कृषि में मृदा प्रोफाइल एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्या आप सहमत हैं ? (125 Words) [UPPSC 2023]
एल नीनो और दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच संबंध: एल नीनो एक जलवायु घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्से में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इसका प्रभाव वैश्विक मौसम पर पड़ता है, विशेषकर भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर। दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो जून से सितंबर तकRead more
एल नीनो और दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच संबंध:
एल नीनो एक जलवायु घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी हिस्से में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है। इसका प्रभाव वैश्विक मौसम पर पड़ता है, विशेषकर भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून पर।
दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो जून से सितंबर तक भारत में वर्षा लाता है, एल नीनो की स्थिति में कमजोर हो जाता है। जब एल नीनो सक्रिय होता है, तो यह भारतीय मानसूनी हवाओं की दिशा और ताकत को प्रभावित करता है, जिससे मानसून की बारिश में कमी हो सकती है। गर्म महासागरीय तापमान वायुमंडलीय संचलन को बाधित करता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में कम नमी आती है।
कृषि पर प्रभाव:
- वर्षा में कमी: कमजोर मानसून के कारण वर्षा की कमी हो जाती है, जो खासकर वर्षा पर निर्भर फसलों जैसे कि धान, दालें और मोटे अनाजों के लिए हानिकारक होती है।
- सूखा स्थिति: कम वर्षा से सूखा उत्पन्न हो सकता है, जिससे मिट्टी की नमी में कमी और फसल उत्पादन में गिरावट आती है।
- खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: सूखा और कम फसल उत्पादन खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है, जिससे खाद्य मूल्य बढ़ सकते हैं और किसानों की आय घट सकती है।
- आर्थिक हानि: कृषि उत्पादन में कमी से किसानों को आर्थिक नुकसान होता है, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार, एल नीनो का प्रभाव दक्षिण-पश्चिम मानसून पर कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा पर महत्वपूर्ण असर डालता है।
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कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका 1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है। 2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यRead more
कृषि में मृदा प्रोफाइल की भूमिका
1. उर्वरता निर्धारण: मृदा प्रोफाइल में मृदा की परतें और उनकी संरचना उर्वरता को निर्धारित करती हैं। ऊपरी परत में ह्यूमस और पोषक तत्वों की उपलब्धता फसलों की वृद्धि पर सीधा असर डालती है।
2. जल संचयन: मृदा प्रोफाइल का जल धारण क्षमता फसलों की जल आपूर्ति और सिंचाई की आवश्यकता को प्रभावित करती है। पानी के स्तर और संचयन क्षमता की जानकारी से बेहतर कृषि प्रबंधन संभव है।
3. रूट विकास: मृदा की गहराई और सघनता पौधों की जड़ प्रणाली के विकास को प्रभावित करती है। एक अच्छा मृदा प्रोफाइल जड़ों को गहराई से विकास करने की सुविधा देता है।
4. नियंत्रण और सुधार: सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन मृदा सुधार और नियंत्रण उपायों की योजना बनाने में मदद करता है, जिससे कृषि उत्पादन में सुधार होता है।
निष्कर्ष: मृदा प्रोफाइल कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उर्वरता, जल संचयन, और पौधों के विकास को प्रभावित करता है। सही मृदा प्रोफाइल का अध्ययन कृषि प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक है।
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