श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य को प्राप्त करने में विनिर्माण क्षेत्रक की विफलता के कारण बताइए । पूंजी-प्रधान निर्यातों की अपेक्षा अधिक श्रम-प्रधान निर्यातों के लिए, उपायों को सुझाइए । (150 words) [UPSC 2017]
पूंजी खाता परिवर्तनीयता का तात्पर्य एक देश की मुद्रा की पूरी तरह से स्वतंत्रता से है, जिसके अंतर्गत विदेशी पूंजी प्रवाह और देश से पूंजी की आवाजाही पर कोई कड़ी पाबंदी नहीं होती। यह तब संभव होता है जब विदेशी निवेशक बिना किसी नियंत्रण के स्थानीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और स्थानीय निवेशक विदेशों मेंRead more
पूंजी खाता परिवर्तनीयता का तात्पर्य एक देश की मुद्रा की पूरी तरह से स्वतंत्रता से है, जिसके अंतर्गत विदेशी पूंजी प्रवाह और देश से पूंजी की आवाजाही पर कोई कड़ी पाबंदी नहीं होती। यह तब संभव होता है जब विदेशी निवेशक बिना किसी नियंत्रण के स्थानीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और स्थानीय निवेशक विदेशों में पूंजी निवेश कर सकते हैं।
भारत के लिए पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के गुण और दोष:
गुण:
- निवेश का प्रवाह: पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता विदेशी निवेशकों को आकर्षित करती है, जिससे पूंजी प्रवाह और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा: यह भारत को वैश्विक पूंजी बाजार के साथ एकीकृत करता है, जिससे तकनीकी प्रगति और उन्नति में मदद मिलती है।
- वेतन वृद्धि: विदेशी निवेश से नई नौकरियों का सृजन होता है और वेतन स्तर में सुधार होता है।
दोष:
- आर्थिक अस्थिरता: बिना नियंत्रण के पूंजी प्रवाह से अचानक पूंजी की लिक्विडिटी में परिवर्तन हो सकता है, जो मुद्रा की अस्थिरता और वित्तीय संकट का कारण बन सकता है।
- विनिमय दर में उतार-चढ़ाव: वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के आधार पर मुद्रा विनिमय दर में अत्यधिक परिवर्तन हो सकता है, जिससे देश की मौद्रिक नीति और व्यापार संतुलन प्रभावित हो सकता है।
- नियंत्रण की कमी: विदेशी पूंजी प्रवाह पर नियंत्रण की कमी से घरेलू बाजार और बैंकों में वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
इस प्रकार, पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के लाभ और हानियों को समझते हुए सावधानीपूर्वक नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, ताकि आर्थिक स्थिरता और विकास सुनिश्चित किया जा सके।
See less
विनिर्माण क्षेत्र की श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य में विफलता के कारण: **1. अपर्याप्त अवसंरचना और प्रौद्योगिकी: आधुनिकता की कमी: कई विनिर्माण इकाइयों में आधुनिक प्रौद्योगिकी और अवसंरचना की कमी है, जो श्रम-प्रधान उद्योगों की उत्पादकता को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, भारतीय वस्त्र उद्योग पुरानेRead more
विनिर्माण क्षेत्र की श्रम-प्रधान निर्यातों के लक्ष्य में विफलता के कारण:
**1. अपर्याप्त अवसंरचना और प्रौद्योगिकी:
**2. उच्च उत्पादन लागत:
**3. सीमित कौशल विकास:
श्रम-प्रधान निर्यातों को प्रोत्साहित करने के उपाय:
**1. आधारभूत संरचना में सुधार:
**2. कौशल विकास में सुधार:
**3. नीति समर्थन और प्रोत्साहन:
**4. नवाचार और डिज़ाइन पर ध्यान:
इन उपायों को अपनाकर भारत श्रम-प्रधान निर्यातों को बढ़ावा दे सकता है और इस क्षेत्र में बेहतर विकास हासिल कर सकता है।
See less