दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में ‘पुरवैया’ (पूर्वी) क्यों कहलाता है? इस दिशापरक मौसमी पवन प्रणाली ने क्षेत्र के सांस्कृतिक लोकाचार को कैसे प्रभावित किया है? ( 150 Words) [UPSC 2023]
भारतीय मानसून के आचरण में मानवीकारी दृश्यभूमियों (Anthropogenic Landscapes) के कारण बदलाव एक महत्वपूर्ण विषय है। मानवीकरण के प्रभाव, जैसे भूमि उपयोग परिवर्तन, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन, भारतीय मानसून के पैटर्न और उसके आचरण को प्रभावित कर सकते हैं। सहमत होने के तर्क: भूमि उपयोग परिवर्तन: वृक्षारोपणRead more
भारतीय मानसून के आचरण में मानवीकारी दृश्यभूमियों (Anthropogenic Landscapes) के कारण बदलाव एक महत्वपूर्ण विषय है। मानवीकरण के प्रभाव, जैसे भूमि उपयोग परिवर्तन, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन, भारतीय मानसून के पैटर्न और उसके आचरण को प्रभावित कर सकते हैं।
सहमत होने के तर्क:
भूमि उपयोग परिवर्तन:
वृक्षारोपण और वनकटाई: वनों की कटाई और वृक्षारोपण में बदलाव से वाष्पीकरण और जलवायु में परिवर्तन हो सकता है, जिससे मानसून की तीव्रता और वितरण प्रभावित हो सकता है।
शहरीकरण: शहरों की विस्तार और ठोस सतहों का निर्माण (जैसे कंक्रीट और एशफाल्ट) स्थानीय तापमान को बढ़ाता है, जिससे स्थानीय मानसूनी पैटर्न में बदलाव हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन:
ग्लोबल वार्मिंग: जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री तापमान में वृद्धि और वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि भारतीय मानसून की परिकल्पना और तीव्रता को प्रभावित कर रही है।
अनियमित मानसून: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की नियमितता में अस्थिरता आ सकती है, जिससे सूखा और बाढ़ जैसी घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
जल प्रबंधन और कृषि:
जल संचयन परियोजनाएँ: बांधों, जलाशयों, और अन्य जल प्रबंधन परियोजनाओं का निर्माण मानसून के प्रवाह और वितरण को प्रभावित कर सकता है।
कृषि प्रथाएँ: फसलों की खेती और सिंचाई की प्रथाएँ मानसून के आचरण को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसल के मौसम में बदलाव।
निष्कर्ष:
मानवीकीय गतिविधियाँ भारतीय मानसून के आचरण में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती हैं। भूमि उपयोग परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन, और जल प्रबंधन के उपाय मानसून के पैटर्न, तीव्रता, और वितरण को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, भारतीय मानसून के आचरण को समझने और प्रबंधित करने के लिए मानवीकीय प्रभावों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, मानवीकारी दृश्यभूमियों के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन के तर्क को मान्यता देना उचित है, और इसका अध्ययन और प्रबंधन आवश्यक है।
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दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में 'पुरवैया' (पूर्वी) क्यों कहलाता है? 1. वायुमंडलीय दबाव और पवन प्रणाली: दक्षिण-पश्चिम मानसून की पवनें सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हैं। जब ये पवनें भोजपुर क्षेत्र में पहुँचती हैं, तो ये स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ में पुरवैया (पRead more
दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में ‘पुरवैया’ (पूर्वी) क्यों कहलाता है?
1. वायुमंडलीय दबाव और पवन प्रणाली: दक्षिण-पश्चिम मानसून की पवनें सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हैं। जब ये पवनें भोजपुर क्षेत्र में पहुँचती हैं, तो ये स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ में पुरवैया (पूर्वी) के नाम से जानी जाती हैं। इसका कारण पवनों की दिशा और क्षेत्रीय स्थानीयकरण है।
2. सांस्कृतिक प्रभाव: पुरवैया की उपस्थिति ने क्षेत्रीय सांस्कृतिक लोकाचार को गहरे प्रभावित किया है। फसल चक्र, त्योहारों और मूल्य प्रणालियों में इस पवन प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए, अवध और बिहार में चतुरथा (छठ) जैसे त्योहार, जो मानसून के आगमन और फसल की समयानुकूलता से जुड़े हैं, इसका हिस्सा हैं।
3. स्थानीय जीवन पर प्रभाव: पुरवैया पवनें फसल उत्पादन को प्रभावित करती हैं और कृषि पर निर्भरता को बढ़ाती हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ मानसून के आधार पर संचालित होती हैं।
इस प्रकार, दक्षिण-पश्चिम मानसून का ‘पुरवैया’ नामकरण और सांस्कृतिक प्रभाव भोजपुर क्षेत्र की स्थानीय परंपराओं और जीवनशैली को साकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
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