ स्पष्ट करने की जरूरत है। इस तरह के परिवर्तन राज्यपाल के पद को अधिक संवैधानिक और कम विवादास्पद बना सकते हैं, जिससे राज्यों में केंद्र के हस्तक्षेप को नियंत्रित किया जा सके और संवैधानिक शासन की रक्षा की जा सके।
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