देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों के संदर्भ में इनकी वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों का विवरण दीजिए। प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल० ई० डी०) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के महत्त्व की विवेचना संक्षेप में कीजिए। (200 words) [UPSC ...
ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत से क्या तात्पर्य है? **1. पारंपरिक ऊर्जा स्रोत की परिभाषा: पारंपरिक ऊर्जा स्रोत: ये वे ऊर्जा स्रोत हैं जिनका उपयोग कई वर्षों से किया जा रहा है और ये सामान्यतः प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होते हैं। ये मुख्यतः गैर-नवीकरणीय होते हैं और औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास के लिए प्रमुRead more
ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत से क्या तात्पर्य है?
**1. पारंपरिक ऊर्जा स्रोत की परिभाषा:
- पारंपरिक ऊर्जा स्रोत: ये वे ऊर्जा स्रोत हैं जिनका उपयोग कई वर्षों से किया जा रहा है और ये सामान्यतः प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होते हैं। ये मुख्यतः गैर-नवीकरणीय होते हैं और औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत रहे हैं।
**2. पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की प्रकार:
- जीवाश्म ईंधन: इसमें कोयला, तेल, और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। जीवाश्म ईंधन प्राचीन पौधों और जानवरों के अवशेषों से बने होते हैं, जो लाखों वर्षों में पृथ्वी की सतह के नीचे दब गए थे।
- कोयला: इसका उपयोग व्यापक रूप से बिजली उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है। उदाहरण के लिए, भारत और चीन में कोयला आधारित बिजली संयंत्र एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत हैं।
- तेल: इसका उपयोग परिवहन ईंधनों जैसे पेट्रोल और डीजल के लिए किया जाता है, साथ ही विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में भी। हाल ही में सऊदी अरब और अमेरिका जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देशों का उल्लेख किया जा सकता है।
- प्राकृतिक गैस: इसका उपयोग बिजली उत्पादन, हीटिंग, और औद्योगिक कच्चे माल के रूप में किया जाता है। अमेरिका और रूस प्राकृतिक गैस के प्रमुख उत्पादक देश हैं।
- परमाणु ऊर्जा: यह ऊर्जा परमाणु विघटन प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न होती है, जिसमें परमाणु नाभिकों को विभाजित कर ऊर्जा जारी की जाती है। इस ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है।
- हाल के उदाहरण: फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में परमाणु ऊर्जा पर अत्यधिक निर्भरता है। उदाहरण के लिए, फ्रांस अपनी बिजली का लगभग 70% परमाणु ऊर्जा से प्राप्त करता है।
**3. पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के लाभ:
- ऊर्जा घनत्व: जीवाश्म ईंधन और परमाणु ऊर्जा की ऊर्जा घनता बहुत अधिक होती है, जिसका मतलब है कि ये छोटे मात्रा या द्रव्यमान से बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं।
- स्थापित बुनियादी ढांचा: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के लिए व्यापक बुनियादी ढांचा उपलब्ध है, जिसमें उनके निष्कर्षण, प्रसंस्करण और उपयोग के लिए स्थापित सुविधाएं शामिल हैं।
- विश्वसनीयता: पारंपरिक स्रोत आमतौर पर स्थिर और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति प्रदान करते हैं।
**4. पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के नुकसान:
- पर्यावरणीय प्रभाव: जीवाश्म ईंधन वायुमंडल में प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं, जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन होता है। उदाहरण के लिए, कोयला जलाने से CO2 और अन्य प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन होता है।
- संसाधन समाप्ति: पारंपरिक स्रोत सीमित हैं और अंततः समाप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, तेल और गैस का निष्कर्षण संसाधन समाप्ति और पर्यावरणीय क्षति का कारण बन सकता है।
- परमाणु जोखिम: जबकि परमाणु ऊर्जा कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करती है, इसके जोखिम भी होते हैं, जैसे कि रेडियोधर्मी कचरा और संभावित परमाणु दुर्घटनाएँ। 2011 की फुकुशिमा दाइची आपदा ने इन जोखिमों को उजागर किया।
**5. हाल के उदाहरण और रुझान:
- नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे कि सौर, पवन, और जल विद्युत की ओर एक बढ़ता रुझान पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने और पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए देखा जा रहा है। उदाहरण के लिए, जर्मनी की Energiewende नीति पारंपरिक ईंधनों से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण को प्रोत्साहित करती है।
- तकनीकी उन्नति: कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीकें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए खोजी जा रही हैं। साथ ही, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) जैसे नवीन परमाणु प्रौद्योगिकी का शोध किया जा रहा है।
**6. निष्कर्ष:
- सारांश: पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि जीवाश्म ईंधन और परमाणु ऊर्जा, औद्योगिक विकास और आर्थिक वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण आधार रहे हैं। हालांकि, इन स्रोतों के पर्यावरणीय प्रभाव और सीमित संसाधन यह दर्शाते हैं कि अधिक सतत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण की आवश्यकता है। ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निरंतर उन्नति और नीति परिवर्तन इस दिशा में वैश्विक प्रयासों को दर्शाते हैं।
देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों की वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और इसका उद्देश्य 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 176 गीगावॉट है, जिसमें प्रमुखRead more
देश में नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों की वर्तमान स्थिति और प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य
भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और इसका उद्देश्य 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है। वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 176 गीगावॉट है, जिसमें प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 61 गीगावॉट है। सौर पार्कों और सौर Rooftop परियोजनाओं ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2023 में, भारत ने 30,000 मेगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य पूरा किया।
भारत की पवन ऊर्जा क्षमता लगभग 42 गीगावॉट है। तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में बड़े पवन ऊर्जा पार्क स्थापित किए गए हैं।
बायोमास और छोटे जलविद्युत परियोजनाएँ मिलाकर लगभग 27 गीगावॉट की क्षमता है।
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम का महत्त्व
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) पर राष्ट्रीय कार्यक्रम ने ऊर्जा दक्षता में क्रांति ला दी है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
LED बल्ब पारंपरिक इन्कैंडसेंट बल्बों की तुलना में 80% तक अधिक ऊर्जा बचाते हैं। 2019 में, भारत ने लगभग 36 करोड़ LED बल्ब वितरित किए, जिससे बिजली की बचत में योगदान मिला।
LED बल्ब की लंबी उम्र और कम ऊर्जा खपत से लंबे समय तक लागत में कमी आई है। यह गरीब और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा खर्च को कम करने में मदद करता है।
LEDs की कम ऊर्जा खपत और कम कार्बन उत्सर्जन से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे भारत की जलवायु लक्ष्यों की दिशा में प्रगति हुई है।
निष्कर्ष
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति और LED पर राष्ट्रीय कार्यक्रम दोनों ही ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। ये उपाय भारत को सतत विकास की ओर अग्रसर करने में सहायक हैं।
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