.भारत विभिन्न कारणों से अपनी पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का दोहन नहीं कर पाया है। चर्चा कीजिए और आगे की राह सुनाइए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं: विशेषताएँ: रूप: ये चट्टानें अक्सर कणों की संरचना में होते हैं और इनके ठोस होने का समय आग्नेय प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। संघटन:Read more
प्राथमिक चट्टानें, जिन्हें आग्नेय या इग्नियस चट्टानें भी कहा जाता है, वे चट्टानें हैं जो मैग्मा या लावा के ठोस होने से बनती हैं। इनकी विशेषताएँ और प्रकार निम्नलिखित हैं:
विशेषताएँ:
- रूप: ये चट्टानें अक्सर कणों की संरचना में होते हैं और इनके ठोस होने का समय आग्नेय प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है।
- संघटन: इनका संगठन क्रिस्टलीय होता है, और इन्हें क्रिस्टल के आकार और प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
प्रकार:
- इंट्रूसिव (प्लुटोनिक) चट्टानें: ये चट्टानें मैग्मा के पृथ्वी की आंतरिक परतों में ठोस होने से बनती हैं। उदाहरण: ग्रेनाइट, डायराइट।
- एक्सट्रूसिव (वोल्केनिक) चट्टानें: ये चट्टानें लावा के सतह पर ठोस होने से बनती हैं। उदाहरण: बैसाल्ट, राइओलाइट।
प्राथमिक चट्टानें पृथ्वी की सतह के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इनकी संरचना से भूगर्भीय प्रक्रियाओं की जानकारी मिलती है।
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भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं: स्थानीय चुनौतियाँ: पवन ऊर्जा परियोजनाएँ अक्सर उन क्षेत्रों में स्थापित की जाती हैं जहां हवा की गति उच्च होती है, लेकिन ये क्षेत्र ग्रामीण और दूरस्थ होते हैं, जिससे निर्माण औरRead more
भारत की पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता का पूर्ण रूप से दोहन न कर पाने के पीछे कई कारण हैं। प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आगे की राह में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
इन प्रयासों से भारत पवन ऊर्जा की अपार संभावनाओं का पूरा लाभ उठा सकता है।
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