उत्तर प्रदेश को प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभाजित करते हुए इसके भॉबर और तराई क्षेत्रों की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है। तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ: आर्थिक अवसर: भारत की तटरेखा बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की संभावनाएं प्रदान करती है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे प्रमुख बंदरगाRead more
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है।
तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ:
- आर्थिक अवसर: भारत की तटरेखा बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की संभावनाएं प्रदान करती है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे प्रमुख बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। तटीय क्षेत्रों में मत्स्य उद्योग भी रोजगार और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- पर्यटन: भारत के तटीय क्षेत्र, अपनी सुंदर समुद्र तटों और समुद्री जैव विविधता के कारण, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
- समुद्री संसाधन: तटरेखा समृद्ध समुद्री संसाधनों, जैसे कि मछली, समुद्री शैवाल और खनिजों की उपलब्धता प्रदान करती है। समुद्र के नीचे तेल और गैस के भंडार ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा: तटरेखा पवन और सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का दोहन करने के लिए आदर्श है। तटीय पवन ऊर्जा फार्म और सौर ऊर्जा परियोजनाएं ऊर्जा जरूरतों को सतत रूप से पूरा कर सकती हैं।
प्राकृतिक खतरे की तैयारी:
- तूफान: भारतीय तटरेखा विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र में तूफानों के प्रति संवेदनशील है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और भारतीय मौसम विभाग (IMD) तूफान की पूर्व सूचनाओं और तैयारी अभ्यासों का संचालन करते हैं। हालांकि, पूर्वानुमान और निकासी योजनाओं में निरंतर सुधार की आवश्यकता है।
- बाढ़: तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा और तूफानी लहरों के कारण बाढ़ की संभावना रहती है। बाढ़ प्रबंधन रणनीतियाँ, जैसे कि समुद्री दीवारें और तटबंध, लागू की गई हैं, लेकिन इनकी प्रभावशीलता क्षेत्रवार भिन्न हो सकती है।
- सुनामी: 2004 के भारतीय महासागर सुनामी के बाद, भारत ने सुनामी चेतावनी प्रणाली को मजबूत किया है और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा (INCOIS) की स्थापना की है, जो बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती है।
- क्षीणता और समुद्र स्तर की वृद्धि: जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षीणता और समुद्र स्तर की वृद्धि की समस्या गंभीर है। तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाएँ विकसित की जा रही हैं, जिसमें मंग्रोव और प्रवाल भित्तियों की रक्षा करना शामिल है, जो प्राकृतिक सुरक्षा कवच का कार्य करते हैं।
संक्षेप में, भारत की लंबी तटरेखा आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों की अपार संभावनाएँ प्रदान करती है, लेकिन यह प्राकृतिक खतरों के प्रति भी संवेदनशील है। आपदा प्रबंधन, अवसंरचना सुधार, और प्रभावी तटीय प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि इन खतरों को कम किया जा सके और तटरेखीय संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
See less
उत्तर प्रदेश के प्रमुख भौतिक प्रदेश उत्तर प्रदेश को मुख्यतः गंगा मैदान, भाबर, तराई, विंध्याचल पठार, और बुंदेलखंड क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। भाबर क्षेत्र: स्थान: शिवालिक पहाड़ियों के तल पर स्थित। विशेषताएँ: इसमें कंकड़ और बजरी की मिट्टी होती है, जो सतही जलवर्धन की भूमिका निभाती है। भाबर कRead more
उत्तर प्रदेश के प्रमुख भौतिक प्रदेश
उत्तर प्रदेश को मुख्यतः गंगा मैदान, भाबर, तराई, विंध्याचल पठार, और बुंदेलखंड क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है।
भाबर क्षेत्र:
तराई क्षेत्र:
निष्कर्ष: भाबर और तराई क्षेत्रों की भौगोलिक विशेषताएँ उत्तर प्रदेश के समग्र भौगोलिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं, जिसमें भूमि उपयोग, कृषि, और जलवर्धन की संभावनाएँ शामिल हैं।
See less