1991 के आर्थिक सुधार, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक व्यापक संरचनात्मक सुधार थे। चर्चा कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण की स्थिति 1. डिजिटिकरण में प्रगति: भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। डिजिटल भुगतान प्रणालियों का व्यापक उपयोग हुआ है, जैसे UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), जिसका लेन-देन मूल्य FY 2023-24 में ₹84.18 ट्रिलियन था। सरकारी पहलों जैसे डिजिटलीRead more
भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण की स्थिति
1. डिजिटिकरण में प्रगति: भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटिकरण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। डिजिटल भुगतान प्रणालियों का व्यापक उपयोग हुआ है, जैसे UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस), जिसका लेन-देन मूल्य FY 2023-24 में ₹84.18 ट्रिलियन था। सरकारी पहलों जैसे डिजिटली इंडिया और आधार ने डिजिटल अवसंरचना को सशक्त किया है, जिससे वित्तीय समावेशन और सेवा वितरण में सुधार हुआ है। ई-गवर्नेंस प्लेटफार्म जैसे ई-कोर्ट्स और ई-ऑफिस ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है।
2. समस्याएँ:
- डिजिटल विभाजन: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच और डिजिटल साक्षरता की कमी समावेशी विकास में बाधा डालती है।
- साइबर सुरक्षा समस्याएँ: बढ़ती साइबर धमकियाँ और डेटा उल्लंघन डिजिटल लेन-देन के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं।
- संरचना की कमी: दूरदराज क्षेत्रों में नेटवर्क और बिजली की कमी डिजिटल सेवाओं को प्रभावित करती है।
3. सुधार के सुझाव:
- डिजिटल साक्षरता का विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल उपकरण और सुरक्षा के प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
- साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना: साइबर सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करना और जागरूकता बढ़ाना।
- संरचना में सुधार: नेटवर्क और बिजली की अवसंरचना में निवेश करना ताकि निर्बाध डिजिटल पहुंच सुनिश्चित हो सके।
इन समस्याओं का समाधान करने से भारत अपने डिजिटिकरण को तेज कर सकता है और व्यापक लाभ सुनिश्चित कर सकता है।
See less
1991 के आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थे। ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट और मंदी से उबारने के लिए लागू किए गए थे और इसका उद्देश्य आर्थिक संरचना को स्थिर और प्रतिस्पर्धी बनाना था। मुख्य सुधारों में शामिल हैं: वित्तीय क्षेत्र की सुधार: सरकारी बैंकों और वित्तीRead more
1991 के आर्थिक सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थे। ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट और मंदी से उबारने के लिए लागू किए गए थे और इसका उद्देश्य आर्थिक संरचना को स्थिर और प्रतिस्पर्धी बनाना था।
मुख्य सुधारों में शामिल हैं:
ये सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता, वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में सहायक साबित हुए। इनके परिणामस्वरूप भारत की आर्थिक विकास दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और विदेशी निवेश में भी वृद्धि दर्ज की गई।
See less