निर्धनता और भूख से जुड़े मुद्दे भारत की चुनावी राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? (125 Words) [UPPSC 2021]
भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से मुझे यह मान्यता है कि यह निष्पक्षता और निर्भीकता को सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, बिना किसी अंतर्निहित प्रभाव से प्रभावित होने के। चुनाव आयोग की इस स्वतंत्रता के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र में मुक्त और न्यायसंRead more
भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता
भारत के चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से मुझे यह मान्यता है कि यह निष्पक्षता और निर्भीकता को सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, बिना किसी अंतर्निहित प्रभाव से प्रभावित होने के। चुनाव आयोग की इस स्वतंत्रता के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र में मुक्त और न्यायसंगत चुनाव सुनिश्चित किए जाते हैं।
मार्गदर्शक सिद्धान्त
- संवैधानिक स्थिति: भारत के चुनाव आयोग की संवैधानिक स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित है। इसके लिए यह अधिकार और स्वतंत्रता का आधार है।
- निष्पक्षता: चुनाव आयोग को हर पक्ष और उम्मीदवार के लिए समान और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है।
- पारदर्शिता: चुनाव आयोग को अपने कार्रवाई में पूरी पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता है। इससे लोगों में भरोसा बना रहता है।
हाल के उदाहरण
- VVPAT का उपयोग: चुनाव आयोग ने VVPAT मशीनों का उपयोग करके पारदर्शिता और चुनावी प्रक्रिया को मजबूत किया।
- डिलीमिटेशन एक्सरसाइज: जम्मू-कश्मीर में डिलीमिटेशन एक्सरसाइज के दौरान चुनाव आयोग ने निष्पक्षता और न्यायसंगतता को मजबूत किया।
- मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का प्रवर्तन: चुनावों के दौरान, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को सख्ती से पालन करने के माध्यम से चुनाव आयोग ने निष्पक्षता की भावना को सुनिश्चित किया।
इस प्रकार, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना भारतीय लोकतंत्र के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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निर्धनता और भूख का चुनावी राजनीति पर प्रभाव चुनावी वादे: निर्धनता और भूख प्रमुख चुनावी मुद्दे बनते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ वोट बटोरने के लिए सबसिडी, वेलफेयर स्कीम्स, और भ्रष्टाचार विरोधी वादे करती हैं, जैसे राशन कार्ड, नौकरियों और आर्थिक सहायता के प्रलोभन। मतदाता आकर्षण: गरीब और भूखे वर्ग को लक्षितRead more
निर्धनता और भूख का चुनावी राजनीति पर प्रभाव
चुनावी वादे: निर्धनता और भूख प्रमुख चुनावी मुद्दे बनते हैं। राजनीतिक पार्टियाँ वोट बटोरने के लिए सबसिडी, वेलफेयर स्कीम्स, और भ्रष्टाचार विरोधी वादे करती हैं, जैसे राशन कार्ड, नौकरियों और आर्थिक सहायता के प्रलोभन।
मतदाता आकर्षण: गरीब और भूखे वर्ग को लक्षित कर मतदाता आधार को बढ़ाने की कोशिश की जाती है। चुनावों के समय आकर्षक पैकेज और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के वादे होते हैं।
वोट बैंक राजनीति: इन मुद्दों का राजनीतिक दुरुपयोग होता है। पार्टियाँ अक्सर अल्पकालिक समाधान प्रदान करती हैं, जिससे दीर्घकालिक नीति पर ध्यान कम होता है।
निष्कर्ष: निर्धनता और भूख चुनावी राजनीति को वोट बैंक राजनीति, पॉपुलिस्ट वादे और अल्पकालिक उपायों के माध्यम से प्रभावित करते हैं।
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