भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए। (200 Words) [UPPSC 2022]
शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा एक ऐसी सिद्धांत है जिसमें सरकार की विभिन्न संगठनाओं या अधिकारियों को विशिष्ट क्षेत्रों में शक्तियों का पृथक्करण किया जाता है, ताकि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता से निर्णय ले सकें और अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों। यह विभिन्न संगठनों और अधिकारियों को स्वतंत्रता औरRead more
शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा एक ऐसी सिद्धांत है जिसमें सरकार की विभिन्न संगठनाओं या अधिकारियों को विशिष्ट क्षेत्रों में शक्तियों का पृथक्करण किया जाता है, ताकि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता से निर्णय ले सकें और अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हों। यह विभिन्न संगठनों और अधिकारियों को स्वतंत्रता और सामर्थ्य प्रदान करता है ताकि सरकारी कार्य प्रभावी रूप से संचालित हो सके।
भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण को प्रतिबिंबित करने के कई प्रावधान हैं। कुछ मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- संघीय प्रदेशों और केंद्र सरकार के द्वारा साझेदारी: संविधान द्वारा संघीय प्रदेशों और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों का साझेदारी तंत्र स्थापित करता है।
- संविधानीय निकायों की स्थापना: भारतीय संविधान ने विभिन्न संविधानीय निकायों को स्थापित किया है जो अपनी शक्तियों का पृथक्करण कर सकते हैं।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता: संविधान ने न्यायपालिका को स्वतंत्रता और निष्पक्षता की गारंटी दी है जिससे वह अपनी शक्तियों का प्रयोग स्वतंत्रता से कर सके।
इन प्रावधानों के माध्यम से भारतीय संविधान ने शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा को प्रतिबिंबित किया है और सरकारी संगठनों को स्वतंत्रता और सामर्थ्य प्रदान किया है ।
See less
भारतीय संविधान के "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" के विकास एवं प्रभाव की विवेचना विकास: प्रस्तावना: "आधारभूत ढांचा सिद्धान्त" (Basic Structure Doctrine) की शुरुआत केसवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले से हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस सिद्धान्त को स्थापित किया कि संसद संविधान को संशोधित कर सकती है, लेकिनRead more
भारतीय संविधान के “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” के विकास एवं प्रभाव की विवेचना
विकास:
प्रभाव:
निष्कर्ष: “आधारभूत ढांचा सिद्धान्त” ने भारतीय संविधान की मूल संरचना को संरक्षण प्रदान किया है, जिससे संविधान की स्थिरता और न्यायिक समीक्षा की भूमिका को सुनिश्चित किया गया है। यह सिद्धान्त संविधान की अनिवार्यता और संवैधानिक लोकतंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
See less