73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत शक्तियों के हस्तांतरण पर प्रकाश डालिए। क्या आपको लगता है कि हस्तांतरण की प्रक्रिया अब तक संतोषजनक स्तर से कम रही है?(उत्तर 200 शब्दों में दें)
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकतRead more
101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2021, भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो मुख्यतः निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन और अनुसूचित जातियों (SCs) तथा अनुसूचित जनजातियों (STs) के लिए आरक्षित सीटों से संबंधित है। इसके महत्व और संघवाद की समावेशी भावना को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
महत्व
- पारिसीमन और प्रतिनिधित्व: इस संशोधन के तहत, 2026 तक परिसीमन पर लगी रोक को बढ़ा दिया गया है, जिससे मौजूदा लोकसभा और विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं स्थिर रहती हैं। यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व में स्थिरता सुनिश्चित करता है और जनसंख्या परिवर्तन के कारण असमान प्रभाव को नियंत्रित करता है।
- आरक्षण के प्रावधान: यह अधिनियम SCs और STs के लिए विधान मंडलों में सीटों के आरक्षण की अवधि को बढ़ाता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि इन समुदायों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलता रहे, और सामाजिक न्याय की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- स्थानीय शासन का सशक्तिकरण: सीटों के आरक्षण और परिसीमन से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करके, यह अधिनियम स्थानीय शासन संरचनाओं को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वंचित समुदायों की प्रतिनिधित्व की रक्षा हो।
संघवाद की समावेशी भावना
- सत्ता संतुलन: परिसीमन पर रोक और आरक्षण प्रावधानों के विस्तार से केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्ति का संतुलन बनाए रखा जाता है। यह स्थिर राजनीतिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता को मान्यता देता है और विभिन्न स्तरों की सरकारों के हितों को संतुलित करता है।
- राज्य स्वायत्तता: यह अधिनियम परिसीमन प्रक्रिया और आरक्षण के प्रावधानों में राज्य स्वायत्तता की महत्वपूर्णता को मान्यता देता है। मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों को बनाए रखकर और SCs तथा STs के लिए आरक्षित सीटें सुनिश्चित करके, यह राज्यों को स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
- समावेशिता और न्याय: SCs और STs के लिए आरक्षण का विस्तार संघवाद के समावेशी सिद्धांत को दर्शाता है। यह सुनिश्चित करता है कि वंचित समुदायों को विभिन्न स्तरों पर प्रतिनिधित्व मिले, जो संघीय ढांचे की समानता और न्याय को प्रोत्साहित करता है।
इस प्रकार, 101वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्व राजनीतिक प्रतिनिधित्व की स्थिरता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में है, और यह संघवाद की समावेशी भावना को प्रकट करता है।
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73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम भारतीय संविधान में नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इन संशोधनों के माध्यम से, नगरीय स्वशासन को मजबूत किया गया है और स्थानीय स्तर पर शक्तियों का हस्तांतरण किया गया है। यह संशोधन नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को नRead more
73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम भारतीय संविधान में नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। इन संशोधनों के माध्यम से, नगरीय स्वशासन को मजबूत किया गया है और स्थानीय स्तर पर शक्तियों का हस्तांतरण किया गया है।
यह संशोधन नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को निर्देशित करने, विकसित करने और उन्हें स्वायत्त निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में जनसहयोग को बढ़ावा मिलता है और नागरिकों को अपने विकास में सक्रिय भागीदार बनाता है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में हस्तांतरण की प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ आती हैं। इनमें सबसे मुख्य हैं वित्तीय स्वायत्तता की कमी, संसाधनों की अभाव, और क्षेत्रीय गवर्नेंस में असंघतितता। इन मुद्दों को हल करने के लिए सुधार की आवश्यकता है ताकि स्थानीय स्तर पर शक्तियों का सुचारू रूप से हस्तांतरण हो सके।
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