Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
"सुधारोत्तर अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।" कारण बताइए । औद्योगिक नीति में हाल में किए गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहां तक सक्षम हैं ? (250 words) [UPSC 2017]
परिचय सुधारोत्तर अवधि में, भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है। इस अंतर के पीछे विभिन्न कारण हैं और हाल में किए गए औद्योगिक नीतिगत परिवर्तन इस स्थिति को सुधारने में कितने सक्षम हैं, यह जानना आवश्यक है। औद्योगिक संवृद्धि में पिछड़ने के कारण नRead more
परिचय
सुधारोत्तर अवधि में, भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है। इस अंतर के पीछे विभिन्न कारण हैं और हाल में किए गए औद्योगिक नीतिगत परिवर्तन इस स्थिति को सुधारने में कितने सक्षम हैं, यह जानना आवश्यक है।
औद्योगिक संवृद्धि में पिछड़ने के कारण
आर्थिक सुधारों के बावजूद, नियमित बाधाएँ और आबकारी कानूनों ने औद्योगिक वृद्धि को प्रभावित किया है। जटिल श्रम कानून और कर नीतियों के कारण व्यावसायिक माहौल को नुकसान हुआ है।
सड़क, ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स जैसी आधारभूत संरचनाओं की कमी ने औद्योगिक दक्षता और प्रतिस्पर्धा को प्रभावित किया है। लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत की स्थिति कमज़ोर है।
निवेश की कमी और सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए वित्तीय सुलभता की कमी ने औद्योगिक विस्तार को सीमित किया है। उच्च ब्याज दरें और सख्त ऋण प्रथाएँ इन समस्याओं को बढ़ाती हैं।
भारतीय उद्योगों की तकनीकी उन्नति में धीमापन ने उत्पादकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित किया है। अनुसंधान और विकास (आर.डी.) पर खर्च अन्य देशों की तुलना में कम है।
हाल के परिवर्तन और उनकी प्रभावशीलता
पी.एल.आई. योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, दवा, और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। इस योजना ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित किया है, जिससे रोजगार और तकनीकी प्रगति में सुधार हुआ है।
एन.आई.पी. का लक्ष्य आधारभूत संरचना में सुधार करना है, जिसमें ₹111 लाख करोड़ का निवेश किया जाएगा। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और औद्योगिक दक्षता में सुधार की उम्मीद है।
स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने नवाचार और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है। इन नीतियों से औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यमिता और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है।
व्यापार करने में आसानी को सुधारने के लिए लागू किए गए सुधार, जैसे कर नियमों को सरल बनाना और अनुपालन बोझ को कम करना, औद्योगिक वातावरण को अनुकूल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
निष्कर्ष
See lessऔद्योगिक संवृद्धि दर की कमी के कारणों में नीतिगत, आधारभूत संरचना और वित्तीय मुद्दे शामिल हैं। हाल के परिवर्तनों जैसे पी.एल.आई. योजना, एन.आई.पी., और स्टार्टअप इंडिया इन समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हो सकते हैं, अगर इनका प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन किया जाए।
जी० डी० पी० में विनिर्माण क्षेत्र विशेषकर एम० एस० एम० ई० की बढ़ी हुई हिस्सेदारी तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक है। इस संबंध में सरकार की वर्तमान नीतियों पर टिप्पणी कीजिए। (150 words)[UPSC 2023]
परिचय भारत में तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। वर्तमान में भारत के GDP में विनिर्माण का योगदान लगभग 17% है। इसे बढ़ाकर 25% तक ले जाने का लक्ष्य है, जो रोजगार सृजन और समावेशी विकास में सहायक होगा।Read more
परिचय
भारत में तेज आर्थिक संवृद्धि के लिए विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSMEs) की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाना आवश्यक है। वर्तमान में भारत के GDP में विनिर्माण का योगदान लगभग 17% है। इसे बढ़ाकर 25% तक ले जाने का लक्ष्य है, जो रोजगार सृजन और समावेशी विकास में सहायक होगा।
