‘समावेशी संवृद्धि’ के प्रमुख अभिलक्षण क्या हैं ? क्या भारत इस प्रकार के संवृद्धि प्रक्रम का अनुभव करता रहा है ? विश्लेषण कीजिए एवं समावेशी संवृद्धि हेतु उपाय सुझाइये । (250 words) [UPSC 2017]
लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकारिता के कारण: **1. आधारभूत संरचना की कमी: सीमित सुविधाएँ: छोटी प्रक्रमण इकाइयों को अक्सर आधारभूत संरचना की कमी का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ठंडा भंडारण और आधुनिक प्रक्रमण तकनीक। उदाहरण के लिए, कई छोटे यूनिट्स में उचित ठंडा भंडारण की सुविधा नहीं होती,Read more
लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकारिता के कारण:
**1. आधारभूत संरचना की कमी:
- सीमित सुविधाएँ: छोटी प्रक्रमण इकाइयों को अक्सर आधारभूत संरचना की कमी का सामना करना पड़ता है, जैसे कि ठंडा भंडारण और आधुनिक प्रक्रमण तकनीक। उदाहरण के लिए, कई छोटे यूनिट्स में उचित ठंडा भंडारण की सुविधा नहीं होती, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
**2. उच्च प्रारंभिक निवेश:
- वित्तीय बाधाएँ: भले ही ये इकाइयाँ लागत प्रभावी होती हैं, फिर भी उनकी स्थापना और संचालन के लिए आवश्यक प्रारंभिक पूंजी प्राप्त करना छोटे उद्यमियों के लिए कठिन होता है।
**3. बाजार पहुँच की समस्याएँ:
- वितरण चुनौतियाँ: छोटी इकाइयों को मार्केटिंग और वितरण नेटवर्क की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे वे बड़े बाजारों तक पहुँचने में असमर्थ रहती हैं।
**4. नियमिती समस्याएँ:
- अनुपालन लागत: नियम और मानकों के अनुपालन की लागत और जटिलता छोटे प्रोसेसरों के लिए बाधक बनती है, जिससे उनकी स्थापना और विस्तार में कठिनाई होती है।
खाद्य प्रक्रमण इकाई से गरीब किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार:
**1. मूल्य वृद्धि और आय में वृद्धि:
- उच्च मूल्य: खाद्य प्रक्रमण इकाइयाँ कच्चे कृषि उत्पादों की मूल्यवर्धन करती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, फल प्रक्रमण इकाई स्थापित करने से किसानों को जूस और जैम बेचने का अवसर मिलता है, जो कच्चे फलों की तुलना में अधिक मूल्यवान होता है।
**2. रोजगार सृजन:
- स्थानीय रोजगार: ये इकाइयाँ स्थानीय रोजगार के अवसर उत्पन्न करती हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दूध प्रक्रमण इकाइयाँ ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार प्रदान कर सकती हैं।
**3. पश्चात-फसल क्षति में कमी:
- नुकसान में कमी: प्रक्रमण इकाइयाँ अतिरिक्त उत्पादन को उपभोग योग्य उत्पादों में परिवर्तित कर देती हैं, जिससे फसल क्षति कम होती है और किसान की आय स्थिर रहती है।
**4. ग्रामीण विकास:
- संवृद्धि: इन इकाइयों की उपस्थिति से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें और बिजली जैसी आधारभूत संरचना में सुधार होता है, जो कृषि विकास को बढ़ावा देती है।
इस प्रकार, लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाइयाँ वित्तीय, बुनियादी ढाँचे, और नियामक चुनौतियों का सामना करती हैं, लेकिन ये किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार सृजन, और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण और भारत का अनुभव **1. समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण: **1. संसाधनों का समान वितरण: आय और संपत्ति में समानता: समावेशी संवृद्धि का उद्देश्य आय और संपत्ति के असमान वितरण को कम करना है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसरों को सभी वर्गों के बीच समान रूप से बाRead more
समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण और भारत का अनुभव
**1. समावेशी संवृद्धि के प्रमुख अभिलक्षण:
**1. संसाधनों का समान वितरण:
**2. स्थायी विकास:
**3. परिवादित समूहों का सशक्तिकरण:
**4. विस्तृत आर्थिक भागीदारी:
**2. भारत का अनुभव:
**1. प्रगति और उपलब्धियाँ:
**2. चुनौतियाँ:
**3. समावेशी संवृद्धि के लिए उपाय:
**1. गुणवत्ता शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार:
**2. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को सुदृढ़ करना:
**3. क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहन देना:
**4. उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देना:
निष्कर्ष: