प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] भू-तापीय ऊर्जा से बिजली कैसे बनती है?
ऊर्जा क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन, विकेंद्रीकरण, और डिजिटलीकरण की प्रवृत्तियाँ तेजी से उभर रही हैं, जो इस क्षेत्र की संरचना और कार्यप्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। डीकार्बोनाइजेशन: यह प्रवृत्ति कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों को संदर्भित करती है, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निRead more
ऊर्जा क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन, विकेंद्रीकरण, और डिजिटलीकरण की प्रवृत्तियाँ तेजी से उभर रही हैं, जो इस क्षेत्र की संरचना और कार्यप्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं।
डीकार्बोनाइजेशन: यह प्रवृत्ति कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों को संदर्भित करती है, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटना है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर, पवन, और हाइड्रो ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जा रहा है ताकि कोयला और गैस जैसे पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम की जा सके। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा दक्षता में सुधार, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोत्साहन, और कार्बन कैप्चर तकनीकों के विकास से कार्बन फुटप्रिंट को घटाने में सहायता मिल रही है।
विकेंद्रीकरण: ऊर्जा प्रणाली के विकेंद्रीकरण का मतलब है ऊर्जा उत्पादन और वितरण के केंद्रीकृत मॉडल से लेकर स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर ऊर्जा उत्पादन और वितरण की ओर बढ़ना। माइक्रोग्रिड्स, घरों में सौर पैनल, और बैटरी स्टोरेज सिस्टम्स इस प्रवृत्ति के प्रमुख उदाहरण हैं। विकेंद्रीकरण से ऊर्जा आपूर्ति में लचीलापन और विश्वसनीयता बढ़ती है, जबकि ऊर्जा उत्पादन को स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है, जिससे ऊर्जा लागत में कमी और ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होती है।
डिजिटलीकरण: ऊर्जा क्षेत्र में डिजिटलीकरण का मतलब है ऊर्जा उत्पादन, वितरण और खपत को डिजिटल तकनीकों और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से बेहतर बनाना। स्मार्ट ग्रिड्स, आईओटी (Internet of Things) सेंसर्स, और एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग (ERP) सिस्टम्स ऊर्जा प्रबंधन में सटीकता और दक्षता को बढ़ाते हैं। ये तकनीकें रीयल-टाइम डेटा का उपयोग करके प्रणाली की निगरानी, रखरखाव, और ऑप्टिमाइजेशन में सहायता करती हैं, जिससे ऊर्जा की हानि कम होती है और सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ती है।
इन तीन प्रवृत्तियों का संयोजन ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा, और कुशलता को बढ़ावा देने में सहायक है, जो पर्यावरणीय लाभ और आर्थिक अवसर दोनों प्रदान करता है।
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भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी की सतह के नीचे संग्रहीत गर्मी से प्राप्त की जाती है। इस गर्मी को विभिन्न विधियों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण चरण और प्रौद्योगिकियाँ शामिल होती हैं। मुख्य बिंदु: भू-तापीय ऊर्जा की समझ भू-तRead more
भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी की सतह के नीचे संग्रहीत गर्मी से प्राप्त की जाती है। इस गर्मी को विभिन्न विधियों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है। भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करने की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण चरण और प्रौद्योगिकियाँ शामिल होती हैं।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
भू-तापीय ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने की प्रक्रिया में पृथ्वी की सतह के नीचे की गर्मी का उपयोग करके बिजली उत्पन्न की जाती है। ड्राई स्टीम, फ्लैश स्टीम, और बाइनरी साइकिल प्लांट्स जैसे विभिन्न विधियाँ इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं। हाल के उदाहरण जैसे गिज़र, हेलिसेइड़ी पावर स्टेशन, और क्राफला प्लांट भू-तापीय ऊर्जा के व्यावहारिक अनुप्रयोग और लाभों को प्रदर्शित करते हैं। जबकि भू-तापीय ऊर्जा स्थिरता और कम उत्सर्जन जैसे महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है, यह स्थान, लागत और संभावित सिस्मिक प्रभावों से संबंधित चुनौतियों का सामना करती है। कुल मिलाकर, भू-तापीय ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर वैश्विक शिफ्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और एक स्थिर और सस्टेनेबल ऊर्जा आपूर्ति में योगदान करती है।
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