Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
प्राचीन भारत के विकास की दिशा में भौगोलिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
प्राचीन भारत के विकास की दिशा में भौगोलिक कारकों की भूमिका भौगोलिक कारकों ने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिमालय ने उत्तरी सीमाओं की रक्षा की और एक प्राकृतिक अवरोध के रूप में कार्य किया। इसके कारण भारत में विदेशी आक्रमणों की आवृत्ति सीमित रही, जबकि इसे उतRead more
प्राचीन भारत के विकास की दिशा में भौगोलिक कारकों की भूमिका
भौगोलिक कारकों ने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिमालय ने उत्तरी सीमाओं की रक्षा की और एक प्राकृतिक अवरोध के रूप में कार्य किया। इसके कारण भारत में विदेशी आक्रमणों की आवृत्ति सीमित रही, जबकि इसे उत्तर-पश्चिमी दर्रों (जैसे खैबर और बोलन दर्रा) के माध्यम से बाहरी संस्कृतियों के संपर्क में भी रखा।
नदियाँ, विशेष रूप से सिंधु, गंगा, और यमुना ने कृषि और सभ्यता के विकास को बढ़ावा दिया। सिंधु घाटी सभ्यता (2500-1700 BCE) सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई, जहाँ समृद्ध कृषि ने शहरीकरण को प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार, गंगा-यमुना का मैदान महाजनपद काल (600-300 BCE) में राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र बना, जिससे मौर्य और गुप्त साम्राज्यों का उदय हुआ।
इसके अलावा, दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क के प्रमुख केंद्र बने, जहाँ से प्राचीन भारत का व्यापार रोम और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ हुआ। उदाहरणस्वरूप, चोल साम्राज्य (9वीं-13वीं शताब्दी) ने समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भौगोलिक विविधता ने भारत के क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विविधता को जन्म दिया, जिससे भारत में कई संस्कृतियों और परंपराओं का समन्वय हुआ।
See lessभारत के विशेष संदर्भ में सीमांत (फ्रंटियर) और सीमा (बाउंडरी) का अंतर स्पष्ट कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत में सीमांत और सीमा का अंतर सीमांत (फ्रंटियर) सीमांत वह क्षेत्र होता है जो किसी देश की सीमा से जुड़ा हुआ होता है और आमतौर पर इसे राजनयिक या आर्थिक रूप से पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया जाता। यह राजनीतिक प्रभावों और सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में अस्थिर या सीमांत क्षेत्र हो सकता है। भारत में जम्मूRead more
भारत में सीमांत और सीमा का अंतर
सीमांत (फ्रंटियर)
सीमांत वह क्षेत्र होता है जो किसी देश की सीमा से जुड़ा हुआ होता है और आमतौर पर इसे राजनयिक या आर्थिक रूप से पूरी तरह से परिभाषित नहीं किया जाता। यह राजनीतिक प्रभावों और सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में अस्थिर या सीमांत क्षेत्र हो सकता है। भारत में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्र सीमांत क्षेत्रों के उदाहरण हैं, जहां भौगोलिक और सुरक्षात्मक मुद्दे प्रमुख हैं।
सीमा (बाउंडरी)
सीमा वह स्पष्ट रूप से परिभाषित रेखा है जो दो देशों के बीच स्थिर और मान्यता प्राप्त विभाजन को दर्शाती है। यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों और मानचित्रों के माध्यम से निर्धारित की जाती है। भारत की चीन के साथ लम्बी सीमा और पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा इसका उदाहरण हैं, जो सीमा समझौतों के आधार पर निश्चित हैं।
हाल के उदाहरण
उत्तर प्रदेश को प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभाजित करते हुए इसके भॉबर और तराई क्षेत्रों की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
उत्तर प्रदेश को प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है: तराई, भॉबर, गंगा मैदान, बुंदेलखंड पठार, और विंध्याचल श्रृंखला। ### भॉबर क्षेत्र - **स्थान**: शिवालिक पहाड़ियों के आधार पर स्थित। - **विशेषताएँ**: यह क्षेत्र कंकरीली और बालूली मिट्टी से बना है, जहाँ नदियाँ गहराई में बहती हैं। यहाँ कीRead more
उत्तर प्रदेश को प्रमुख भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है: तराई, भॉबर, गंगा मैदान, बुंदेलखंड पठार, और विंध्याचल श्रृंखला।
### भॉबर क्षेत्र
– **स्थान**: शिवालिक पहाड़ियों के आधार पर स्थित।
– **विशेषताएँ**: यह क्षेत्र कंकरीली और बालूली मिट्टी से बना है, जहाँ नदियाँ गहराई में बहती हैं। यहाँ की मिट्टी में जल अवशोषण की क्षमता कम होती है, जिससे कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।
### तराई क्षेत्र
– **स्थान**: भॉबर क्षेत्र के दक्षिण में, हिमालय की तलहटी के साथ।
– **विशेषताएँ**: यह क्षेत्र नवीनतम अवसादी मिट्टी से बना है, जिसमें उर्वरता अधिक है। यहाँ की मिट्टी गीली और दलदली है, और यह क्षेत्र वनस्पति और जैव विविधता से समृद्ध है।
ये क्षेत्र उत्तर प्रदेश की कृषि और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessभारत की लंबी तटरेखीय संसाधन क्षमताओं पर टिप्पणी कीजिए और इन क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए। (250 words) [UPSC 2023]
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है। तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ: आर्थिक अवसर: भारत की तटरेखा बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की संभावनाएं प्रदान करती है। मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे प्रमुख बंदरगाRead more
भारत की लंबी तटरेखा, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक है, महत्वपूर्ण संसाधन क्षमताओं के साथ-साथ प्राकृतिक खतरों से संबंधित चुनौतियों को प्रस्तुत करती है।
तटरेखीय संसाधन क्षमताएँ:
प्राकृतिक खतरे की तैयारी:
संक्षेप में, भारत की लंबी तटरेखा आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों की अपार संभावनाएँ प्रदान करती है, लेकिन यह प्राकृतिक खतरों के प्रति भी संवेदनशील है। आपदा प्रबंधन, अवसंरचना सुधार, और प्रभावी तटीय प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता है ताकि इन खतरों को कम किया जा सके और तटरेखीय संसाधनों का स्थायी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
See lessभारत को एक उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है ? विस्तारपूर्वक उत्तर दीजिए । (150 words)[UPSC 2021]
भारत को उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है? भौगोलिक विशेषताएँ: भौगोलिक अलगाव: भारत एशिया के महाद्वीप से हिमालय पर्वत श्रृंखला और वेस्टर्न घाटों के माध्यम से भौगोलिक रूप से अलग है। ये पर्वत श्रृंखलाएँ इसे अन्य एशियाई क्षेत्रों से पृथक करती हैं, जिससे यह एक स्पष्ट उपमहाद्वीप बनता है। भूमि क्षेत्र और आकार:Read more
भारत को उपमहाद्वीप क्यों माना जाता है?
भौगोलिक विशेषताएँ:
जलवायु और पारिस्थितिकी:
संस्कृतिक और ऐतिहासिक विशेषताएँ:
इन विशेषताओं के कारण भारत एक उपमहाद्वीप के रूप में मान्यता प्राप्त करता है, जो उसे अन्य महाद्वीपों से भिन्न और विशिष्ट बनाता है।
See less