भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के वर्ष 2015 के पूर्व तथा वर्ष 2015 के पश्चात् परिकलन विधि में अन्तर की व्याख्या कीजिए। (150 words) [UPSC 2021]
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) की परिभाषा संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) उस अधिकतम उत्पादन को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था अपने संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए, बिना महंगाई को उत्तेजित किए, प्राप्त कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक उत्पादक क्षमता को मापता है। संभाव्य GDRead more
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) की परिभाषा
संभाव्य सकल घरेलू उत्पाद (Potential GDP) उस अधिकतम उत्पादन को दर्शाता है जो एक अर्थव्यवस्था अपने संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए, बिना महंगाई को उत्तेजित किए, प्राप्त कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक उत्पादक क्षमता को मापता है।
संभाव्य GDP के निर्धारक:
- श्रम बल: श्रमिकों की संख्या और उनकी कौशलता, जैसे “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना” जो श्रमिकों के कौशल को सुधारने में मदद करती है।
- पूंजी स्टॉक: भौतिक पूंजी जैसे मशीनरी और बुनियादी ढांचा, उदाहरण स्वरूप “स्मार्ट सिटी मिशन” जो बुनियादी ढांचे में सुधार करता है।
- प्रौद्योगिकी: प्रौद्योगिकी में प्रगति, जैसे “मेक इन इंडिया” पहल, जो नवाचार और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देती है।
- संस्थानिक कारक: नीतियों और प्रशासन की प्रभावशीलता, जैसे “जीएसटी” की प्रभावशीलता।
भारत को संभाव्य GDP को साकार करने में बाधाएँ:
- आधारभूत ढांचे की कमी: जैसे “रेलवे नेटवर्क की खराब स्थिति”।
- श्रम बाजार की कठोरताएँ: जैसे “कौशल की कमी” और “नौकरी की असुरक्षा”।
- विनियामक चुनौतियाँ: जैसे “लंबी प्रक्रिया और व्यावसायिक जटिलताएँ”।
इन बाधाओं को दूर कर भारत अपनी संभाव्य GDP को साकार कर सकता है।
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भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना में 2015 के पूर्व और 2015 के पश्चात् का अंतर **1. 2015 के पूर्व की विधि: पुराना आधार वर्ष: GDP की गणना के लिए 2004-05 को आधार वर्ष के रूप में अपनाया गया था, जो कि अब पुराना हो चुका था। सर्वेक्षण आधारित डेटा: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और कृषि डेटा जैसे मुख्य सRead more
भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना में 2015 के पूर्व और 2015 के पश्चात् का अंतर
**1. 2015 के पूर्व की विधि:
**2. 2015 के पश्चात की विधि:
उदाहरण: GST के लागू होने के बाद, व्यापार और सेवा डेटा का डिजिटल संग्रहण GDP गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे विवादों और त्रुटियों की संभावना कम हो गई है।
निष्कर्ष: 2015 के बाद की गणना विधि ने GDP के आकलन को अद्यतन किया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को अधिक सटीक रूप से दर्शाया जा सकता है।
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