पारिस्थितिक तंत्र के लिए मृदा द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन के महत्व पर चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
एल नीनो और दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच संबंध: एल नीनो एक जलवायु घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्से में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इसका प्रभाव वैश्विक मौसम पर पड़ता है, विशेषकर भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर। दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो जून से सितंबर तकRead more
एल नीनो और दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच संबंध:
एल नीनो एक जलवायु घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्से में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इसका प्रभाव वैश्विक मौसम पर पड़ता है, विशेषकर भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर।
दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो जून से सितंबर तक भारत में वर्षा लाता है, एल नीनो की स्थिति में कमजोर हो जाता है। जब एल नीनो सक्रिय होता है, तो यह भारतीय मानसूनी हवाओं की दिशा और ताकत को प्रभावित करता है, जिससे मानसून की बारिश में कमी हो सकती है। गर्म महासागरीय तापमान वायुमंडलीय संचलन को बाधित करता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में कम नमी आती है।
कृषि पर प्रभाव:
- वर्षा में कमी: कमजोर मानसून के कारण वर्षा की कमी हो जाती है, जो खासकर वर्षा पर निर्भर फसलों जैसे कि धान, दालें और मोटे अनाजों के लिए हानिकारक होती है।
- सूखा स्थिति: कम वर्षा से सूखा उत्पन्न हो सकता है, जिससे मिट्टी की नमी में कमी और फसल उत्पादन में गिरावट आती है।
- खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: सूखा और कम फसल उत्पादन खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है, जिससे खाद्य मूल्य बढ़ सकते हैं और किसानों की आय घट सकती है।
- आर्थिक हानि: कृषि उत्पादन में कमी से किसानों को आर्थिक नुकसान होता है, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार, एल नीनो का प्रभाव दक्षिण-पश्चिम मानसून पर कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा पर महत्वपूर्ण असर डालता है।
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मृदा पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसका संधारणीय प्रबंधन पारिस्थितिक संतुलन और कृषि उत्पादकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में, जहां बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, संधारणीय मृदा प्रबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है। मृदा का महत्व: आर्थिक दृष्टिकोण: मृदा कृषि उत्पादकता में केंद्रीRead more
मृदा पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसका संधारणीय प्रबंधन पारिस्थितिक संतुलन और कृषि उत्पादकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में, जहां बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, संधारणीय मृदा प्रबंधन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मृदा का महत्व:
भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन के प्रमुख पहलू:
समाप्ति: भारत में संधारणीय मृदा प्रबंधन न केवल कृषि उत्पादकता और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। इसके लिए एक समन्वित दृष्टिकोण और सभी स्तरों पर जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है।
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