गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) क्या हैं? हाल के दिनों में भारत में NPAS की समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा किये गए उपायों पर प्रकाश डालिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
स्थिरीकरण (Sterilization) एक मौद्रिक नीति उपाय है जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करना होता है, खासकर जब बाहरी कारकों जैसे विदेशी पूंजी प्रवाह के कारण मुद्रा आपूर्ति में असंतुलन उत्पन्न होता है। इसका मुख्य लक्ष्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना और मुद्रास्फीति या मुद्रा अवमूलRead more
स्थिरीकरण (Sterilization) एक मौद्रिक नीति उपाय है जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करना होता है, खासकर जब बाहरी कारकों जैसे विदेशी पूंजी प्रवाह के कारण मुद्रा आपूर्ति में असंतुलन उत्पन्न होता है। इसका मुख्य लक्ष्य आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना और मुद्रास्फीति या मुद्रा अवमूल्यन को रोकना होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बाहरी पूंजी प्रवाह, जैसे विदेशी निवेश और ऋण, के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न स्थिरीकरण उपाय करता है:
- स्वर्ण और विदेशी मुद्रा भंडार में हस्तक्षेप: RBI विदेशी मुद्रा भंडार में हस्तक्षेप करके मुद्रा आपूर्ति को स्थिर करता है। जब विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ता है, RBI अतिरिक्त विदेशी मुद्रा को खरीदकर मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि को रोकता है। इसके विपरीत, जब विदेशी मुद्रा की कमी होती है, RBI मुद्रा को बाजार में छोड़ता है।
- मौद्रिक नीति उपकरण: RBI रेपो दर और रिवर्स रेपो दर जैसे मौद्रिक नीति उपकरणों का उपयोग करता है। उच्च रेपो दर से बैंकों की उधारी महंगी हो जाती है, जिससे मुद्रा आपूर्ति कम होती है। इसी तरह, रिवर्स रेपो दर का उपयोग बैंकों से अतिरिक्त तरलता को吸 प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMOs): RBI बांड की खरीद और बिक्री करके बाजार में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। बांड की बिक्री से बैंकों की तरलता कम होती है, और बांड की खरीद से तरलता बढ़ती है।
इन उपायों के माध्यम से RBI बाहरी पूंजी प्रवाह के प्रभाव को संतुलित करता है और अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को स्थिर बनाए रखता है।
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गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) वे ऋण हैं जिन्हें चुकाने की तिथि बीत जाने के बाद भी उधारकर्ता द्वारा चुकाया नहीं गया है। ये आमतौर पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न करते हैं, क्योंकि इससे उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होती है और उन्हें पुनर्प्राप्ति में कठिनाई होती है। भारत मेRead more
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) वे ऋण हैं जिन्हें चुकाने की तिथि बीत जाने के बाद भी उधारकर्ता द्वारा चुकाया नहीं गया है। ये आमतौर पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न करते हैं, क्योंकि इससे उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर होती है और उन्हें पुनर्प्राप्ति में कठिनाई होती है।
भारत में NPAs की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं:
इन उपायों के माध्यम से सरकार NPAs की समस्या को कम करने और बैंकों की वित्तीय सेहत को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
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