“भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकसित देशों की गति के साथ नहीं बढ़ा है।” इसकी व्याख्या कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण 1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं। 2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कRead more
भारत में कृषि उत्पादकता की कमी के कारण
1. सिंचाई की कमी: असंतुलित सिंचाई सुविधाएं और मॉनसून पर निर्भरता कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, Vidarbha में सूखा की समस्याएं कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
2. प्रौद्योगिकी की कमी: पुरानी कृषि तकनीकें और मशीनरी की कमी से उत्पादकता में कमी होती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सुधार प्रयास जारी हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी का प्रयोग कम है।
3. मिट्टी की गुणवत्ता: अधिक उर्वरक उपयोग और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण, उत्पादकता में गिरावट आती है। स्वस्थ मिट्टी प्रबंधन योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री कृष्ण सिंचाई योजना का ध्यान इस पर है।
4. छोटे और बंटे हुए खेत: छोटे खेत और भूमि का विभाजन फसलों के मात्रात्मक लाभ और प्रबंधन में कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है।
सारांश: सिंचाई की कमी, प्रौद्योगिकी की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता और भूमि का विभाजन मुख्य कारण हैं जो भारत में कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
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भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें 1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी। 2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है,Read more
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में रुकावटें
1. अवसंरचना की कमी: कूलिंग और कोल्ड चेन के कमजोर संरचना के कारण, भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पारंपरिक तरीके पर निर्भर रहता है। इसका उदाहरण है, संगठित फूड प्रोसेसिंग पार्कों की कमी।
2. निवेश की कमी: निजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास में कमी है, जो उद्योग के आधुनिकीकरण और विस्तार में बाधक है।
3. नियामक चुनौतियाँ: जटिल नियामक ढाँचा और लंबी प्रक्रिया व्यापार में लचीलापन की कमी और प्रभावशीलता की कमी का कारण बनती है।
हालिया उदाहरण: हाल ही में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) जैसे सरकारी प्रयास खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को संवृद्धि देने की दिशा में प्रयासरत हैं। इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को पीछे रहना पड़ रहा है।
सारांश: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि में संरचनात्मक, निवेश सम्बंधी, और नियामक चुनौतियाँ प्रमुख बाधाएँ हैं।
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