दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में ‘पुरवैया’ (पूर्वी) क्यों कहलाता है? इस दिशापरक मौसमी पवन प्रणाली ने क्षेत्र के सांस्कृतिक लोकाचार को कैसे प्रभावित किया है? ( 150 Words) [UPSC 2023]
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात प्रवण क्षेत्रों के लिए मौसम संबंधी चेतावनियों के रंग-संकेत **1. लाल रंग (Red): यह रंग सबसे गंभीर चेतावनी को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि एक खतरनाक चक्रवात आ रहा है, जो बड़ी नुकसान का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, अति गंभीर चक्रवात अम्फान (2020) के दौरान, लालRead more
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात प्रवण क्षेत्रों के लिए मौसम संबंधी चेतावनियों के रंग-संकेत
**1. लाल रंग (Red): यह रंग सबसे गंभीर चेतावनी को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि एक खतरनाक चक्रवात आ रहा है, जो बड़ी नुकसान का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, अति गंभीर चक्रवात अम्फान (2020) के दौरान, लाल रंग के संकेत दिए गए थे, जोकि भयंकर तूफान की ओर इशारा करते थे।
**2. ऑरेंज रंग (Orange): यह रंग एक उच्च स्तर की चेतावनी को संकेतित करता है। इसका मतलब है कि एक गंभीर चक्रवात आ रहा है, जिसके प्रभाव से खतरे की संभावना है। चक्रवात यास (2021) के दौरान, ऑरेंज रंग की चेतावनी जारी की गई थी।
**3. पीला रंग (Yellow): यह रंग सावधानियों को दर्शाता है। इसका मतलब है कि एक चक्रवात विकसित हो सकता है, और इसके प्रभाव से सतर्क रहने की आवश्यकता है। चक्रवात गुलाब (2021) के दौरान, पीला रंग की चेतावनी जारी की गई थी।
**4. हरा रंग (Green): यह रंग कोई चेतावनी नहीं देने को दर्शाता है। इसका मतलब है कि मौसम सामान्य है और किसी विशेष खतरे की संभावना नहीं है।
इन रंग-संकेतों के माध्यम से, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग सार्वजनिक सुरक्षा और सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी चेतावनी प्रणाली प्रदान करता है।
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दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में 'पुरवैया' (पूर्वी) क्यों कहलाता है? 1. वायुमंडलीय दबाव और पवन प्रणाली: दक्षिण-पश्चिम मानसून की पवनें सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हैं। जब ये पवनें भोजपुर क्षेत्र में पहुँचती हैं, तो ये स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ में पुरवैया (पRead more
दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में ‘पुरवैया’ (पूर्वी) क्यों कहलाता है?
1. वायुमंडलीय दबाव और पवन प्रणाली: दक्षिण-पश्चिम मानसून की पवनें सामान्यतः दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हैं। जब ये पवनें भोजपुर क्षेत्र में पहुँचती हैं, तो ये स्थानीय भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ में पुरवैया (पूर्वी) के नाम से जानी जाती हैं। इसका कारण पवनों की दिशा और क्षेत्रीय स्थानीयकरण है।
2. सांस्कृतिक प्रभाव: पुरवैया की उपस्थिति ने क्षेत्रीय सांस्कृतिक लोकाचार को गहरे प्रभावित किया है। फसल चक्र, त्योहारों और मूल्य प्रणालियों में इस पवन प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए, अवध और बिहार में चतुरथा (छठ) जैसे त्योहार, जो मानसून के आगमन और फसल की समयानुकूलता से जुड़े हैं, इसका हिस्सा हैं।
3. स्थानीय जीवन पर प्रभाव: पुरवैया पवनें फसल उत्पादन को प्रभावित करती हैं और कृषि पर निर्भरता को बढ़ाती हैं, जिससे सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ मानसून के आधार पर संचालित होती हैं।
इस प्रकार, दक्षिण-पश्चिम मानसून का ‘पुरवैया’ नामकरण और सांस्कृतिक प्रभाव भोजपुर क्षेत्र की स्थानीय परंपराओं और जीवनशैली को साकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
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