भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तीय एवं तकनीकि व्यवहारिकता का परीक्षण कीजिए। देश में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रारम्भ की गई सरकारी योजनाओं पर भी चर्चा कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) कब प्रारंभ किया गया था? परिचय जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करना है। यह मिशन भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लRead more
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) कब प्रारंभ किया गया था?
परिचय
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करना है। यह मिशन भारत की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
JNNSM की शुरुआत
1. प्रारंभिक तारीख: जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) की शुरुआत 11 जनवरी 2010 को की गई थी। इसे भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के विकास और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया।
2. उद्देश्य: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य 2022 तक सौर ऊर्जा से 20,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करना है। इसमें सौर ऊर्जा को एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
3. प्रमुख पहल:
- सौर पार्कों की स्थापना: JNNSM के तहत, सौर पार्कों की स्थापना की गई है, जैसे कि कच्छ सौर पार्क, जो भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा परियोजनाओं में से एक है।
- सौर छत परियोजनाएँ: मिशन के तहत, छोटे सौर पैनल सिस्टम की स्थापना को प्रोत्साहित किया गया है, जिससे घरेलू और वाणिज्यिक उपयोगकर्ता सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
4. हालिया उदाहरण:
- लद्दाख में सौर परियोजना: हाल ही में, लद्दाख में 7.5 गीगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना की घोषणा की गई है, जो JNNSM के उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- सौर ऊर्जा से संबंधित नए नीतिगत सुधार: भारत सरकार ने हाल ही में सौर ऊर्जा की कीमतों को कम करने और प्रौद्योगिकी को उन्नत करने के लिए नई नीतियों की घोषणा की है।
निष्कर्ष
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (JNNSM) की शुरुआत 11 जनवरी 2010 को की गई थी। इस मिशन ने भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति करने में सक्षम बनाया है और ऊर्जा सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
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भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहारिकता वित्तीय व्यवहारिकता: लागत में कमी: सौर पैनल और अन्य उपकरणों की लागत में लगातार कमी आई है, जिससे सौर ऊर्जा अब पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक किफायती हो गई है। सौर ऊर्जा की लागत प्रति किलोवाट घंटा (kWh) गिरकर कम हो गई है, जिससे पRead more
भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की वित्तीय और तकनीकी व्यवहारिकता
वित्तीय व्यवहारिकता:
तकनीकी व्यवहारिकता:
सरकारी योजनाएँ:
निष्कर्ष:
सौर ऊर्जा परियोजनाएँ भारत में वित्तीय और तकनीकी दृष्टिकोण से व्यवहारिक हैं। सरकारी योजनाओं द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन ने इस क्षेत्र में निवेश और विकास को प्रोत्साहित किया है। इन पहलों से भारत के ऊर्जा भविष्य में सौर ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है।
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