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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत, उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने और उनके हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून था। इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ताओं को निम्नलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैं: सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार हैRead more
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986, भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने और उनके हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून था। इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ताओं को निम्नलिखित अधिकार प्रदान किए गए हैं:
ये अधिकार उपभोक्ताओं को उनके लेन-देन में न्याय और सुरक्षा प्रदान करते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करते हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत, उपभोक्ता न्याय की दिशा में एक ठोस ढांचा स्थापित किया गया था, और इसे समय-समय पर अद्यतन किया गया है ताकि उपभोक्ताओं की बढ़ती आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके।
See lessनागरिकों और अन्य हितधारकों को जानकारी और सेवाओं के लिए एकल खिड़की पहुंच प्रदान करने हेतु भारत सरकार का कौन-सा पोर्टल है?
भारत सरकार का एकल खिड़की पोर्टल: भारत सरकार की वेबसाइटें और सेवाएं **1. एकल खिड़की पोर्टल की परिभाषा: एकल खिड़की पोर्टल: एकल खिड़की पोर्टल का उद्देश्य नागरिकों और अन्य हितधारकों को सरकारी सेवाओं और जानकारी के लिए एक केंद्रीकृत और सुलभ प्लेटफार्म प्रदान करना है। यह पोर्टल उपयोगकर्ताओं को विभिन्न सरकाRead more
भारत सरकार का एकल खिड़की पोर्टल: भारत सरकार की वेबसाइटें और सेवाएं
**1. एकल खिड़की पोर्टल की परिभाषा:
**2. भारत सरकार का प्रमुख एकल खिड़की पोर्टल:
**3. हाल के उदाहरण और सफलताएँ:
**4. फायदे और विशेषताएँ:
**5. भविष्य की दिशा और नवाचार:
**6. निष्कर्ष:
भारत सरकार के “सर्विसेज डॉट गव डॉट इन” पोर्टल ने नागरिकों और अन्य हितधारकों को सरकारी सेवाओं और जानकारी के लिए एक केंद्रीकृत और सुलभ प्लेटफार्म प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त, अन्य महत्वपूर्ण पोर्टल्स जैसे “आधार” और “जन धन योजना” ने भी डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता और उपयोगिता को बढ़ाया है। ये पोर्टल सरकारी सेवाओं को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के प्रयासों में सहायक हैं।
See lessभारत में निर्धनता की माप कैसे की जाती है? भारत में ग्रामीण निर्धनता दूर करने के लिए उठाये गये कदमों का वर्णन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
भारत में निर्धनता की माप और ग्रामीण निर्धनता दूर करने के कदम 1. निर्धनता की माप: निर्धनता रेखा: भारत में निर्धनता की माप आय और उपभोग के आधार पर की जाती है। तेंदुलकर समिति (2009) और रंगराजन समिति (2014) ने निर्धनता रेखा को अद्यतन किया है, जो यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति या परिवार कितनी आय पर निर्धRead more
भारत में निर्धनता की माप और ग्रामीण निर्धनता दूर करने के कदम
1. निर्धनता की माप:
2. ग्रामीण निर्धनता दूर करने के कदम:
निष्कर्ष: भारत निर्धनता को आय-आधारित मापदंडों और सर्वेक्षणों के माध्यम से मापता है। ग्रामीण निर्धनता दूर करने के लिए रोजगार गारंटी, आवास योजनाएँ और आत्मनिर्भरता कार्यक्रम जैसे उपाय उठाए गए हैं।
See lessप्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है ? चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2015]
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन: भारत में सहायिकियों के परिदृश्य में परिवर्तन परिचय भारत में कीमत सहायिकी के प्रतिस्थापन के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) की पहल, सब्सिडी वितरण तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाती है। इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना, लीकेज कोRead more
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन: भारत में सहायिकियों के परिदृश्य में परिवर्तन
परिचय
भारत में कीमत सहायिकी के प्रतिस्थापन के रूप में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) की पहल, सब्सिडी वितरण तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाती है। इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाना, लीकेज को कम करना और लक्षित लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना है।
