भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण की स्थिति क्या है? इस संबंध में आने वाली समस्याओं का परीक्षण कीजिए और सुधार के लिए सुझाव दीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार सीजनल बेरोजगारी: यह उन लोगों की बेरोजगारी है जो मौसमी कार्यों पर निर्भर होते हैं और जो किसी विशेष समय पर काम नहीं मिल पाने के कारण बेरोजगार होते हैं। उदाहरण: कृषि क्षेत्रों में कटाई के बाद बेरोजगारी। फ्रिक्शनल बेरोजगारी: यह अस्थायी बेरोजगारी है जो तब होती है जब लोग एक नौRead more
बेरोज़गारी के विभिन्न प्रकार
- सीजनल बेरोजगारी: यह उन लोगों की बेरोजगारी है जो मौसमी कार्यों पर निर्भर होते हैं और जो किसी विशेष समय पर काम नहीं मिल पाने के कारण बेरोजगार होते हैं। उदाहरण: कृषि क्षेत्रों में कटाई के बाद बेरोजगारी।
- फ्रिक्शनल बेरोजगारी: यह अस्थायी बेरोजगारी है जो तब होती है जब लोग एक नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी की तलाश में होते हैं। उदाहरण: नौकरी बदलने के दौरान कुछ समय के लिए बेरोजगारी।
- स्ट्रक्चरल बेरोजगारी: यह तब होती है जब कौशल की मांग और आपूर्ति के बीच असंगति होती है। उदाहरण: तकनीकी नवाचारों के कारण पुराने उद्योगों में कौशल की कमी।
- साइकलिकल बेरोजगारी: यह आर्थिक चक्र की अस्थिरता के कारण होती है, जैसे मंदी के समय। उदाहरण: आर्थिक मंदी के दौरान कारखानों और कंपनियों में छंटनी।
भारत में बेरोजगारी को दूर करने के प्रयास
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना: छोटे और मध्यम उद्यमों को समर्थन देने के लिए ऋण और अनुदान प्रदान करना।
- महीला सशक्तिकरण और कौशल विकास: “स्किल इंडिया” कार्यक्रम के तहत विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास योजनाएँ।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA): ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का रोजगार प्रदान करके ग्रामीण बेरोजगारी को कम करना।
- उद्यमिता विकास योजनाएँ: “प्रधानमंत्री मुद्रा योजना” और “स्टार्टअप इंडिया” जैसे कार्यक्रम, जो उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हैं और नए रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।
- शिक्षा और कौशल विकास: शिक्षा में सुधार और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना, ताकि युवाओं को रोजगार योग्य बनाया जा सके।
इन प्रयासों से बेरोजगारी की समस्याओं को कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने में सहायता मिलती है, जिससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण की स्थिति 1. डिजिटिकरण में प्रगति: भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। डिजिटल भुगतान प्रणालियों का व्यापक उपयोग हुआ है, जैसे UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), जिसका लेन-देन मूल्य FY 2023-24 में ₹84.18 ट्रिलियन था। सरकारी पहलों जैसे डिजिटलीRead more
भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण की स्थिति
1. डिजिटिकरण में प्रगति: भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। डिजिटल भुगतान प्रणालियों का व्यापक उपयोग हुआ है, जैसे UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), जिसका लेन-देन मूल्य FY 2023-24 में ₹84.18 ट्रिलियन था। सरकारी पहलों जैसे डिजिटली इंडिया और आधार ने डिजिटल अवसंरचना को सशक्त किया है, जिससे वित्तीय समावेशन और सेवा वितरण में सुधार हुआ है। ई-गवर्नेंस प्लेटफार्म जैसे ई-कोर्ट्स और ई-ऑफिस ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है।
2. समस्याएँ:
3. सुधार के सुझाव:
इन समस्याओं का समाधान करने से भारत अपने डिजिटिकरण को तेज कर सकता है और व्यापक लाभ सुनिश्चित कर सकता है।
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