प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] राष्ट्रीय जल नीति, 2012 पर एक निबन्ध लिखिये।
भारत में अलवणजल संसाधनों की प्रचुरता और जलाभाव: समालोचनात्मक परीक्षण अलवणजल संसाधनों की प्रचुरता भारत अलवणजल (फ्रेश वॉटर) संसाधनों में समृद्ध है, जिसमें प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, और दक्खिन की नदियाँ शामिल हैं। देश की कुल जलवायु और भूगोल के कारण यहाँ जल संसाधनों की कोई कमी नहीं है।Read more
भारत में अलवणजल संसाधनों की प्रचुरता और जलाभाव: समालोचनात्मक परीक्षण
अलवणजल संसाधनों की प्रचुरता
भारत अलवणजल (फ्रेश वॉटर) संसाधनों में समृद्ध है, जिसमें प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, और दक्खिन की नदियाँ शामिल हैं। देश की कुल जलवायु और भूगोल के कारण यहाँ जल संसाधनों की कोई कमी नहीं है।
जलाभाव के कारण
- जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण असमान वर्षा पैटर्न, बाढ़, और सूखा जैसी समस्याएँ बढ़ी हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में बिहार और उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा और बाढ़ ने जल संसाधनों की असमानता को उजागर किया। - जल प्रबंधन की कमी
जल प्रबंधन की कमी और अधिक पानी का व्यय के कारण जल संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। जलाशयों और पानी संग्रहीत योजनाओं की कमी भी एक प्रमुख कारण है। पानी की चोरी और अप्रभावी नल जल आपूर्ति प्रणाली समस्याओं को और बढ़ाते हैं। - जनसंख्या वृद्धि और जल का अत्यधिक उपयोग
जनसंख्या वृद्धि और अत्यधिक जल उपयोग के कारण उपलब्ध जल संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है। शहरीकरण और विकास परियोजनाएँ जल संसाधनों की कमी को और बढ़ाती हैं। पानी की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन एक प्रमुख मुद्दा है। - जल प्रदूषण
जल प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या है। नदियों में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट के कारण जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, गंगा नदी का प्रदूषण जल की उपलब्धता को और कम करता है।
निष्कर्ष
भले ही भारत में अलवणजल संसाधनों की प्रचुरता है, लेकिन जलाभाव की समस्या कई जटिल कारणों से उत्पन्न हो रही है। इसके समाधान के लिए समन्वित जल प्रबंधन, जल पुनर्चक्रण, सतत विकास योजनाएँ और सामाजिक जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। जल संसाधनों का समुचित उपयोग और संरक्षण ही इस समस्या का समाधान है।
राष्ट्रीय जल नीति, 2012: एक निबन्ध परिचय जल एक अनमोल संसाधन है जो जीवन के अस्तित्व और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। भारत, एक देश जो विविध जलवायु और जल संसाधनों से संपन्न है, जल प्रबंधन की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल नीति, 2012 को अपनाRead more
राष्ट्रीय जल नीति, 2012: एक निबन्ध
परिचय
जल एक अनमोल संसाधन है जो जीवन के अस्तित्व और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। भारत, एक देश जो विविध जलवायु और जल संसाधनों से संपन्न है, जल प्रबंधन की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल नीति, 2012 को अपनाया। इस नीति का उद्देश्य जल संसाधनों के समुचित प्रबंधन, संरक्षण, और वितरण को सुनिश्चित करना है।
नीति के प्रमुख उद्देश्य
1. जल संसाधनों का सटीक प्रबंधन
राष्ट्रीय जल नीति, 2012 का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों का प्रभावी और समन्वित प्रबंधन है। इसके अंतर्गत, नदियों, तालाबों, और जलाशयों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा। यह नीति जल की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न उपायों की सिफारिश करती है।
2. जल संरक्षण
नीति में जल संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। इसमें जल पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, और वर्षा के पानी का संचयन जैसी योजनाओं को शामिल किया गया है। उदाहरणस्वरूप, भारत सरकार ने कई राज्यों में जल पुनर्चक्रण परियोजनाओं को लागू किया है, जो जल की बर्बादी को कम करने में सहायक रही हैं।
3. जल की गुणवत्ता में सुधार
नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू जल की गुणवत्ता में सुधार है। इसमें जल प्रदूषण को नियंत्रित करने और स्वच्छ जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम और मानक स्थापित किए गए हैं। उदाहरण के लिए, गंगा नदी की स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार ने “नमामि गंगे” योजना को लागू किया है, जो नदी की जल गुणवत्ता को सुधारने के लिए समर्पित है।
4. जल उपयोग की दक्षता
राष्ट्रीय जल नीति, 2012 जल उपयोग में दक्षता को बढ़ाने की दिशा में काम करती है। इसमें कृषि, उद्योग, और घरेलू उपयोग के लिए जल संसाधनों के अधिक प्रभावी उपयोग की सलाह दी गई है। उदाहरण के लिए, कृषि में ड्रिप सिंचाई जैसी प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित किया गया है, जो जल की उपयोगिता को बढ़ाती हैं।
5. जल विवादों का समाधान
नीति जल विवादों के समाधान के लिए एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देती है। विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के बीच जल विवादों को सुलझाने के लिए एक ठोस और पारदर्शी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया गया है। वर्तमान में, कर्नाटका और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर विवाद को सुलझाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
6. लोगों की भागीदारी
नीति में लोगों की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें जल प्रबंधन की योजनाओं में समुदायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया है। स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए लोगों को जागरूक करने के कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
चुनौतियाँ और समाधान
1. पानी की बर्बादी
भारत में पानी की बर्बादी एक बड़ी चुनौती है। नीति के तहत जल उपयोग के मानकों और नियंत्रण उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। जन जागरूकता अभियान और सख्त निगरानी तंत्र इस समस्या को कम कर सकते हैं।
2. जल प्रदूषण
जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जिसका समाधान नीति के अनुसार स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रभावी उपायों से संभव है। कड़े पर्यावरणीय नियम और मानकों का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
3. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता और वितरण में असमानताएँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके समाधान के लिए नीति को जलवायु अनुकूलन योजनाओं को भी शामिल करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय जल नीति, 2012 एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जो जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन, और समुचित उपयोग को सुनिश्चित करती है। हालांकि इस नीति के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसके उद्देश्यों और उपायों के माध्यम से भारत में जल संकट को नियंत्रित किया जा सकता है। नीति का सफल कार्यान्वयन जल की भविष्यवाणी, गुणवत्ता, और उपलब्धता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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