सरकार की नीतियाँ
सरकार ने PLI योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सहायता दी है। यह MSMEs को आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाकर उनके विकास में मदद करता है।
मेक इन इंडिया अभियान का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और एफ़डीआई को आकर्षित करना है। इसके तहत एमएसएमई के लिए नियमों का सरलीकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार किए गए हैं, जिससे विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार हो सके।
आत्मनिर्भर भारत पहल का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वावलंबी बनाना है। इसके तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और MSMEs को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ सशक्त बनाने के लिए सहायता दी जा रही है।
MSMEs को संकट से उबारने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आपातकालीन क्रेडिट गारंटी योजना (ECLGS) और मुद्रा योजना के तहत वित्तीय सहायता दी जा रही है।
निष्कर्ष
See lessPLI, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के माध्यम से MSMEs को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो GDP में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, बुनियादी ढाँचे और नवाचार में और सुधार की आवश्यकता है।
भारत में औद्योगिक रूग्णता के क्या कारण है? इस समस्या को दूर करने के लिये उचित सुझाव दीजिये। (125 Words) [UPPSC 2019]
भारत में औद्योगिक रूग्णता के कारण और समस्या के समाधान के सुझाव 1. औद्योगिक रूग्णता के कारण: वित्तीय प्रबंधन की कमी: खराब वित्तीय योजना और पूंजी प्रबंधन के कारण नकदी प्रवाह की समस्याएँ होती हैं। उदाहरण के लिए, IL&FS संकट (2018) ने वित्तीय प्रबंधन की खामियों को उजागर किया। प्रौद्योगिकी की पुरानी सRead more
भारत में औद्योगिक रूग्णता के कारण और समस्या के समाधान के सुझाव
1. औद्योगिक रूग्णता के कारण:
2. समाधान के सुझाव:
निष्कर्ष: भारत में औद्योगिक रूग्णता के कारण वित्तीय प्रबंधन की कमी, पुरानी प्रौद्योगिकी और संचालनात्मक अक्षमता हैं। वित्तीय पुनर्संरचना, प्रौद्योगिकी उन्नयन, और प्रबंधन सुधार से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
See lessडिजाइन संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना क्या है? चर्चा कीजिए कि यह योजना भारत में अर्धचालक विनिर्माण उद्योग में किस प्रकार से परिवर्तन ला सकती है।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
डिजाइन संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य देश में अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) डिज़ाइन उद्योग को बढ़ावा देना है। यह योजना विशेष रूप से अर्धचालक डिजाइन और संबंधित तकनीकी क्षमताओं में निवेश को प्रोत्साहित करती है, ताकि भारत में उच्च गुणवत्ता वाले अर्धचालक डिजRead more
डिजाइन संबद्ध प्रोत्साहन (DLI) योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसका उद्देश्य देश में अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) डिज़ाइन उद्योग को बढ़ावा देना है। यह योजना विशेष रूप से अर्धचालक डिजाइन और संबंधित तकनीकी क्षमताओं में निवेश को प्रोत्साहित करती है, ताकि भारत में उच्च गुणवत्ता वाले अर्धचालक डिज़ाइन तैयार किए जा सकें और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा सके।
DLI योजना के तहत, कंपनियों को अर्धचालक डिज़ाइन के लिए अनुसंधान और विकास (R&D), उपकरणों की खरीद, और अन्य आवश्यक संसाधनों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इससे उद्योग को तकनीकी उन्नति के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिलता है और देश में अर्धचालक डिजाइन क्षमताओं को सशक्त बनाने में मदद मिलती है।
इस योजना से भारत में अर्धचालक विनिर्माण उद्योग में महत्वपूर्ण परिवर्तन आ सकते हैं:
समग्र रूप से, DLI योजना से भारत का अर्धचालक विनिर्माण क्षेत्र तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बन सकता है, जिससे आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
See less