लक्ष्यीकरण और दक्षता में सुधार
1. लीकेज में कमी: डी.बी.टी. लाभों को सीधा लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करता है, जिससे मध्यस्थों द्वारा होने वाली गड़बड़ी और लीकेज कम होती है। उदाहरण के लिए, एलपीजी सब्सिडी योजना में डी.बी.टी. ने भ्रष्टाचार को काफी हद तक कम किया है और सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाई है।
2. पारदर्शिता में वृद्धि: डी.बी.टी. प्रणाली की लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकॉर्ड होती है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार होता है। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पी.एम.जेडी.वाई.) ने डी.बी.टी. को एकीकृत कर सब्सिडी वितरण और वित्तीय समावेशन को सरल बनाया है।
व्यय की बचत और राजकोषीय प्रभाव
3. प्रशासनिक लागत में कमी: डी.बी.टी. मध्यस्थों को हटाकर और सीधे लाभार्थियों को संसाधन पहुंचाकर प्रशासनिक लागत को कम करता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एन.एस.ए.पी.) के तहत डी.बी.टी. के माध्यम से लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने में प्रशासनिक लागत कम हुई है।
4. राजकोषीय जिम्मेदारी: सब्सिडी का बेहतर लक्ष्यीकरण डी.बी.टी. के माध्यम से सरकारी खर्च को नियंत्रित करने में मदद करता है। जैसे कि उर्वरक सब्सिडी के स्थान पर डी.बी.टी. ने सब्सिडी खर्च को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, भारत में कीमत सहायिकी के स्थान पर डी.बी.टी. की ओर बदलाव से दक्षता, पारदर्शिता, और राजकोषीय जिम्मेदारी में सुधार होने की उम्मीद है। हाल के उदाहरण बताते हैं कि डी.बी.टी. पारंपरिक सब्सिडी तंत्र से जुड़ी समस्याओं का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकता है।
See less"गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर, ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।"- अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में, इस कथन पर चर्चा कीजिए। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिए प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (200 words) [UPSC 2014]
गाँवों में सहकारी समितियों की उपयुक्तता और कृषि वित्त में बाधाएँ: 1. सहकारी समितियों की उपयुक्तता: सहकारी समितियाँ और ग्रामीण वित्त: अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण ने यह बताया कि सहकारी समितियाँ गाँवों में ऋण संगठनों के रूप में सबसे उपयुक्त हैं। इनका स्थानीय प्रबंधन और समुदाय पर आधारित ढाँचा ग्रामRead more
गाँवों में सहकारी समितियों की उपयुक्तता और कृषि वित्त में बाधाएँ:
1. सहकारी समितियों की उपयुक्तता:
2. कृषि वित्त में बाधाएँ:
3. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
निष्कर्ष: सहकारी समितियाँ गाँवों में ऋण संगठनों के रूप में अत्यंत उपयुक्त हैं क्योंकि वे स्थानीय जरूरतों और प्रबंधन को बेहतर ढंग से समझती हैं। कृषि वित्त की प्रभावशीलता को सुधारने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग महत्वपूर्ण है, जिसमें डिजिटल बैंकिंग, फिनटेक समाधान, और स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों के माध्यम से बेहतर पहुँच और सेवा सुनिश्चित की जा सकती है।
See lessक्या ऐन्टीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि प्रतिरोधी रोगों के आविर्भाव के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध है? इस सम्बन्ध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनापूर्वक चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
परिचय: ऐन्टीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना उनकी मुक्त उपलब्धता भारत में औषधि प्रतिरोधी रोगों के उदय के प्रमुख कारण हो सकते हैं। यह समस्या सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती है, क्योंकि इससे ऐन्टीबायोटिक की प्रभावशीलता कम होती है और प्रतिरोधी बैक्टीरिया का प्रसार होतRead more
परिचय: ऐन्टीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना उनकी मुक्त उपलब्धता भारत में औषधि प्रतिरोधी रोगों के उदय के प्रमुख कारण हो सकते हैं। यह समस्या सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती है, क्योंकि इससे ऐन्टीबायोटिक की प्रभावशीलता कम होती है और प्रतिरोधी बैक्टीरिया का प्रसार होता है।
औषधि प्रतिरोध के योगदानकर्ता:
अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्रियाविधियाँ:
समीक्षा:
निष्कर्ष: ऐन्टीबायोटिकों का अति-उपयोग और नुस्खे के बिना उपलब्धता भारत में औषधि प्रतिरोधी रोगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रभावी नियंत्रण के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करना, स्टुअर्डशिप कार्यक्रमों को लागू करना, और जन जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। संबंधित मुद्दों पर ध्यान देकर ही इस समस्या का समाधान संभव है।
See lessभारत में भीड़ हिंसा एक गम्भीर कानून और व्यवस्था समस्या के रूप में उभर रही है। उपयुक्त उदाहरण देते हुये, इस प्रकार की हिंसा के कारणों एवम् परिणामों का विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2017]
भारत में भीड़ हिंसा: कारण और परिणाम 1. भीड़ हिंसा के कारण 1.1. सामाजिक और धार्मिक तनाव: उदाहरण: 2020 में दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी। सोशल मीडिया और भड़काऊ भाषणों ने धार्मिक तनाव को उत्तेजित किया। स्पष्टीकरण: सामाजिक और धार्मिक विभाजनRead more
भारत में भीड़ हिंसा: कारण और परिणाम
1. भीड़ हिंसा के कारण
1.1. सामाजिक और धार्मिक तनाव:
1.2. राजनीतिक शोषण:
1.3. आर्थिक विषमताएँ:
2. भीड़ हिंसा के परिणाम
2.1. मानव हानि और चोटें:
2.2. संपत्ति का नुकसान और आर्थिक विघटन:
2.3. कानून और व्यवस्था पर विश्वास में कमी:
3. भीड़ हिंसा को रोकने के उपाय
3.1. कानून प्रवर्तन को मजबूत करना:
3.2. सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना:
3.3. राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित करना:
3.4. आर्थिक और सामाजिक विकास:
निष्कर्ष: भीड़ हिंसा भारत में बढ़ती कानून और व्यवस्था की समस्या है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से उत्पन्न होती है। इसके परिणाम मानव जीवन, संपत्ति और सार्वजनिक विश्वास पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। प्रभावी उपायों में कानून प्रवर्तन को मजबूत करना, सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना, राजनीतिक जवाबदेही को सुनिश्चित करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना शामिल हैं। इन उपायों को लागू करने से भीड़ हिंसा को नियंत्रित किया जा सकता है और सामाजिक स्थिरता बनाए रखी जा सकती है।
See lessवित्तीय समावेशन, सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए विकास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिम्सा है। टिप्पणी कीजिए । (125 Words) [UPPSC 2022]
वित्तीय समावेशन और सामाजिक न्याय टिप्पणी: वित्तीय समावेशन, विकास प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो सामाजिक न्याय प्राप्त करने में सहायक है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को बैंकिंग सेवाओं, क्रेडिट, बीमा और निवेश अवसरों की पहुंच हो, विशेषकर गरीब और हाशिए पर रहने वRead more
वित्तीय समावेशन और सामाजिक न्याय
टिप्पणी:
वित्तीय समावेशन, विकास प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो सामाजिक न्याय प्राप्त करने में सहायक है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गों को बैंकिंग सेवाओं, क्रेडिट, बीमा और निवेश अवसरों की पहुंच हो, विशेषकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को।
लाभ:
इस प्रकार, वित्तीय समावेशन सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे समग्र विकास और समाज में समानता सुनिश्चित होती है।
See lessभारत में महिलाओं पर निर्धनता का बोझ विपरीत। लिंग की तुलना में अधिक है। इस संदर्भ में, महिलाओं की निर्धनता के कारणों एवं उसके समाधान के लिए उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में महिलाओं पर निर्धनता का बोझ विपरीत लिंग की तुलना में अधिक है, और इसके कई कारण हैं: महिलाओं की निर्धनता के कारण: शैक्षिक असमानता: महिलाओं को शिक्षा के समान अवसर नहीं मिलते, जिससे उनकी आर्थिक अवसरों की कमी होती है। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: उचित स्वास्थ्य देखभाल और पोषण की कमी से महिलाओं की उत्Read more
भारत में महिलाओं पर निर्धनता का बोझ विपरीत लिंग की तुलना में अधिक है, और इसके कई कारण हैं:
महिलाओं की निर्धनता के कारण:
समाधान के लिए उठाए गए कदम:
इन प्रयासों के बावजूद, महिलाओं की निर्धनता को दूर करने के लिए निरंतर सुधार और समर्पित नीतियों की आवश्यकता है।
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