परीक्षण कीजिए कि भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डिजिटल रूपांतरण ने इसे बाधित करने वाली चुनौतियों का समाधान करने में कैसे मदद की है। (150 शब्दों में उत्तर दें)
भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं: जलवायु अनुकूल योजनाएँ: भारत ने बजट योजनाओं में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेषRead more
भारत में जलवायु परिवर्तन अनुकूल बजटिंग (Climate-Resilient Budgeting) को अपनाने से घरेलू सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। इस संदर्भ में भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं:
- जलवायु अनुकूल योजनाएँ: भारत ने बजट योजनाओं में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए विशेष योजनाओं और कार्यक्रमों को शामिल किया है। जैसे, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश, ऊर्जा दक्षता सुधार और हरित अवसंरचना परियोजनाएँ। ये उपाय जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक हैं और दीर्घकालिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं।
- ग्रीन बजटिंग: भारत ने ग्रीन बजटिंग की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जिसमें बजट आवंटन को पर्यावरणीय प्रभाव और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के साथ समन्वित किया जाता है। इससे जलवायु संबंधी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाती है और संसाधनों का उपयोग अधिक प्रभावी ढंग से किया जाता है।
- जलवायु जोखिम मूल्यांकन: बजट निर्माण में जलवायु जोखिमों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक निवेश जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधक हो और इससे जुड़ी संभावित आर्थिक हानियों को कम किया जा सके।
- अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और वित्तपोषण: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्तीय समर्थन जैसे ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) और अन्य वैश्विक फंड्स का लाभ उठाया है, जो जलवायु-संबंधी परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
- स्थानीयकरण और कार्यान्वयन: स्थानीय स्तर पर जलवायु अनुकूल उपायों को लागू करने के लिए राज्य और स्थानीय सरकारों को बजट में समुचित आवंटन किया जाता है। इससे स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार उपाय किए जा सकते हैं और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है।
इन पहलुओं के माध्यम से भारत ने एक समावेशी, निम्न-उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल विकास एजेंडा को अपनाने में सफलता प्राप्त की है, जिससे सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता और जलवायु परिवर्तन के प्रति देश की संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।
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भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डिजिटल रूपांतरण ने कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं जो चुनौतियों को संबोधित करने में मदद कर रहे हैं: पारदर्शिता: ई-पॉस और राशन कार्ड सॉफ्टवेयर के माध्यम से डिजिटल ट्रैकिंग ने अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को कम किया है। लक्षित वितरण: आधार लिंकिंग और डिजिटल राशन कार्डRead more
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डिजिटल रूपांतरण ने कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं जो चुनौतियों को संबोधित करने में मदद कर रहे हैं:
इन उपायों से PDS की प्रभावशीलता और पहुंच में सुधार हुआ है, जिससे लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं मिल रही हैं।
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