संधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ क्या हैं? भारतीय किसानों द्वारा नैनो-उर्वरकों को अपनाने में आने वाली समस्याओं का उल्लेख कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) और कृषि उत्पादन की संधारणीयता 1. विविधीकरण और स्थिरता: विविध फसलों का उत्पादन: IFS विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करता है, जैसे कि फसल उत्पादन, पशुपालन, और मछली पालन, जिससे किसानों को एकल फसल पर निर्भरता कम होती है। झारखंड में, धान और मछली पालन के संयोजन ने किसानों की आयRead more
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) और कृषि उत्पादन की संधारणीयता
1. विविधीकरण और स्थिरता:
- विविध फसलों का उत्पादन: IFS विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करता है, जैसे कि फसल उत्पादन, पशुपालन, और मछली पालन, जिससे किसानों को एकल फसल पर निर्भरता कम होती है। झारखंड में, धान और मछली पालन के संयोजन ने किसानों की आय में वृद्धि की है।
2. संसाधन प्रबंधन:
- कृषि अवशेषों का उपयोग: IFS कृषि अवशेषों और पशुपालन के अपशिष्टों को खाद के रूप में उपयोग करता है, जिससे मृदा की उर्वरता में सुधार होता है। कर्नाटक में, जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
3. पर्यावरणीय लाभ:
- मृदा संरक्षण: IFS मृदा कटाव और जल का संरक्षण में मदद करता है। आंध्र प्रदेश में वृक्षारोपण और फसलRotation से मृदा की उर्वरता बढ़ी है और जल संरक्षण हुआ है।
4. आय स्थिरता:
- रोजगार और आय: IFS द्वारा विभिन्न गतिविधियों के संयोजन से किसानों को आय स्थिरता प्राप्त होती है। पंजाब में, डेयरी और कृषि के संयोजन ने आय में वृद्धि की है।
इस प्रकार, IFS कृषि उत्पादन को संधारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करके स्थिरता और संसाधन प्रबंधन में सुधार करता है।
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संधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आर्थिक लाभ में, नैनो-उर्वरक फसल की उत्पादकता बढ़ाते हैं, जिससे किसान की उपज बढ़ती है और लागत में कमी आती है क्योंकि इन्हें कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। ये उर्वरक फसलों की पोषक तत्वों की उपयोगिता को बढ़Read more
संधारणीय फसल उत्पादन के लिए नैनो-उर्वरकों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आर्थिक लाभ में, नैनो-उर्वरक फसल की उत्पादकता बढ़ाते हैं, जिससे किसान की उपज बढ़ती है और लागत में कमी आती है क्योंकि इन्हें कम मात्रा में उपयोग किया जाता है। ये उर्वरक फसलों की पोषक तत्वों की उपयोगिता को बढ़ाते हैं और रसायनों के उपयोग को कम करते हैं।
पर्यावरणीय लाभ में, नैनो-उर्वरक कम मात्रा में अधिक प्रभावी होते हैं, जिससे मृदा और जल प्रदूषण में कमी आती है। ये उर्वरक मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में योगदान करते हैं।
भारतीय किसानों द्वारा नैनो-उर्वरकों को अपनाने में प्रमुख समस्याएँ हैं:
उच्च लागत: प्रारंभिक लागत अधिक होने के कारण, छोटे किसानों के लिए इसे अपनाना चुनौतीपूर्ण होता है।
जानकारी की कमी: नैनो-उर्वरकों के लाभ और उपयोग के बारे में किसानों में जागरूकता की कमी है।
प्रौद्योगिकी की पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों में नैनो-उर्वरकों की उपलब्धता और वितरण सीमित है।
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार और संगठनों को किसानों को प्रशिक्षित करने और उचित सब्सिडी प्रदान करने की आवश्यकता है।
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