पूंजी खाता परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं? भारत के लिए पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के गुणों और दोषों का वर्णन कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भुगतान संतुलन (Balance of Payments) एक देश के विदेशी लेन-देन का एक संपूर्ण रिकॉर्ड होता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान विदेशों के साथ सभी वित्तीय लेन-देन की जानकारी शामिल होती है। यह आर्थिक नीतियों की प्रभावशीलता और बाहरी आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। भुगतान संतुलन के प्रमुख घटRead more
भुगतान संतुलन (Balance of Payments) एक देश के विदेशी लेन-देन का एक संपूर्ण रिकॉर्ड होता है, जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान विदेशों के साथ सभी वित्तीय लेन-देन की जानकारी शामिल होती है। यह आर्थिक नीतियों की प्रभावशीलता और बाहरी आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। भुगतान संतुलन के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:
- वस्तु और सेवाओं का व्यापार (Current Account):
- वस्त्र व्यापार: यह निर्यात और आयात के बीच का अंतर है। यदि निर्यात आयात से अधिक है, तो व्यापार संतुलन सकारात्मक होगा।
- सेवाएं: इसमें सेवाओं के निर्यात और आयात का अंतर शामिल होता है, जैसे पर्यटन, बीमा, और वित्तीय सेवाएं।
- प्रवासी आय: विदेशों में काम करने वाले नागरिकों से प्राप्त श्रम आय और भारत के नागरिकों को विदेशों में भेजी गई आय।
- वेतन हस्तांतरण: विदेशों से प्राप्त या भेजे गए धन का रिकॉर्ड, जैसे उपहार और अन्य व्यक्तिगत लेन-देन।
- वित्तीय खाता (Financial Account):
- सीधा निवेश: विदेशों में निवेशित भारतीय पूंजी और भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी देशों में निवेश।
- पोर्टफोलियो निवेश: शेयर और बांड जैसी वित्तीय संपत्तियों में निवेश।
- अन्य निवेश: बैंक कर्ज, व्यापार ऋण, और अन्य वित्तीय लेन-देन शामिल हैं।
- आय और पूंजी खाते की संतुलन (Capital Account):
- आय: विदेशों से प्राप्त और भेजी गई पूंजी, जैसे कि संपत्तियों की खरीद और बिक्री।
- सुधार और स्थानांतरण: सरकार द्वारा किए गए अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन, जैसे सहायता और अन्य स्थानांतरण।
भुगतान संतुलन का विश्लेषण देशों की वित्तीय स्थिति, मुद्रा स्थिरता और विदेशी पूंजी प्रवाह को समझने में मदद करता है।
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पूंजी खाता परिवर्तनीयता का तात्पर्य एक देश की मुद्रा की पूरी तरह से स्वतंत्रता से है, जिसके अंतर्गत विदेशी पूंजी प्रवाह और देश से पूंजी की आवाजाही पर कोई कड़ी पाबंदी नहीं होती। यह तब संभव होता है जब विदेशी निवेशक बिना किसी नियंत्रण के स्थानीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और स्थानीय निवेशक विदेशों मेंRead more
पूंजी खाता परिवर्तनीयता का तात्पर्य एक देश की मुद्रा की पूरी तरह से स्वतंत्रता से है, जिसके अंतर्गत विदेशी पूंजी प्रवाह और देश से पूंजी की आवाजाही पर कोई कड़ी पाबंदी नहीं होती। यह तब संभव होता है जब विदेशी निवेशक बिना किसी नियंत्रण के स्थानीय बाजार में निवेश कर सकते हैं और स्थानीय निवेशक विदेशों में पूंजी निवेश कर सकते हैं।
भारत के लिए पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के गुण और दोष:
गुण:
दोष:
इस प्रकार, पूंजी खाते की पूर्ण परिवर्तनीयता के लाभ और हानियों को समझते हुए सावधानीपूर्वक नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, ताकि आर्थिक स्थिरता और विकास सुनिश्चित किया जा सके।
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